जैसे-जैसे ठंड उत्तर भारत को अपने आग़ोश में ले रही है, वैसे-वैसे ही पश्चिम बंगाल चुनावी गर्मी में तप रहा है और इन सब में मीडिया, जो है वो कैटालिस्ट का काम रहा है।
अमित शाह ने जैसे ही उधर दीदी के किले में पैर रखा, वैसे ही इधर नोएडा के तमाम चैनलों के स्क्रीन पर अमित शाह बादलों की तरह छा गए। अब सवाल ये है कि क्या ममता बनर्जी को अमित शाह के बंगाल दौरे से डरने या घबराने की ज़रूरत है?
ममता की मुस्कान शाह के दौरे की ज़रूरत तो नहीं
पश्चिम बंगाल 294 विधानसभा सीटों वाला राज्य है और विधानसभा सीटों के अनुसार देश का तीसरा सबसे बड़ा राज्य है। वर्तमान में ममता बनर्जी यानि टीएमसी (TMC) 211 सीटों के साथ और पूर्ण बहुमत से बंगाल की सत्ता पर काबिज़ हैं।
जबकि मुख्य विपक्ष के रूप में कांग्रेस 44 सीटों के साथ है और CPI (M) भी 26 सीटों के साथ विपक्ष में मौज़ूद है। वहीं दिल्ली या कहें केंद्र में विराजमान पार्टी यानि भाजपा जिसके पास मात्र 3 सीट ही हैं।
शुभेंदु अधिकारी का दल बदल किसकी नीति
शनिवार 19 दिसंबर को अमित शाह जब बंगाल पहुंचे तब बंगाल बीजेपी और उनके समर्थकों की खुशी का ठिकाना नहीं था वे अमित शाह का इंतज़ार बेसब्री से कर रहे थे।
दीदी के बंगाल में ही अमित शाह ने दीदी पर ज़बरदस्त हमला बोला और शाह यहां तक कह गए कि आने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी बंगाल में बहुमत से जीतेगी और कम-से-कम 200 सीटों के साथ बंगाल फतह करेगी।
लेकिन इन सब के बीच ममता को ज़बरदस्त झटका तब लगा जब ममता की ‘मुस्कान’ कहे जाने वाले शुभेंदु अधिकारी ने TMC को छोड़ BJP का दामन थाम लिया वहीं और भी कई सारे पार्टी नेताओं ने अमित शाह की मौजूदगी में BJP को ज्वाइन कर लिया।
ओवैसी की एंट्री किसके वोट बैंक में सैंध
ममता बनर्जी के सामने फिल्हाल तो 2016 जैसी चुनौती खड़ी नहीं हुई है लेकिन ममता को जितनी ज़रूरत पार्टी संभलने की है, उतनी ही ज़रूरत उनको उन 30% मुस्लिम वोटरों को संभालकर रखने की भी है, क्योंकि AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी की नज़र उन्हीं 30% मुस्लिम वोटरों पर टिकी हुई है और ओवैसी के बंगाल चुनाव में एंट्री के ऐलान से ममता के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगने की आशंका है।
अगर ममता बनर्जी के राजनीतिक सफर को देखें तो हमेशा ऐसा ही रहा है। ममता ने राजनीति में चुनौतियों का सामना खूब किया है।
सर्वे के अनुसार वोटर्स अब भी ममता के पाले में
कम्यूनिस्ट को बंगाल से उखाड़ फैंकने में और कांग्रेस के अस्तित्व को मिटाने में ममता ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है मगर इस बार ममता के सामने दोगुनी चुनौती है। एक तरफ अमित शाह हैं तो दूसरी तरफ ओवैसी!
हाल में आई ABP ग्रुप और CNX के सर्वे में ममता के लिए सुकून की खबर तो है, जहां सर्वे में ममता की सरकार बनते दिख रही है। वहीं अमित शाह ने जाते-जाते किसानों के घर भोजन करके, दिल्ली में धरने पर बैठे किसानों को भी संदेश दे दिया है कि किसान BJP के साथ है।
अब मगर देखना ये होगा शाह के इस दौरे से ममता के वोट बैंक पर क्या असर पड़ता है। क्या वाकई 3 सीट से 211 सीट का रास्ता इतना सरल है जो शाह के दौरे ममता को दिखा पाएं। दिल्ली अभी दूर है लेकिन देखना दिलचस्प होगा।