Site icon Youth Ki Awaaz

भारत के विकास में कृषि का योगदान

Government is concerned about farmers!

कृषि विरोधी बिल पारित करने से पहले सरकार को पूर्व के दिनों में देश हित मे दिए गए किसानों के योगदान को एक बार देखना चाहिए। बहरहाल राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में कृषि के महत्व को कभी भारत अस्वीकार कर ही नहीं सकता। क्योंकि कृषि भारत के अर्थव्यवस्था के लिए सिर्फ एक अंग नहीं बल्कि संपूर्ण अंगों का ढांचा है।

अगर सच पूछा जाए तो देश का विकास कृषि पर ही निर्भर है। इसी वजह से महान स्वतंत्रता सेनानी भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कृषि के बारे में कहा था कि कृषि को सर्वाधिक प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।

पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के इस बयान का स्पष्टीकरण हमें प्रथम पंचवर्षीय योजना (1951 56) में देखने को मिल सकता है। जिसमें पंडित जवाहरलाल नेहरू ने तत्कालीन अर्थशास्त्रियों से विचार करके सबसे ज़्यादा निवेश कृषि क्षेत्र में किया है।

पूर्व प्रधानमंत्री की प्रयास कुछ खास सफल नहीं रही

60 के दशक में भारत को कृषि क्षेत्र में काफी नुकसान उठाना पड़ा। उस वक्त कृषि क्षेत्र में नुकसान के साथ भारत को पाक से युद्ध का भी सामना करना पड़ा। जिससे भारत की अर्थव्यवस्था और चरमरा गई। चरमराती अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए तत्कालीन प्रधान मंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री” ने भी कृषि पर ही ज़ोर दिया। लाल बहादुर शास्त्री ने “जय जवान जय किसान “का नारा देते हुए देश में हरित क्रांति लाने का प्रयास किया। जिसका भारत की अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा। 

पूर्व प्रधानमंत्री के द्वारा हरित क्रांति के प्रयास से 70 से 75 के दशक में भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का योगदान 50% से ज़्यादा हो गया। वक्त के साथ यह बढ़ोतरी कम होने के बजाय और बढ़ती गई। 1990 से 91 में भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का योगदान 80% तक पहुंच गया।

देश की मज़बूती में कृषि के इन योगदानों को देखकर हम कृषि को राष्ट्र से अलग करने की कभी सोच ही नहीं सकते हैं। क्योंकि भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में कृषि का योगदान सिर्फ अर्थव्यवस्था की मज़बूती के लिए नहीं माना जा सकता। 

कृषि का योगदान भारत के उन उन स्तंभों में कार्य की है जिसे न हमें कभी दिखाया गया और न हमने कभी देखने का प्रयास किया।

कृषि क्षेत्र का राष्ट्र को समर्पित कुछ महत्वपूर्ण कार्य

1) रोज़गार- 160 करोड़ की विशाल जनसंख्या वाली इस देश में बेरोज़गारी सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा मानी जाती है। लेकिन इस विशाल जनसंख्या वाले देश की लगभग 50% के करीब जनता की बेरोज़गारी की दूरी कृषि क्षेत्र से होती है। भारत जैसे विशाल देश में सबसे ज़्यादा रोज़गार देने वाला क्षेत्र अगर कोई है तो वह कृषि है।

2) राष्ट्रीय आय का मुख्य स्रोत– भारत में राष्ट्रीय आय का मुख्य स्रोत कृषि है। राष्ट्रीय आय में कृषि की भूमिका हम इस तरह माप सकते हैं कि 1990-91 में राष्ट्रीय आय में कृषि की कुल भूमिका 80% थी।

3) विदेशी व्यापार में कृषि क्षेत्र का महत्व– देश के द्वारा किए जा रहे विदेशी व्यापार में कृषि का महत्व बहुत ज़्यादा माना जाता है। क्योंकि देश के कुल निर्यात में 25% भाग कृषि एवं उससे संबंधित कच्चे पदार्थों पर आधारित उद्योगों के द्वारा किया जाता है।

4) औद्योगिक क्षेत्र में कृषि का महत्व– कृषि क्षेत्र देश के औद्योगिक विकास का भी आधार है। देश के अधिकांश उद्योगों को कच्चे माल की प्राप्ति कृषि क्षेत्र से ही होती है। जैसे:- सूती वस्त्र उद्योग, चीनी उद्योग, कॉफी, रबर, वनस्पति घी इत्यादि। इन सभी औद्योगिक वस्तुओं की उत्पत्ति कृषि क्षेत्र से हो पाती है।

5) भूमि का सर्वाधिक उपयोग– वर्तमान समय में देश के 32.87 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र में 14.3 हेक्टेयर भूमि पर खेती की जाती है। जो कुल भूमि के क्षेत्रफल का करीब 44% भाग होता है।

6) सरकारी आय में कृषि का योगदान– राजस्व में अगर कृषि के योगदान को देखें तो इसका योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। देश में करोड़ों रुपए प्रति वर्ष की आय कृषि आय कर से होती है। इसके अतिरिक्त निर्यात व्यापार से भी सरकार को आय प्राप्त होती है।

7) पशुपालन में बढ़ोतरी की सबसे म मुख्य भूमिका कृषि की- देश में दूध,दही एवं घी का भंडारण का भी मुख्य स्रोत कृषि को ही माना जाना चाहिए। क्योंकि गाय, बैल, भैंस, बकरी इत्यादि की व्यवस्था भी कृषि क्षेत्र ही करता है।

8) विश्व में भारतीय कृषि क्षेत्र का महत्व- देश कृषि क्षेत्र का अंतरराष्ट्रीय महत्व भी है क्योंकि भारत का विश्व उत्पादन की दृष्टि से चाय एवं मूंगफली में प्रथम स्थान है। तथा चावल, कपास, गन्ने एवं जुट में दूसरा स्थान है। भारतीय कृषि क्षेत्र को लाख के उत्पादन में एक अधिकार प्राप्त है।

इस प्रकार यह स्पष्ट होता है कि कृषि देश की अर्थव्यवस्था की आर्थिक कुंजी है। अगर कृषि का विकास सही रूप से नहीं हो पाता है तो मानो देश का विकास सही रूप से नहीं हो पा रहा है।

Exit mobile version