BPSC यानि बिहार का ‘लोक सेवा आयोग’, बिहार राज्य का वह आयोग, जिस पर ज़िम्मेदारी है बिहार के सबसे काबिल और ज़िम्मेदार अभ्यर्थियों के चुनाव की जो राज्य को विकास एवं उत्थान में मदद करे।
उन अधिकारियों का चयन करे, जिनके कंधे पर ज़िम्मेदारियों के तौर पर ही कल के बिहार का भविष्य लिखा जाना है लेकिन क्या वाकई में यह बोर्ड खुद में ज़िम्मेदार है? क्या BPSC जैसी संस्था खुद सही प्रशासनिक ढांचे का उदाहरण देश के सामने पेश कर रही है?
27 दिसंबर 2020, 66वी BPSC प्रारंभिक परीक्षा की पूर्व निर्धारित तारीख थी और कोरोना काल के बाद बिहार की सबसे अहम परीक्षाओं में से एक थी। जिसके लिए लगभग 4 लाख अभियर्थियों ने आवेदन किया था। वहीं 16 दिसंबर को BPSC एडमिट कार्ड जारी करती है और लगभग सभी अभ्यर्थियों की बेचैनी का दौर शुरू हो जाता है।
कड़कड़ाती ठंड में 450 किमी दूर तक का एग्ज़ाम सेंटर
महिला अभियर्थियों को छोड़ कर! जिस अंतिम समय मे अभ्यर्थी के लिए रिविज़न का, खुद को एग्ज़ाम के लिए तैयार करने का वक़्त होता है। जब उन्हें अब परीक्षा केंद्र पर पहुंचने की चिंता सताने लगती है।
सभी पुरुष उम्मीदवारों का परीक्षा स्थल 250 से 450 किलोमीटर दूर दे दिया गया वह भी उस वक़्त जब राज्य के 21 ज़िलों में ठंड की वज़ह से ऑरेंज अलर्ट जारी है।साथ- ही-साथ कोरोना का खौफ और ठप रेल व्यवस्था। वहीं एडमिट कार्ड के नीचे कोरोना को लेकर जो गाइड लाइन छपी थी, अभ्यर्थियों को अपने साथ किया भद्दा मज़ाक सा लगने लगा था।
सभी पुरुष उम्मीदवारों का परीक्षा स्थल 250 से 450 किलोमीटर दूर दे दिया गया वह भी उस वक़्त जब राज्य के 21 ज़िलों में ठंड की वज़ह से ऑरेंज अलर्ट जारी है।
साथ- ही-साथ कोरोना का खौफ और ठप रेल व्यवस्था। वहीं एडमिट कार्ड के नीचे कोरोना को लेकर जो गाइड लाइन छपी थी, अभ्यर्थियों को अपने साथ किया भद्दा मज़ाक सा लगने लगा था और समझिए ये क्यों और कैसे? मुंगेर के अभ्यर्थी का परीक्षा केंद्र रोहतास, जो कि करीबन 350 किलोमीटर से अधिक है साथ ही वहां जाने के लिए ना कोई सीधी रेल सेवा ना ही बस सेवा।
एडमिट कार्ड पर लिखी गाइडलाइन फिर किसलिए?
रोहतास जाने वाले को पहले सुबह-सुबह एक दिन पूर्व बस से पटना जाना होगा। मुंगेर से पटना की दूरी 195 किलोमीटर है। फिर या तो शाम में रेल के माध्यम से रोहतास जाना होगा या पुनः बस का सहारा लेना होगा। वहीं पटना से रोहतास करीबन 160 किलोमीटर है।
वहीं ध्यान रखने वाली बात यह है कि पटना से ही अन्य ज़िलों में भी अभ्यर्थी पहुंचेंगे ,जो रेल या बस के माध्यम से उसी रूट से सासाराम, गया तथा अन्य ज़िलों में भी जाएंगे। राज्य में परिवहन विभाग की हालत किस्से छुपी हुई है। ऐसे में एडमिट कार्ड पर कोरोना गाइड लाइन भद्दा मजाक नहीं तो और क्या है?
केंद्र तक पहुंचने के बाद अधिकांश अभ्यर्थियों को रेलवे स्टेशन पर शीतलहर में रात गुज़ारनी पड़ी। प्रयागराज से आरा पहुंची महिला अभ्यर्थी के साथ छीना-झपटी की घटना भी सामने आई। परीक्षा की समाप्ति के बाद पुनः घर लौटने का वही मुश्किलों भरा दौर प्रारम्भ हुआ।
केंद्र बदलने पर BPSC का गैर-ज़िम्मेदाराना रवैया
घर पहुँचने की आस में, थके-मांदे अभ्यर्थी अभी थोड़ा खुद को स्थिर कर पाते कि औरंगाबाद से प्रश्न लीक होने, केंद्र पर परीक्षा ना होने की खबर आ गई। जिससे अभ्यर्थियों के चेहरे पर पुनः मायूसी छा गई।
हालांकि, फिलहाल प्रश्न पत्र लीक की खबर जांच का विषय है मगर कोरोना काल मे BPSC ने परीक्षा केंद्र तय करने में जो महिलाओं के लिए नीति अपनाई, वहीं पुरुष अभ्यर्थियों के साथ अन्यायपूर्ण रवैया अपनाया। इतना ही नही छात्रों के केंद्र बदलने की मांग को भी BPSC ने सिरे से बिना विचार किए नकार दिया।
बिहार के परीक्षा बोर्ड सफलतापूर्वक पड़ोसी ज़िलो में केंद्र स्थापित कर परीक्षा संपन्न करा सकते है तब BPSC क्यों नहीं? ऐसी गैर ज़िम्मेदारना व्यवस्था और उस पर कोरोना गाइडलाइन का होना। BPSC का कोरोना पाखंड ना कहा जाए तो फिर क्या कहा जाए?