नौ बरस की उम्र थी मेरी, जब मैंने दादी के संग ‘एक दूजे के लिए’ फिल्म देखी थी। डैड और माँ दोनों वर्किंग होते थे, तो मेरी दादी भी मेरा खूब ख्याल रखती थीं। सच कहूं तो दादी मेरी पहली सहेली थीं। मेरे इम्तहान जब खत्म होते, वह मुझे इलाहाबाद से दिल्ली-पंजाब-बनारस घुमाने के लिए ले जातीं। वहां मेरी बुआ-मौसी और चाचा रहा करते थे। दादी की बात करना स्मृतियों का पिटारा खोल बैठना है पर आज बात करूंगी फिल्म ‘एक-दूजे के लिए’ की।
मैंने दादी के साथ थियेटर जाकर फिल्में भी देखी हैं। हम दोनों लाल काॅलोनी से रिक्शा लेते। मेरा एक हाथ दादी के हाथ में होता, दूसरे हाथ में आलू चिप्स का बड़ा लिफाफा थमा होता था। उन आलू चिप्स का असर मुझपर आज तक चढ़ा हुआ है। आलू खाकर आलू हो जाना स्वाभाविक है पर मैं इसे दादी का मेरे लिए प्यार कहूंगी। दादी का मान रखने के लिए कहूंगी कि आलू ने मुझे Pleasantly Plump बना डाला है। खुद को फैट कहने का मेरा एकदम मन नहीं कर रहा है। खैर! बात फिल्म की अधूरी रह गई है।
जब मैंने यह फिल्म देखी तो वह ऐसी उम्र थी कि फिल्म का कथानक समझ में आ जाना मुश्किल था। नासमझी में देखी उस फिल्म को होश संभालने के बाद कितनी बार देखा होगा, याद नहीं पर यह फिल्म अमर-प्रेम की कहानी है। फिल्म के नायक-नायिका वासु-सपना को लोग आज तक नहीं भुला पाए हैं। सपना-वासु की याद आज भी हिन्दोस्तान के हर दिल में ज़िन्दा है पर वे दोनों फिल्म में मर जाते हैं। उन्हें उस रूप में देखकर जाने कितने प्रेमी जोड़े अपनी जान की बाज़ी पर खेल गए थे।
जिस पहाड़ी पर बने मंदिर से सपना उतरकर वासु से मिलने समन्दर के किनारे चली आई थी, गोवा के उस बीच का नाम डोना पाउला है। वह चट्टान जहां से सपना-वासू ने कूदकर समन्दर में जान दे दी थी, वहां लोगों की भीड़ लगी रहती है। वह जगह पर्यटकों के बीच ‘लवर्स पैराडाइज़’ के नाम से जानी जाती है।
गोवा निवासी कहते हैं कि डोना पाउला का नाम पुर्तगाली शासनकाल के दौरान गोवा के वाइसराय की बेटी डोना पाउला डि मेनेज़ेस के नाम पर रखा गया था। एक स्थानीय मछुआरे से शादी करने की इजाज़त ना मिलने पर उसने एक चट्टान से कूदकर खुदकुशी कर ली थी। जिसके बाद से इसे ‘लवर्स पैराडाइज़’ कहा जाने लगा।
लवर्स पैराडाइज़ में सपना और वासु की अमर रूहों को तलाशने पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है जबकि सब जानते हैं रति अग्निहोत्री और कमल हसन रहती दुनिया में सलामत हैं पर हर हिन्दोस्तानी दिल जो भी गोवा में जाता है, वह सपना-वासु की रूह को तलाशने डोना पाउला तो जाता ही है। वहां समन्दर की लहरें अब भी प्यार का यह तराना गुनगुनाती रहती हैं
कोशिश करके देख ले दरिया सारे नदियां सारी
दिल की लगी नहीं बुझती, बुझती है हर चिंगारी
सोलह बरस की बाली उमर को सलाम
प्यार तेरी पहली नज़र को सलाम…
Youth Ki Awaaz के बेहतरीन लेख हर हफ्ते ईमेल के ज़रिए पाने के लिए रजिस्टर करें