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सरकार, ठंड या स्मॉग, दिल्ली एनसीआर में बढ़ता प्रदूषण किसकी समस्या?

पिछले कुछ दिनों में प्रदूषण का स्तर दिन प्रतिदिन अपनी चरम सीमा को लांघता जा रहा है, जिससे यह प्रतीत होता है कि हालात गंभीर हैं लेकिन सरकार एवं विभिन्न शहरों की अथॉरिटी सिर्फ तमाशा देख रही हैं।

हाल ही में दिल्ली की एयर क्वालिटी इंडेक्स 364, नोएडा की 434 रही एवं आने वाले दिनों में हालात और भी खराब या कहें  बद से बदतर भी हो सकते हैं वहीं लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

दिल्ली के बवाना (422), मुंडका (423), आईटीओ (366), आर के पुरम (309 ), जहांगीरपुरी (416) में प्रदूषण का स्तर 400 (AQI) के पार है। एनसीआर का भी हाल कुछ ऐसा ही है, जिसमें सबसे आगे गाज़ियाबाद और नोएडा है। जिनका AQI 373 रहा है।

गाज़ियाबाद नोएडा की स्थिति के लिए ज़िम्मेदार कौन?

दिल्ली सरकार ने बढ़ते प्रदूषण का आरोप केंद्र पर लगाया। वहीं, मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता गौरव खरे ने इस बारे में बताया कि केंद्र सरकार ने पिछले 6 वर्षों में वायु प्रदूषण के विरोध में तमाम प्रयास किये हैं। बीएस-6 अनुरूप वाहनों के प्रयोग और 65000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ, वाहनों के प्रदूषण में काफी हद तक कमी आई है।

दिल्ली की हवा हुई खराब AQI  पहुंचा 400 के पार फोटो साभार :-  आदित्य कंचन

दिल्ली सरकार ने बढ़ते प्रदूषण का आरोप केंद्र पर लगाया। वहीं, मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता गौरव खरे ने इस बारे में बताया कि केंद्र सरकार ने पिछले 6 वर्षों में वायु प्रदूषण के विरोध में तमाम प्रयास किये हैं। बीएस-6 अनुरूप वाहनों के प्रयोग और 65000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ, वाहनों के प्रदूषण में काफी हद तक कमी आई है।

पंजाब हरियाणा को उपलब्ध कराई मशीनें

इसके अलावा पंजाब और हरियाणा के किसानों को 1400 करोड़ रुपये की स्टबल कटिंग के लिए मशीनें उपलब्ध कराई गई हैं। जिसके परिणामस्वरूप पराली न जलने से लगभग 15 प्रतिशत और 20 प्रतिशत प्रदूषण कम हुआ है। एनसीआर में 2800 ईंट के भट्टों में जिग-जैग तकनीकी की शुरुआत से प्रदूषण कम हुआ है। पूरे एनसीआर में  2600 उद्योगों को पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) पर लाया गया है। निर्माण और विध्वंस अपशिष्ट प्रबंधन नियमों की शुरुआत की गई है।

इसके बाद 2016 के बाद पहली बार धूल प्रदूषण में कमी आई है। तीन फैक्ट्रियां निर्माण कचरे से सड़क किनारे लगने वाले टाइल्स और डिवाइडर का उत्पादन कर रही हैं। दिल्ली में तीन पावर प्लांट कचरे के प्रसंस्करण से 57 मेगावाट बिजली का उत्पादन कर रहे हैं।

बढती ठंड की स्मॉग एक बड़ी समस्या

पराली जलाने से भी होता है प्रदूषण। फोटो साभार :- आदित्य कंचन

स्मॉग अर्थात फाग (कोहरा) या स्मोक जैसे-जैसे सर्दियां आ रही हैं ठीक उसी प्रकार पराली जलाने का मौसम भी नज़दीक आ गया है। पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने कि सबसे मुख्य समस्या रही है।

जिसके कारण दिल्ली एनसीआर एवं दूसरे राज्यों में प्रदूषण का स्तर चरम सीमा के पार पहुंच जाता है। पराली जलाने से विशाल समूह में धुआं उड़ता है और फैल जाता है। हालांकि अगर हम इस को रोकना चाहते हैं तो आधुनिक तकनीकों (machines ) का इस्तेमाल करके इसे रोका जा सकता है।

प्रदूषण फैलाने पर 1 करोड़ तक जुर्माना

जैसा कि हम जानते हैं कि प्रदूषण बढ़ रहा है। इसी के चलते केंद्र सरकार ने एक आयोग बनाया है। जिसमें वायु प्रदूषण रोकने और उपाय सुलझाने और उसे  निगरानी में रखने के केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम भी उठाया है। अब देखना यह है कि यह कदम वास्तव में कितना लागू हो पाता है। लोग इसे कितना फॉलो कर पाते हैं।

आयोग की बात करें तो इसमें कुल 17 सदस्य होंगे और यह कमीशन एनवायरमेंट पॉल्यूशन प्रिवेंशन एंड कंट्रोल अथॉरिटी (EPCA) की जगह लेगा। इस कमीशन के तहत होने वाली सभी कार्यवाही को सिर्फ एनजीटी (NGT) में चुनौती दी जा सकेगी।

अब प्रदूषण फैलाया गया तो 1 करोड़ रुपये तक का ज़ुर्माना देना पड़ सकता है। इतना ही नहीं 5 साल तक की जेल या फिर दोनों हो सकती है। ऐसा भी माना जा रहा है कि दिल्ली सरकार प्रदूषण रोकने के लिए स्मॉग टावर लगाना और ग्रीन दिल्ली ऐप ला रही है।

पराली के अलावा भी समस्याएं कम नहीं हैं

केंद्रीय पॉलिसी रिसर्च के सदस्य संतोष हरीश उन्होंने कहा है कि एक ही संस्था वायु प्रदूषण को नियंत्रण करने में मदद कर सकती है, ऐसा नहीं है, यहां पर और राज्यों के साथ सहमति करनी होगी ताकि इससे आसानी से नियंत्रण में लाया जा सके। साथ ही साथ उन्होंने यह भी बताया कि अगर सही तरीके से फंड और टेक्निकल एक्सपेटाइज़  उपयोग करें तो यह भी प्रदूषण को रोकने में मदद कर सकती है।

पोलाश मुखर्जी जो पेशे से एयर क्वालिटी रिसर्चर (AQR) हैं, उन्होंने कहा कि समस्या यह है कि फसल का बचा-कुचा जो भी पराली के रूप में हर साल जलता है, सिर्फ वही  समस्या नहीं है इसके अलावा भी बहुत सारी समस्याएं हैं इस पर राजनीति ना करके हमें मुख्य समस्याओं का हल निकलना चाहिए।

सारांश उपरोक्त लेख वायु प्रदूषण की बढ़ती समस्या को मद्देनजर रखते हुए लिखा गया है। जिसमें दिल्ली की ज़हरीली हवा का वर्णन किया गया है। यह हवा पर्यावरण के लिए कितनी ज्यादा हानिकारक है अर्थात इसे रोकने की सख्त ज़रूरत है।  सरकार और पर्यावरण रक्षकों को इस पर गौर करना चाहिए ताकि लोगों को साफ हवा मिल पाए और वह अपना जीवन अच्छे से व्यतीत कर पाए।

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