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हर एक लड़की के पहले पीरियड की कहानी एक जैसी क्यों?

पीरियड्स हर लड़की के जीवन में होने वाली एक प्राकृतिक प्रक्रिया है लेकिन इसकी शुरुआत होने पर लड़कियां जानकारी के आभाव में घबरा जाती हैं। हालांकि समय पर पीरियड्स का आना स्वास्थ्य के लिए अच्छी बात है।

ज़्यादातर बच्चियों को पीरियड्स की शुरुआत 11-14 साल के उम्र में ही हो जाती है। अभिभावकों को चाहिए कि बच्ची को पीरियड्स से पहले ही उस विषय में जागरूक कर दें जिससे उसे किसी भी डर और घबराहट का सामना ना करना पड़े। उसे उससे जुड़े पैड्स या फिर टैम्पोन के इस्तेमाल के बारे में भी अच्छे से समझा दिया जाना चाहिए।

पीरियड्स की कहानी उन्हीं की ज़ुबानी

इसी कड़ी में मैंने कुछ लड़कियों से 10 सवालों के ज़रिये उनके पीरियड्स से जुड़ी कहानियों एवं विचारों को जानने की कोशिश की है, जिनमें कॉलेज, स्कूल एवं कार्यालयों में कार्यरत लड़कियां भी शामिल हैं। साथ ही शहरों और गाँवों दोनों जगह की रहने वाली लड़कियों से बात की है।

1. शब्द पीरियड्स, माहवारी, या महीना इत्यादि के बारे में सबसे पहले कब सुना और क्या सुना?

इस सवाल के जवाब में मैंने पाया कि ज़्यादातर लड़कियों को पीरियड्स के बारे में तब पता चला जब उनको पहली बार पीरियड्स आए। कुछ ने अपनी माँ को किसी से बात करते सुना तो किसी ने स्कूल में दोस्तों से। यानि उम्र होने पर अभिभावकों ने अपने बच्चियों को इस बारे में कुछ भी नहीं बताया।

2. आपको पहला पीरियड किस उम्र में हुआ?

ज़्यादातर लड़कियों को 13-14 साल के उम्र में पहला पीरियड हुआ, जो कि एक सही उम्र है। साथ ही कुछ ने 17 साल भी बताया।

3. पहला पीरियड होने के बाद आपके घर वालों ने बाहर बताने को मना किया? यदि हां, तो क्यों?

सबका जवाब नहीं में था लेकिन एक लड़की ने मुझे बताया कि जब मुझे पहला पीरियड हुआ तो मेरी माँ ने मुझे इस बारे में बाहर किसी से बताने को मना किया।  उनका कहना था कि अगर तुम यह बात बाहर किसी को कहोगी तो लोग तुम पर हसेंगे।

4. पीरियड्स को लेकर आपके परिवार में महिलाओं के साथ-साथ क्या पुरुष सदस्य भी आपका ध्यान रखते हैं?

कुछ का जवाब हां में कुछ का ना में था मगर किसी ने खुलकर इस बारे में नहीं बताया। इससे साफ ज़ाहिर होता है कि आज भी यह बात महिलाओं के बीच ही  रहती है।

5. इस दौरान आपके स्कूल, कॉलेज या दफ्तर में क्या सुविधाएं हैं? आपके दूसरे साथी आपके साथ कैसा व्यवहार करते हैं?

सबने स्कूल में सैनेटरी पैड्स मिलने की बात कही। बताया कि कॉलेज में भी इसका ध्यान रखा जाता है और जहां तक बात है घर से बाहर तक के पुरुष सदस्यों के सहयोग की, तो सबने माना कि वे सभी उस दौरान हमारी ज़रूरतों का पूरा ख्याल रखते हैं।

6. पीरियड्स के दौरान आप क्या करती हैं? क्या इस्तेमाल करती हैं? जैसे- पैड, टैम्पोन, मेंस्ट्रुअल कप, इत्यादि?

सभी लड़कियां जिनसे मैंने बात की, वे अपने पीरियड्स के दौरान पैड्स का ही उपयोग करती हैं। भारत में मेंस्ट्रुअल हाइजीन के नाम पर कोई खास जानकारी नहीं है। लड़कियां एवं महिलाएं ज़्यादातर पैड्स का ही इस्तेमाल करती हैं।

7. क्या आपके घर में इस बारे में खुलकर बात होती है?

इस सवाल का अधिकांश लड़कियों ने जवाब ना में दिया और कुछ ने हां में। जिनके घरों में इस बारे में बात होती भी है, तो सिर्फ माँ से। वह भी छुपकर, इसका ध्यान रखना होता है कि कहीं कोई पुरुष सदस्य हमारी बातें ना सुन ले। वे यह नहीं जानती हैं कि इस पर खुलकर बात करना बेहद ज़रूरी है।

8. समाज को इस विषय पर कैसे जागरूक किया जा सकता है?

सबने इस बात पर सहमती जताई कि इस बारे में खुलकर बात होनी चाहिए। समाज से पहले हमें अपने घर से शुरुआत करनी होगी ।

जब तक हम अपने घर में इस बारे में खुलकर बात नहीं करेंगे, तब तक हम बाहर बात नहीं कर पाएंगे। भारत में आज भी आधी से ज़्यादा महिलाएं, पुरुषों के सामने इस बारे में बात नहीं करना चाहती हैं। उन्हें लगता है कि वे समझेंगे नहीं, बल्कि उनका मज़ाक बनाएंगे।

समाज को जागरूक करने के लिए हमें स्कूल, कॉलेज के साथ-साथ गली मुहल्लों में सेमिनार, फिल्म, नुक्कड़-नाटक जैसे तरह-तरह के कार्यक्रम और अभियान चलाने होंगे। इस बात का भरोसा दिलाना होगा कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है, कोई बीमारी या अछूत जैसी चीज़ नहीं है।

9. क्या आप अपने आसपास के लोगों को जागरूक करती हैं? अगर हां, तो कैसे?

अधिकतर ने कहा, हां बिलकुल, जितना हो सकता है अपने जानने वालों को इस बारे में जागरूक करने की कोशिश करती हैं। कभी-कभी तो रुढ़िवादी सोच वालों को समझाने के क्रम में बहस भी करनी पड़ती है।

10. पीरियड्स से जुड़ी कोई ऐसी घटना जो आपको हमेशा याद रहेगी?

इस सवाल पर सबने अपने पहले पीरियड का ज़िक्र किया। उस समय होने वाली घबराहट, असहनीय दर्द, असहजता और साथ ही किसी बीमारी के हो जाने का डर आज भी याद रहता है।

एक लड़की ने अपने गाँव की कहानी साझा की। वो बताती हैं, “जब मैं अपने गाँव गई, तभी मुझे पहला पीरियड हुआ था।  उस समय घर में पूजा होने वाली थी। उस दिन मुझे पूजा से अलग रखा गया और उसके बाद भी चार दिनों तक मुझे घर के कामों एवं पूजा से दूर ही रखा गया।”

इन सब बातों या सवाल-जवाब में यह बात साफ समझ आती है कि भारत में अभी भी इस बारे में घरों में खुलकर बातें नहीं होती हैं। लोगों को बड़े पैमाने पर जागरूक करने की ज़रूरत है।

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