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भारत में युवाओं की भागीदारी और उनकी ज़रूरतों का स्थानीय निदान 

1999 से संयुक्त राष्ट्र ने प्रति वर्ष 12 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में घोषित किया। अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस युवाओं की आवाज़ों, कार्यों और उनके सार्थक, सार्वभौमिक तथा समान हेतु जुड़ाव का अवसर देता है। अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस 2020, “ग्लोबल एंगेजमेंट फ़ॉर ग्लोबल एक्शन” का विषय महत्वपूर्ण तरीकों को उजागर करना चाहता है।

जिनमें स्थानीय, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर युवाओं की व्यस्तता राष्ट्रीय और बहुपक्षीय संस्थानों और प्रक्रियाओं को आकर्षित एवं समृद्ध कर रही है। साथ ही औपचारिक संस्थागत राजनीति में उनके प्रतिनिधित्व और जुड़ाव को बढ़ाया जा सकता है।

संयुक्त राष्ट्र का औपचारिक राजनीतिक तंत्र में युवाओं की भागीदारी के प्रति नज़रिया

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार औपचारिक राजनीतिक तंत्र में युवाओं की भागीदारी को सक्षम करने से लोकतांत्रिक घाटे को कम किया जाए। ताकि बेहतर और अधिक स्थायी नीतियों में योगदान कर सके, इस से राजनीतिक प्रक्रियाओं की निष्पक्षता में वृद्धि होती है। यह प्रतीकात्मक महत्व भी है जो सार्वजनिक संस्थानों, विशेष रूप से युवाओं के बीच विश्वास को बहाल करने में और अधिक योगदान दे सकता है।

वैसे अधिकांश चुनौतियों का सामना मानवता को करना पड़ रहा है। जैसे कि कोविड-19 का प्रकोप और जलवायु परिवर्तन के लिए ठोस वैश्विक कार्रवाई की ज़रूरत है। इसके तहत सार्थक जुड़ाव में युवा लोगों की भागीदारी को प्रभावी ढंग से संबोधित करने की आवश्यकता है। भारतीय परिपेक्ष्य विश्व भर में सबसे अधिक युवा आज भारत में मौजूद हैं। भारत की कुल जनसंख्या का लगभग 28% युवा भागीदारी है। इनको प्रयोग में लाकर देशहित के लिए बेहतरीन प्रगतिशील कदम उठाए जा सकते हैं।

रोज़गार में सबसे निचले स्तर वाले देश में कोविड-19 का प्रकोप

एक सच्चाई जहां यह है कि युवा जनसंख्या भारत में अधिक है वहीं दूसरी ओर यह भी सच हैं कि यहां युवाओं में रोज़गार लगातार कम हो रहे हैं। हर साल युवा जनसंख्या में बढ़ेगा लेकिन क्या उसी अनुपात में उसके लिए रोज़गार मिल पाएंगे। एक तरफ भारत जहां रोज़गार में अपने सबसे निचले स्तर पर है और इसपर कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी, इससे बेरोज़गारी में बढ़ोतर हुई है।

ऐसे में आज रोज़गार के क्षेत्र में युवाओ की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय स्तर पर कार्य करने की ज़रूरत है। सरकार ने हालिया घोषणाओं में रोज़गार संबंधित ज़रूरतों पर ध्यान देने की बात की है। जो न केवल इस वक्त की ज़रूरत है बल्कि भविष्य में भी देश के अंदर रोज़गार के नए अवसर पैदा कर सकती है। इसके लिए युवाओं की भागीदारी को स्थानीय स्तर पर भी शुरू करने की ज़रूरत है।

सिर्फ मनरेगा ही काफी नहीं

साथ ही ये भी देखना होगा कि दूसरे अन्य कदम भी उठाए जाए, सिर्फ मनरेगा ही इसके लिए  काफी नहीं है। कोविड-19 ने भारत की अर्थ व्यवस्था को न केवल प्रभावित किया बल्कि एक बड़े वर्ग को बेरोज़गार कर दिया। मार्च और अप्रैल 2020 के दौरान जो पलायन हुआ उसने मजबूर किया यह सोचने पर कि रोज़गार के स्थानीय प्रावधान कितने ज़रूरी हैं। महानगरों में जो रोज़गार के हब हैं उनको देश के अन्य हिस्सों में विस्तारित करने की ज़रूरत है।

पहले से मौजूद चीज़ों का वैश्विक प्रसार किया जाए ताकि उनके प्रति बाज़ार को स्थानीय स्तर पर आकर्षित किया जासके। सेमी-शहरों और वहां से युवाओं को उनसे जोड़ा जाए। जिस प्रकार स्थानीय से राष्ट्रीय और फिर वैश्विक बाज़ार जुड़ते हैं ठीक वैसे ही अब वैश्विक को स्थानीय स्तर पर जोड़ने की ज़रूरत है। उदाहरण के लिए हमारे पुराने शहर जो पहले से ही अपनी ख्याति बना चुके थे लेकिन बाद के वर्षों में धुंधला गए उनको फिर से उभारा जाए।

इस कदम से रोज़गार न सिर्फ फ्लो में बना रहेगा बल्कि प्रवास और पलायन के दुख भी कम होंगे। इसकी मज़बूत कड़ी इस देश के लाखों युवा होंगे जिनकी क्षमता का भरपूर उपयोग किया जा सकता है।

सरकारी प्रशासनिक तंत्र को तैयार करने की ज़रूरत

स्थानीय स्तर पर पंचायतों और ज़िला परिषदों के साथ-साथ स्थानीय प्रशासनिक तंत्र को इसके लिए तैयार करने की ज़रूरत है। ताकि सिस्टम बेहतर तरीके से से लागू करवाया जासके। कलेक्टर एक ज़िले की प्रशासनिक व्यवस्था के साथ इन कामों में बेहतरीन योगदान दे सकते हैं। रोज़गार, शिक्षा और ढांचागत विकास का स्थानीय मॉडल अपनाने की ज़रूरत पर बल देना आज की प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक है। जिसका प्रतिनिधित्व महिला और पुरुष दोनों बराबर रूप से करें।

आज विश्व की डोर युवाओं के हाथ में है और सबसे अधिक युवा भारत में हैं। तो इनका इस्तेमाल व्यवस्थित और कार्यात्मक रूप से किए जाने की ज़रुरत है ताकि अपने युवाओं का सही प्रयोग किया जासके। जिसके लिए उन्हें स्थानीय स्तर से जोड़ने की आवश्यकता है। जो कि अन्तर्राष्ट्रीय संघ की थीम को भी पूर्ण करता है।

इस वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस युवा (IYD) 2020 थीम ग्लोबल एंगेजमेंट फॉर ग्लोबल एक्शन  हैं, जिसमें संयुक्त राष्ट्र निम्नलिखित तीन परस्पर धाराओं के माध्यम से  स्पॉटलाइट डालना चाहता है। जो इस प्रकार हैं- स्थानीय/सामुदायिक स्तर पर जुड़ाव, राष्ट्रीय स्तर पर जुड़ाव (कानूनों, नीतियों और उनके कार्यान्वयन का सूत्रीकरण) तथा वैश्विक स्तर पर जुड़ाव।

भारत इनको स्वीकारते हुए न केवल अपने भविष्य निर्माण में मज़बूती से आगे बढ़ेगा, बल्कि यह विश्व को एक आईना दिखाते हुए कोविड से प्रभावित वैश्विक मंदी को भी हराने में सक्षम होगा।

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