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किसान और सरकार के बीच एमएसपी की लड़ाई कब तक?

देशभर में ठंड की लहर तेज़ हो चुकी है। वहीं, इन दिनों किसानों का प्रदर्शन लगातार दिल्ली बॉर्डर पर चल रहा है। कड़ाके की ठंड के बावज़ूद भूख-प्यास का अपना  बंदोबस्त करने के बाद पिछले 7 दिनों से लगातार किसानों का प्रदर्शन दिल्ली बॉर्डर के इलाकों में चल रहा है।

ऐसे मौसम में घर-बार, सुख-सुविधाएं छोड़कर किसान अपने हित की बात कर रहे हैं और इस मुद्दे में किसान आंदोलन की बस एक ही बात सामने आ रही है, वो यह कि आखिर एमएसपी क्या है? एमएसपी यानि मिनिमम सपोर्ट प्राइस।

किसानों का कहना यह है कि तीन कृषि कानून, जो हाल ही में बनाए गए हैं उनमें न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म कर दिया जाएगा। हालांकि सरकार ने बार-बार यही बात दोहराई है कि ऐसा नहीं होगा। इस पर कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा। उल्टा किसानों को फायदा ही होगा।

क्यों एमएसपी की गारंटी से कतरा रही है सरकार?

एमएसपी यानि मिनिमम सपोर्ट प्राइस या फिर न्यूनतम समर्थन मूल्य, जिसके तहत सरकार की तरफ से किसानों की अनाज वाली कुछ फसलों के दाम की गारंटी दी जाती है। इसमें कुल मिलाकर 23 फसलें हैं, जिसमें सबसे ज़्यादा चावल, गेहूं और कॉटन आदि शामिल हैं।

मंडी में उसी फसल का दाम नीचे हो सकता है, फिर यह किसान की इच्छा है कि मैं फसल सरकार को एमएसपी में बेचे या फिर व्यापारी की आपसी सहमति पर कीमत तय कर दे। वहीं, राशन सिस्टम के तहत ज़रूरतमंद लोगों को अनाज मुहैया कराने के लिए इस एमएसपी पर सरकार किसानों से उनकी फसल खरीदती है।

फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य CACP यानि कृषि लागत और मूल्य आयोग तय करता है। CACP तकरीबन सभी फसलों के लिए दाम तय करता है, हालांकि समर्थन मूल्य आयोग तय करता है।

इन फसलों के लिए एमएसपी तय की जाती है। रबी और खरीफ कुछ अनाज वाली फसलों के लिए एमएसपी को तय किया जाता है। एमएसपी को हर साल सीज़न आने से पहले तय किया जाता है। फिलहाल सरकार ने सिर्फ 23 फसलों के लिए इसे तय किया है जिनमें से 7 अनाज, 5 दलहन, 7 तिलहन और 4 कमर्शियल फसलें शामिल हैं।

एमएसपी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि अगर बाज़ार में फसल का दाम गिरता है लेकिन फसल का उत्पाद मार्केट में ज़्यादा हो जाता है, तब भी किसान को यह तसल्ली रहती है कि सरकार जो फसल किसान से खरीदेगी, उनकी कम-से-कम उन्हें उतनी राशि ही मिलेगी जितनी मार्केट में है।

एमएसपी का फॉर्मूला

फसल की कृषि लागत + फसल के लिए श्रम + मांग आपूर्ति की स्थिति

मंडी मूल्य, बाज़ार मूल्य + अंतरराष्ट्रीय बाजार में मूल्य= न्यूनतम समर्थन मूल्य

दुनियाभर में लोग किसानों के पक्ष में

बीते कुछ दिनों में लगातार किसानों का प्रदर्शन हो रहा है। हाल ही में किसानों ने मांग उठाई कि जितने भी कानून हैं, उन्हें हटा दिया जाए।

अब देखना यह है कि किसान कब तक अपनी मांगों को लेकर दिल्ली बॉर्डर पर डटे रहेंगे। वहीं, अगर देखा जाए तो भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी चाहे वह अमेरिका हो, कनाडा हो या फिर यूनाइटेड किंगडम, हर जगह किसानों के पक्ष में लोग आगे आ रहे हैं।

कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रुडो ने तो खुलेआम इस बात की अपील भी कर दी कि मैं किसानों के साथ खड़ा हूं। बॉलीवुड से भी लोग सपोर्ट में आगे आ रहे हैं। अभिनेता सोनू सूद ने कहा कि किसान हमारे माँ-बाप के समान हैं। दिलजीत दोसांज ने किसानों के लिए एक करोड़ की धनराशि दान की है।

आशा करते हैं कि किसानों की मांगें और सरकार के बीच का मसला जल्द-से-जल्द सुलझ जाए मगर सरकार कानून बनाएगी तो उसे 18 करोड़ तक हर एक फसल के लिए एक नया कानून और बनाना होगा, जो कि उस पर बोझ है। वहीं, अगर ये कानून ना हटाए गए तो किसानों के ऊपर रोज़ी-रोटी का सवाल खड़ा हो जाएगा।

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