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“चलो जो हुआ सो हुआ, नए साल अब नई उम्मीदें लाना”

डियर ज़िन्दगी,

हर बार की तरह साल के आखिरी हफ्ते में इस साल को अच्छे से उलट पलटकर देखने के बाद इसकी फाइल बंद करने का वक्त आ गया है। यह साल बहुत उतार-चढ़ाव लिए रहा। आप सोच रहे होंगे कि जब सभी लोग इस साल को मनहूस कह रहे हैं, तो मैं क्यों इसमें चढ़ाव की बात कर रहा हूं?

अजी! भारत ही नहीं, दुनिया भर में एयर क्वालिटी इंडेक्स यानि AQI में सुधार हुआ है, यमुना का पानी साफ हुआ, बेंगलुरु, दिल्ली, पुणे जैसे शहरों में ट्रैफिक नहीं दिखा।

सहारनपुर से लेकर पंजाब तक घरों की छत से हिमालय दिखने लगा, शहरों में गायब हो रही गौरैया दिखने लगी, शहरों में होने वाले गाड़ियों का शोर शराबा कम हुआ आदि आदि आदि।

सिक्के का एक पहलू उम्मीद से ज़्यादा दर्दनाक

पर यह सिक्के का केवल एक पहलू था। सिक्के का दूसरा पहलु बहुत दर्दनाक रहा जिसने न केवल दुनिया को स्वास्थ्य, आर्थिक, सामाजिक रूप से हिला कर रख दिया। हम सभी लोग अचानक घरों में बंद हो गये, कई प्रवासी लोग काम न होने की वजह से पैदल ही घरों को चल दिए जिसमें कईयों की मौत सड़कों पर ही हुई।

हम सभी के किसी न किसी जानने वाले की नौकरी इस लॉकडाउन में गयी ही है, कोरोना की वजह से दुनिया भर में मरने वालों की संख्या अचानक बढ़ गयी। यह एक ऐसी समस्या की तरह आया जिसने कई विकसित देशों की जड़ें हिला कर रह दी।

आओ ज़िन्दगी को नए सिरे से बुनें

खैर! ज़िन्दगी में उतार चढ़ाव तो लगा ही रहता है। बस बहुत बाद इस उतरने चढ़ने के दौर में सीढियां उतनी सही नहीं होती और छड्डो जी ये सब तो वो बातें थी जिसमें हमारा कोई कंट्रोल नहीं था पर गिर कर दुबारा खड़े होने पर तो हम कंट्रोल बना सकते हैं।

ये वक्त अपने लिए नई सीढियां गढ़ने का है। इस आखिरी हफ्ते में कागज़ कलम उठा कर अपनी नई मंजिलों को लिख कर पहली जनवरी से उस राह में चलने का है। हम सभी अलग अलग उम्र के पड़ावों में हैं किसी की प्राथमिकता अभी स्कूल है तो किसी की कॉलेज, किसी की नौकरी तो किसी की शादी या बच्चे , कोई अपना रिटायमेंट प्लान कर रहा है तो कोई कुछ और प्लान कर रहा होगा। बस इस साल की यही सीख है कि अब थोड़ा नया नजरिया रखना होगा और नई तैयारियां करनी होंगी।

डॉक्टरों की तरह टीचर भी ग्रैंड वारियर की लिस्ट में शामिल हैं।

एजुकेशन सेक्टर में काम करने के दौरान मैंने देखा कि अध्यापक कितनी मेहनत कर के अपने बच्चों तक पहुंच रहे थे। जहां ऑनलाइन क्लास थी वहीं फोन के अलावा टीचर्स ने घर घर जा कर भी प्रयास किये ताकि सीखने सिखाने का दौर न रुके। उन अध्यापकों को ज्यादा मेहनत करते देखा जो अपनी रिटायमेंट की उम्र के नजदीक थे और उन्हें ऑनलाइन एजुकेशन का काम नए सिरे से सीखना पड़ा। उनके जज़्बे ने मुझे बहुत प्रभावित किया।

झारखंड में दुमका जिले के जरमुंडी ब्लॉक के डुमरथर गाँव में घर की दीवार पर थोड़ी दूरी के साथ कई ब्लैकबोर्ड बना दिये गये हैं, ताकि सोशल डिस्टेंसिग का पालन हो सके। इन्हीं ब्लैकबोर्ड पर छात्र शिक्षक के पढ़ाये पाठ लिखते भी हैं और सवाल के जवाब भी लिख कर देते हैं। तस्वीर में स्कूल शिक्षक डॉ सपन कुमार हाथ में कम्युनिटी लाउड स्पीकर लेकर छात्रों को पढ़ा रहे हैं। तकरीबन 200 से ज़्यादा छात्र इस विशेष कक्षा में पढ़ने पहुंच रहे हैं।

छोड़ो कल की बातें, कल की बात पुरानी

पिछला साल अलविदा कह रहा है ऐसे में पुरानी गलत आदतों को छोड़ कर नए साल में प्रवेश किया जा सकता है। न केवल बुरी आदतों को बल्कि उन लोगों को भी जिनको देख कर लगता है कि इस को अगर पीछे छोड़ भी दें तो ज़िन्दगी में थोड़ी बेहतरी आएगी क्योंकि उन लोगों ने ज़िन्दगी में चरस बोने के अलावा कुछ नहीं किया। प्यार फैलाइए ज़िन्दगी में हर दिन खुद को बेहतर इंसान बनाने में लगाइए और खुले दिल के साथ स्वागत कीजिये नए साल का।

और हां भाई, 2021 तू भी जरा घर से दही चीनी खा कर निकलना पिछले साल तूने बहुत रायता फैलाया है। इस साल तेरे पास भी मौका है कि कोरोना की वैक्सीन जल्द से जल्द सबको पहुंचा कर तू अपने पिछले साल के कुकर्मों की माफी मांग सकता है।

खैर! ज़िन्दगी चलती रहनी चाहिए। गिरिये, संभलिये चलिए बस ज़िन्दगी के रास्ते में रुकिए मत। धीरे-धीरे ही सही आगे बढ़ते रहिये।

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