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गन्दा है पर धंधा है: जिस्मफरोशी किसी के लिए मज़ा और किसी के लिए सज़ा

सेक्स वर्कर

देह व्यापार हमारे समाज की एक ऐसी कड़वी सच्चाई है, जिसके बारे में अमूमन हर कोई बात करने से कतराता है। तमाम कानूनों एवं कोशिशों के बावजूद सदियों से यह धंधा पूरी दुनिया में फलता-फूलता रहा है। बावजूद इसके कुछ देशों को छोड़ कर दुनिया भर में सेक्स वर्कर्स की स्थिति दयनीय बनी हुई है। कठिनतम परिस्थितियों में जीवनयापन, असुरक्षित यौन संबंध और आये दिन पुलिस तथा स्थानीय दलालों की गुंडागर्दी जैसी समस्याओं से आये दिन उन्हें दो-चार होना पड़ता है।

इसे ही ध्यान में रखते हुए वर्ष 2003 में अमेरिका की एनी स्प्रिंकल नामक सेक्सोलॉजिस्ट ने International Day to End Violence Against Sex Workers को मनाने की शुरुआत की। एनी पूर्व में खुद भी एक सेक्स वर्कर रह चुकी हैं। जिस वजह से उन्होंने इन समस्याओं को बेहद करीब से महसूस किया और इसके लिए आवाज बुलंद की। आज उनकी यह मुहिम दुनिया भर में सेक्स वर्कर के अधिकारों एवं सुरक्षा की मुहिम के रूप में फैल चुकी है। इसी संदर्भ में  भारत में देह व्यापार की स्थितियों और सेक्स वर्कर्स की समस्यााओं पर एक नजर।

जिस्मफरोशी और ज़िन्दगी के काले बादल, जो कभी नहीं छटते

‘मेरा फन फिर मुझे बाज़ार में ले आया है,
ये वो जां है के जहां मेहर-ओ-वफा बिकते हैं।
बाप बिकते हैं और लख्ते जिगर बिकते हैं,
कोख बिकती है, दिल बिकते है, सिर बिकते है।

उपरोक्त पंक्तियां कहने को तो एक गाने की हैं, लेकिन व्यावहारिक धरातल पर देखें, तो यह सदियों से हमारे समाज में व्याप्त एक कड़वी सच्चाई है। एक ऐसी सच्चाई, जिसे झूठ में बदलने के लिए अब तक न जाने कितने कानून बन चुके। एक ऐसी हकीकत, जिसे ख्वाब में बदलने के लिए सैकड़ों-हजारों लोग, सरकारी तथा गैर-सरकारी संस्थाएं काम कर रही हैं। लेकिन नतीजा अब भी वहीं ढाक के तीन पात।

जिस्म की बोलियां

50 रुपये लेकर 5000 रुपये में बिकता है जिस्म। एक नज़र डालते हैं देश के महत्वपूर्ण कोठों पर:
जीबी रोड (दिल्ली), चतुर्भुज स्थान (मुजफ्फपुर), सोनागाछी, कालीघाट, बहू बाजार (कोलकाता), सराय (गया), शिवदासपुर (वाराणसी), कमाठीपुरा (मुंबई), कबाड़ी बाजार (मेरठ), मीरगंज (इलाहाबाद)।

ये सभी नाम भले ही अलग-अलग जगहों के हैं, लेकिन इन सबके बीच एक समानता है और वह है जिस्मफरोशी। पिछले करीब 10 वर्षों से दिल्ली के जीबी रोड में गलियों में महिलाओं एवं बच्चों की शिक्षा, जागरूकता एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम कर रही संस्था कट कथा की डारेक्टर गीतांजलि बब्बर की मानें, तो इस इलाके में करीब दो हजार सेक्स वर्कर्स (कट कथा संस्था के लोग इन्हें ‘दीदी’ कहते हैं) हैं। यहां 50 रुपये से लेकर 5000 रुपये तक में सेक्स बिजनेस होता है। यहां इस धंधे में लिप्त ज्यादातर लड़कियां आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात और आसाम से हैं। बिहार, झारखंड और बंगाल की हिस्सेदारी तुलनात्मक रूप से कम है।

वहीं अजमेर में करीब साढ़े पांच सौ सेक्स वर्कर्स के लिए सरकारी स्तर पर कम्युनिटी हेल्थ एंड अवेयरनेस प्रोग्राम चला रहीं सुल्ताना बताती हैं- “अजमेर में जिस्मफरोशी का धंधा असंगठित रूप से होता है। हमारी संस्था उनके स्वास्थ्य, शिक्षा और जागरूकता के मुद्दों पर काम करती है। इस धंधे में शामिल लड़के-लड़कियां अपनी मर्जी से अपना कस्टमर चुनते हैं, इसलिए यहां सेक्स वर्कर्स की स्थिति संगठित क्षेत्रों या वेश्यालयों में रहनेवाले वर्कर्स की तुलना में बेहतर है।”

दिल्ली के जीबी रोड में साढे तीन सौ रुपये फिक्स रेट हैं। जिसमें से सेक्स वर्कर को मात्र 100 रुपये ही मिलते हैं। बाकी का पैसा दलाल रख लेते हैं। ज्यादातर सेक्सवर्कर्स हेल्थ प्रॉब्लम्स से जूझ रही हैं। सुल्ताना की मानें, तो जब इन्होंने उन वर्कर्स को हॉस्पिटल जाने की सलाह दी तो उनका कहना था कि हॉस्पिटल में सारे लोग उन्हें गंदी नज़रों से देखते हैं और उनके साथ बुरा व्यवहार करते हैं। इसलिए वे वहां जाना नहीं चाहतीं।

सेक्स वर्क की वैधानिकता के साइड इफेक्ट

राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ललिता कुमारमंगलम के अनुसार, वेश्यावृत्ति को वैधानिक कर देने से महिलाओं की तस्करी रूक जायेगी। साथ ही इसकी वैधता के बाद सुरक्षित तरीके से यौन संबंध बनाना आसान होगा।

इससे यौन कर्म में लगी महिलाओं का एचआईवी सहित तमाम संक्रामक यौन रोगों से बचाव भी हो सकेगा। यौन-कर्म को वैधता प्रदान करने के साथ ही ऐसे कानूनी प्रावधान किये जाने चाहिए, जिससे इस पेशे में लगी महिलाओं के कामकाज के घंटे और उनका पारिश्रमिक तय हो सके ताकि उनके स्वास्थ्य की भी उचित देखभाल हो सके।

वर्ष 2010 में यौनकर्मी महिलाओं के पुनर्वास के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गयी थी। याचिका की सुनवाई करने वाली बेंच के एक जज ने कहा था कि अगर महिलाओं की एक बड़ी तादाद देह व्यापार में संलग्न है, तो हमें इसे कानूनी दर्जा दे देना चाहिए, ताकि यौन कारोबार को विनियमित किया जा सके। हालांकि देह व्यापार को वैधानिकता प्राप्त होने की स्थिति में इस अमानवीय पेशे के अंतहीन दलदल में धकेल दी गयी छोटी-छोटी बच्चियों की संभावित दुर्दशा पर गौर करना भी जरूरी है। कारण कि जिस्मफरोशी की वैधता से जुड़े दूसरे देशों के अनुभव बताते हैं कि जहां-जहां भी वेश्यावृत्ति को कानूनी मान्यता दी गयी है, वहां इस काम से जुड़ी महिलाओं की हालत पहले से बेहतर नहीं है।

जर्मनी में इसको कानूनी रूप देने के बाद वहां महिला देहकर्मियों की संख्या संख्या दोगुनी हो गयी। बावजूद इसके बहुमंजिली इमारतों मे चलनेवाला यह कर्म अब भी 90 फीसदी गैरकानूनी है। नीदरलैंड में इसको वैधानिक बना देने के बाद भी वहां इस कर्म से जुड़ी महिलाओं की कार्य-स्थितियां बदतर हुई हैं। नीदरलैंड सरकार खुद अब यह मानती है कि उसने इस काम को कानूनी मान्यता देकर एक राष्ट्रीय भूल की है।

सारे सुधारात्मक प्रयास बस ‘हाथी के दांत’ हैं

बिहार के गया जिले में बाल अधिकार एवं तस्करी के मुद्दे पर काम कर रहे हैं सोशल वर्कर तबरेज अहमद की मानें, तो आमतौर पर गया का सराय क्षेत्र रेड लाइट एरिया के तौर पर मशहूर है, लेकिन असलियत में बोधगया ट्रैफिकिंग का गढ़ बना हुआ है।

इंटरनेशनल टूरिस्ट डेस्टिनेशन होने के कारण वहां जिस्मफरोशी का बहुत वृहत कारोबार चलता है, लेकिन छिपे तौर पर। वह आगे बताते हैं “सालाना 20-25 ऐसे मामले हमारे पास आते हैं। जिनमें से करीब 50 फीसदी बोधगया क्षेत्र के होते हैं। वहां से देश-विदेश में 12 से 20 वर्ष तक के लड़के-लड़कियों की सप्लाई होती है। इस धंधे में कई सफेदपोश बड़े लोग भी शामिल हैं। लोकल लेवल पर दो से पांच हज़ार के बीच चौबीस घंटों के लिए सेक्सवर्क कराया जाता है। यहां कोई भी सरकारी योजना कारगर तरीके से लागू नहीं होती।

वहीं पटना के वीणा सिनेमा के पास एक सेक्सवर्कर ने मुलाकात के दौरान बताया कि पटना जंक्शन के आसपास 100-150 सेक्सवर्कर (मेल-फीमेल मिला कर) हैं, जो स्वतंत्र तरीके से यह काम करते हैं। अपनी मर्जी से कस्टमर चुनते हैं और उसके अनुसार ही पैसे लेते हैं। कानूनी पचड़े से बचने के लिए पुलिस को हर हफ्ते उन्हें एक निश्चित रकम देनी होती है। कभी-कभार कोई एनजीओ द्वारा उन्हें राशन, कंडोम या अन्य जरूरी चीजें मुहैया करायी जाती हैं।

कुछ ऐसे रास्ते अपनाए जा सकते हैं, जो सेक्स वर्कर्स के उद्धार के लिए मील का पत्थर साबित होंगे

इन लोगों को कोई भी सरकारी सुविधा प्राप्त नहीं है. पुलिस भी केवल क्राइम क्रट्रोल के लिए मौजूद रहती है। दरअसल यहां बाजार से लेकर कानून तक का एक पूरा इको-सिस्टम बना हुआ है, जहां ‘एक-दूसरे की मदद’ के जरिये सारा काम चल रहा हैं। सरकार को इस इको-सिस्टम को तोड़ने की जरूरत है।गीतांजलि बब्बर, डायरेक्टर, कट कथा

सरकार अगर वाकई इन सेक्स वर्कर के लिए कुछ करना चाहती है तो वो इन्हें लाइवलीहुड प्रोग्राम से जोड़े, क्योंकि इस दलदल में फंसनेवाले ज्यादातर लोग गरीब और बेरोजगार होते हैं। इसके अलावा सोशल स्टिगमा को भी तोड़ने की जरूरत है, ताकि कोई भी सेक्स वर्कर एक सामान्य जिंदगी जीने के लिए प्रोत्साहित हो सके। आखिर वे भी हमारे समाज का ही हिस्सा है और उन्हें भी हमारी-आपकी तरह सम्मानपूर्वक जीने का पूरा हक है।तबरेज अहमद, सोशल वर्कर, गया

हर आठ मिनट में होता है एक बच्ची का अपहरण बाल संरक्षण आयोग की एक रिपोर्ट बताती है कि देश मे हर आठ मिनट में एक बच्ची का अपहरण होता है। हर साल 60 हजार से भी अधिक बच्चियों को देह व्यापार में धकेल दिया जाता है, जिनमें एक तिहाई के करीब कम उम्र की बच्चियां शामिल हैं। वर्ष 2013-14 में गायब हुए 67 हजार बच्चों में से 45 फीसद बच्चों की तस्करी देह व्यापार के लिए की गयी थी।

झारखंड में बाल तस्करी के विरूद्ध पिछले कई वर्षों से काम कर रहे हैं वैद्यनाथ कुमार रॉय कहते हैं, CWC के आंकड़ों की मानें, तो झारखंड में हर महीने 18 वर्ष से कम उम्र के 20 से 25 बच्चे गुमशुदा होते हैं, जिनमें से ज्यादातर लड़कियां होती हैं। लेकिन अफसोस कि पुलिस थानों के क्राइम रिकॉर्ड डाटा में इनका कोई जिक्र नहीं है।

दरअसल भारत के कानून में सामानों की चोरी ज्यादा अहम है, बच्चों के जिंदगी की कोई कीमत नहीं। राज्य सरकार द्वारा राज्य भर में कुल 16 एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट्स का गठन किया है, लेकिन वह केवल दिखावे के लिए है। जमीनी स्तर पर  उसके द्वारा कोई कार्यवाही नहीं होती है।

दुनिया के सबसे बड़े देह व्यापार के बाज़ार का लेखा-जोखा

भारत : 8.4 अरब डॉलर

भारत का देह व्यापार कानून बेहद पेचीदा है। कारण यहां निजी आवास में पैसे देकर किसी बालिग के साथ आपसी सहमति से सेक्स करना कानूनी है, लेकिन सार्वजनिक जगहों पर, होटल में ऐसा करना, अड्डा चलाना या इसे बढ़ावा देना गैरकानूनी है।

इंडोनेशिया : 2.25 अरब डॉलर

इंडोनेशिया में देह व्यापार गैरकानूनी है. इसे नैतिक अपराध माना जाता है। बावजूद इसके मुस्लिम बहुल इंडोनेशिया में देह व्यापार काफी फैला हुआ और संगठित है। यूनिसेफ के मुताबिक इंडोनेशिया में देह व्यापार से जुड़ी 30 फीसदी युवतियां नाबालिग है।

स्विट्जरलैंड: 3.5 अरब डॉलर

स्विट्जरलैंड में देह व्यापार के अड्डे को आम तौर पर “सेक्स रूम” कहा जाता है। इसे सरकार से वित्तीय मदद भी मिलती है। यह शहर के केंद्र से बाहर होते हैं। वहां शावर, लॉकर, डेस्क और वॉशिंग मशीन भी होती है। ज्यूरिख शहर ने तो देह व्यापार के ठिकाने को शहर से दूर बसाने के लिए 26 लाख डॉलर भी दिया है।

तुर्की: 4 अरब डॉलर

तुर्की में देह व्यापार कानूनी है लेकिन देह व्यापार को बढ़ावा देना प्रतिबंधित है। तुर्की का अप्रावसन कानूनी देह व्यापार के लिए तुर्की आने की इजाजत नहीं देता है। लेकिन इसके बावजूद तुर्की 10वें नबंर पर है।

फिलीपींस : 6 अरब डॉलर

फिलीपींस में देह व्यापार  गैरकानूनी है, लेकिन बहुत ज्यादा गरीबी और इंटरनेट तक आसान पहुंच की वजह से फिलिपींस सेक्स टूरिज्म के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। यहां तक कि बच्चे और नाबालिग भी इसका शिकार हो रहे हैं।

थाइलैंड : 6.4 अरब डॉलर

वियतनाम युद्ध के बाद से ही थाइलैंड सेक्स टूरिज्म के लिए मशहूर है। थाइलैंड में देह व्यापार कानूनी है, लेकिन खास जगहों पर ही देह व्यापार की अनुमति है। स्थानीय अधिकारी कभी-कभार यौनकर्मियों की रक्षा भी करते हैं।

दक्षिण कोरिया : 12 अरब डॉलर

हालांकि दक्षिण कोरिया में यह गैरकानूनी है। लेकिन कोरियन वुमेन्स डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट कुछ और ही कहानी बयान करती है। दक्षिण कोरिया में देह व्यापार का कारोबार 12-13 अरब डॉलर का है। यह जीडीपी का 1.6 फीसदी है। रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण कोरिया के 20 से 64 साल के 20 फीसदी पुरुष महीने में औसतन 580 डॉलर देह व्यापार पर खर्च करते हैं।

अमेरिका : 14.6 अरब डॉलर

अमेरिका में (नेवाडा राज्य के कुछ इलाकों को छोड़ कर) देह व्यापार कानूनी है। यहां देह व्यापार के लिए बाकायदा आधिकारिक तौर पर आवेदन किया जा सकता है। इस कारोबार से जुड़े लोगों को टैक्स, कर्मचारियों की हिफाजत, न्यूनतम मजदूरी, बीमा, मेडिकल जांच के नियम मानने पड़ते हैं।

जर्मनी : 18 अरब डॉलर

अनुमान के मुताबिक जर्मनी में 40,000 सेक्स वर्कर हैं। यह कानूनी है लेकिन सामाजिक दशा और अधिकारों से जुड़े कई नियम हैं। यौनकर्मियों को दूसरे पेशों की तरह सामाजिक सुरक्षा मिल सकती है। देह व्यापार के लिए मजबूर करना या स्थिति का लाभ उठाना अपराध है।

जापान: 24 अरब डॉलर

जापान में 1956 के एंटी प्रोस्टिट्यूशन एक्ट के अनुसार- “कोई भी व्यक्ति यौनकर्मी नहीं बनेगा और न ही ग्राहक बनेगा।” कानूनीकमियों के चलते ही जापान में सेक्स उद्योग शुरू हुआ, लेकिन यह उद्योग खुद को देह व्यापार नहीं कहता है।

स्पेन : 26.5 अरब डॉलर

यूएन यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक 39 फीसदी स्पेनिश पुरुषों ने एक-न-एक बार यौनकर्मी से संबंध जरूर बनाये हैं, जो कि यह हॉलैंड और ब्रिटेन से 14 फीसदी ज्यादा है।

चीन : 73 अरब डॉलर

दुनिया का सबसे बड़ा यौन कारोबार उस देश में होता है, जहां देह व्यापार गैरकानूनी है। चीन में सरकार यौनकर्मियों के साथ अपराधियों की तरह पेश आती है। बावजूद इसके यहां के मसाज पार्लरों, बार और नाइट क्लबों में यह फलता-फूलता रहता है।


संदर्भ- DW हिन्दी, वेब दुनिया, drishtiias, हरिभूमि

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