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अपने गाँव से कॉलेज जाने वाली पहली लड़की सपना की कहानी

क्या आप जानते हैं कि आज़ादी के 70 साल बाद भी हरियाणा में ऐसे गाँव हैं, जहां एक भी बच्चा कभी कॉलेज नहीं गया है? हरियाणा को देश के विकसित औद्योगिक राज्यों में गिना जाता है मगर किसे विश्वास होगा कि यहां प्रेम नगर, संजय नगर और तारपुर जैसे गाँव हैं, जहां से एक भी बच्चा कॉलेज नहीं जा पाया है।

इन गाँवों में नशा, बाल विवाह, गरीबी और बेरोज़गारी जैसी सामाजिक बुराइयां व्याप्त हैं। ये गाँव करनाल ज़िले के यमुना बेल्ट पर स्थित हैं और अत्यधिक आर्थिक और सामाजिक पिछड़ेपन का सामना कर रहे हैं।

इन गाँवों के अधिकांश बच्चे अपने परिवार से स्कूल जाने वाली पहली पीढ़ी हैं तथा इन गाँवों में पढ़ाई का माहौल नहीं होने के कारण बच्चों को तरह-तरह की मुसीबतों से सामना करना पड़ता है।

आइए आपको 19 वर्षीय सपना की कहानी बताते हैं, जो कॉलेज जाकर उच्चतर शिक्षा प्राप्त करने के लिए अपने गाँव की पहली व्यक्ति है। सपना ने 12वीं कक्षा में टॉप किया था लेकिन आगे पढ़ाई करने की इच्छुक होने के बावजूद कॉलेज में प्रवेश के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा।

फोटो साभार- Varitra Foundation

उसके माता-पिता उसे गाँव के बाहर पढ़ने के लिए भेजने से डर रहे थे। वारित्रा फाउंडेशन की टीम ने सपना के परिवार से कई बार मुलाकात की और उनके माता-पिता से बातचीत के बाद आखिरकार उन्होंने सहमति जताते हुए नज़दीकी स्थानीय कॉलेज में दाखिला लेने के लिए कहा मगर सपना करनाल शहर के एक बेहतर कॉलेज में जाने की इच्छुक थी और अपने माता-पिता से इस बात पर ज़ोर देती रहीं।

सपना का शिक्षा के प्रति जुनून को देखते हुए, वारित्रा टीम फिर से उसके घर गई और उसके माता-पिता को मना लिया। उसके पिता ने आखिरकार सहमति जताई और कहा,

अब सपना का एडमिशन आप लोग ही कराओगे।

वारित्रा टीम ने सपना का दाखिला कराने में मदद की और इस तरह सपना के कॉलेज जाने का सफर शुरू हुआ। आज सपना दूसरे वर्ष बी.ए. की छात्रा है और हर रोज़ शहर जाती है और शाम को हमारे LEC में स्वयंसेवा (Volunteering) भी करती हैं ताकि अपने गाँव में छोटे बच्चों के शिक्षा स्तर में सुधार हो सके।

उन्होंने हाल ही में युवा नेतृत्व पर प्रवाह संस्था (दिल्ली) के साथ एक फेलोशिप प्रोग्राम पूरा किया है। जिस क्षेत्र में हम काम करते हैं, वहां हमारी लड़कियों के आने-जाने, काम करने पर निषेध व नियंत्रण रखना आज भी प्रचलित है।

सपना जिन्होंने पिछले साल तक पड़ोसी शहर भी नहीं देखा था, आज वर्कशॉप, समारोह इत्यादि में भाग लेने के लिए दिल्ली तक अकेली आती-जाती हैं।

उनके अपने शब्दों में, वह लड़कियों के लिए बनाए गए  ‘चक्रव्यूह’ को तोड़ने की कोशिश कर रही है। वह किसी दिन पुलिस अधिकारी बनना चाहती है और घरेलू हिंसा, शराबबंदी और महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ काम करना चाहती है।


Varitra Foundation के बारे में: एक युवा-नेतृत्व वाला संगठन है, जो ग्रामीण युवाओं के साथ काम करते हुए ग्रामीण शिक्षा प्रणाली को बदलने की दृष्टि से स्थापित किया गया है। इसकी स्थापना बलजीत यादव (TISS मुंबई और DU Alum) और ऐषणा कल्याण (Xaviers and XIC Mumbai Alum) द्वारा जनवरी २०१८ में की गई थी।

बलजीत और ऐषणा दोनों ही ग्रामीण हरियाणा से हैं और शिक्षा और युवा नेतृत्व में काम करना चाहते थे। प्रत्येक ग्रामीण बच्चे के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने और अभाव के इस चक्र को रोकने के उनके जुनून ने उन्हें मुंबई में अपनी नौकरी छोड़ने के लिए प्रेरित किया। आज वे करनाल ज़िले के पिछड़े और दूरदराज़ के गाँवों में सरकारी स्कूलों को पुनर्जीवित कर उन्हें मॉडल स्कूल बनाने की दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।

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