क्यों पेरियार और डॉक्टर अम्बेडकर हर लड़की और महिला के हीरो होने चाहिए? चाहे वो महिला घर पर रहकर खाना बनाती हो या कॉलेज में जाकर खुद को मॉडर्न समझकर अपने सपनों को जीती हो। वैसे तो इन दोनों हस्तियों ने समाज के कई पहलुओं पर काम किया है मगर यहां केवल हम महिलाओं से जुड़ी बातों का ज़िक्र करेंगे। वहीं, आजकल इनकी मूर्तियां तोड़ते लोग आपको जब-तब दिख जाएंगे।
मै जानना चाहता हूं कि जब कुछ लोग और जिनमें तथाकथित ऊंची जाति के लोग अम्बेडकर और पेरियार की मूर्ति तोड़ते है, तब उनकी घर की महिलाओं को बुरा क्यों नहीं लगता?
मेरा मतलब है उनकी पत्नी, माँ, चाची, बहन, या बुआ उन्हें ऐसा करने से रोकती क्यों नहीं है। क्या वो भूल गईं हैं या कहें वो जानती ही नहीं कि इन्हीं महापुरुषों ने अपनी ज़िन्दगी लगा दी, उन्हें उनका हक दिलावाने में।
धार्मिक मान्यताएं और महिलाओं के हक के लिए लड़ते पेरियार
क्या वो भूल गई की 8- 9 साल की उम्र में उनकी जबरदस्ती शादी करवा दी जाती थी और फिर उनके पति हर रोज़ उनका बलात्कार करते थे और उन्हें इसका विरोध करने का भी हक नहीं था, क्योंकि पति तो परमेश्वर होता है इसलिए वो सब कुछ सहन करती जाती थीं ।
छोटी सी उम्र में बच्चे पैदा करने शुरू हो जाते थे। इस दौरान बहुत सी लड़कियों की मौत भी हो जाती थी। 15-20 बच्चे पैदा करना आज से 70 साल पहले बहुत ही आम बात थी। मेरी दादी ने ही 11 बच्चे पैदा किए थे। 1960 से 1985 के बीच में। हर महिला को इस दर्द से गुज़रना पड़ता था चाहे वो महारानी हो या नौकरानी, क्योंकि महारानी भी महाराज के पैरों की जूती ही हुई करती थी, ऐसी ही किसी वज़ह से मुमताज (शाहजहां की पत्नी) की मृत्यु भी चौदहवे बच्चे को जन्म देते हुए हुई थी।
पहले एक पुरुष कितनी भी पत्नी रख सकता था परन्तु महिला केवल एक, वो पत्नियां केवल यौन संतुष्टि के लिए होती थी, जैसे 1 राजा की कई रानियां। महिलाएं ना ज़मीन खरीद सकती थीं, ना पढ़ सकती थीं, ना स्वतंत्र होकर जी सकती थीं फिर शादी से इनकार करने का तो कोई विकल्प ही नहीं था।
विधवा स्त्री तो अपने आप में श्रापित घोषित थी इसलिए सती करके ज़िंदा ही जला दिया जाता था। पिता-पति का, ससुराल का विरोध नहीं कर सकती थीं। माहवारी के दौरान मंदिर भी नहीं जा सकती थीं हालांकि ये तो अब भी होता है।
- पेरियार की गलती बस इतनी थी कि वो नास्तिक थे और धार्मिक लोगो द्वारा रची गई मान्यताओं और प्रथाओं को गलत ठहराते थे। इन्होंने पूरी ज़िन्दगी महिलाओं के उत्थान के लिए लगा दी।
- इन्होंने कहा कि शादी दो लोगों की सहमति से होनी चाहिए ना की महिलाओं पर थोपी जानी चाहिए। “कुदी अरसु” पत्रिका में लिखते हैं कि महिलाओं को गर्भ निरोधक तरीकों का सहारा लेना चाहिए, ताकि उन्हें केवल बच्चे पैदा करना और परिवार की ज़िम्मेदारी के बोझ से मुक्ति मिल सके।
- उन्होंने देवदासी प्रथा का विरोध किया, ये 1 ऐसी प्रथा है, जहां छोटी बच्चियों को मन्दिर में लाया जाता है। पूरी उम्र वहीं उसे नाचना, गाना, सारे काम करना और पुजारियों, महंतों की हवस का शिकार होना, धड़ाधड़ बच्चे पैदा करना होता था।
- इन्होंने महिला समानता, शिक्षा, आत्मसम्मान के लिए लड़ाई लड़ी, वो महिलाओं के हक के लिए, सभी लोगों कि शिक्षा के लिए लड़ रहे थे और इसके बावजूद भी जब असफलता हाथ लगी जिसके कारण उन्होंने 1925 में कांग्रेस को त्याग दिया।
- ये चाहते थे कि महिला अपनी मर्ज़ी से शादी करे, अपनी मर्ज़ी से तलाक भी ले सके और अपनी मर्ज़ी से बच्चे पैदा करे।
- महिलाओ और दलितों पर होने वाले हर दुर्व्यवहार का विरोध किया।
- सामुदायिक खाना बनाना और बाल पोषण केंद्र की मांग की ताकि महिलाएं घर से निकलकर सामाजिक मुद्दों में भी हिस्सा ले पाएं। अंधविश्वास खत्म करने की कोशिश की धर्म के नाम पर होने वाले अत्याचार के खिलाफ आवाज़ उठाई।
महिलाओं को हक दिलाते संविधान निर्माता डॉ. अंबेडकर
डॉ. अंबेडकर ने संविधान तैयार करने में मुख्य भूमिका निभाई थी।
1. संपत्ति पर पारिवारिक हक। Hindu Succession Act(1956)
एक हिंदू महिला के पास कोई भी संपत्ति उसकी पूर्ण संपत्ति हैऔर उसे पूरे अधिकार दिए जाते हैं कि वे उसे जैसे चाहे वैसे प्रयोग कर सकते हैं।
2. हिन्दू मैरिज एक्ट (1955)
3. अपनी मर्जी से शादी करना।
4. बच्चे दत्तक ग्रहण करने का हक(गोद लेना)। The Hindu Adoption and Maintenance Act, 1956।
5. शिक्षा का अधिकार।
6. तलाक का अधिकार।
7. समानता का अधिकार।
8. मातृत्व अवकाश(Maternity leave)
9. ज़मीन खरीदना।
10. विधवा होकर भी समाज में समान अधिकार से जीना।
11. मतदान का अधिकार।
12. समान वेतन समान कार्य का सभी को बिना लिंग भेद के( Article 39 D)
13. माईनस मेटर्निटी बेनीफिट एक्ट
14.वूमन लेबर वेल्फेयर फंड
15. वुमन एण्ड चाइल्ड लेबर प्रोटेक्शन एक्ट।
16.कोल माईन में महिलाओं के काम करने पर पाबंदी।
17. महिलाओं को गरिमा व सम्मान [Article 51(A)(C)]
18. समाज, राजनीति में समानता का अधिकार (Article 14 )
19. प्रत्येक पंचायत में प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा भरी जाने वाली सीटों की एक तिहाई महिलाओं के लिए आरक्षित होगी [Article 243-D (3)]।
20. प्रत्येक स्तर पर पंचायतों में अध्यक्षों की कुल संख्या का एक तिहाई हिस्सा महिलाओं के लिए आरक्षित किया जाएगा [अनुच्छेद 243-डी (4)]।
21. प्रत्येक नगर पालिका में प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा भरी जाने वाली सीटों की एक तिहाई महिलाओं के लिए आरक्षित होगी [अनुच्छेद 243-टी (3)]।
22. नगर पालिकाओं में अध्यक्षों के कार्यालय इस तरह से महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे, जैसे राज्य विधानमंडल प्रदान कर सकता है [Article 243-T(4)]।
23. राज्य को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि महिला श्रमिकों के स्वास्थ्य और ताकत का दुरुपयोग नहीं किया जाता है और उन्हें आर्थिक मज़बूती के लिए मज़बूर नहीं किया जाता है ताकि वे अपनी ताकत के लिए दर्ज़ कर सकें( Article 39 E)।
24. राज्य को महिलाओं के लिए कोई भी विशेष प्रावधान बनाने का अधिकार है। यह प्रावधान राज्य को महिलाओं के पक्ष में सकारात्मक काम करने में सक्षम बनाता है [अनुच्छेद 15 (3)]
25. कानूनी रूप से अलग होने पर पति से रख-रखाव भत्ता।
वहीं, डॉ. अंबेडकर ने “हिन्दू कोड बिल” पास ना होने पर कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। ये सभी योगदान केवल वह हैं, जो महिलाओं के विकास से जुड़े है। अन्यथा इन महापुरूषों ने और क्षेत्रों में भी बहुत काम किया है। आप बताइए इनमें से कौन सी बात आपको पसंद नहीं आई और यदि नहीं आई तब फिर भी मूर्ति चाहे किसी की भी हो, उन्हें तोड़ना केवल संपत्ति को नुकसान पहुंचाना है?
उससे कुछ हासिल नहीं होगा। यदि आपको किसी के विचार पसंद नहीं है, तब खुलकर बोलिए। अपना पक्ष रखिए। विरोध कीजिए। बोलने की पूरी आज़ादी जो हमें संविधान ने दी है, जो इन्हीं में से एक महापुरुष ने तैयार किया है।