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काग़ज़ की कहानी इंटरनेट पर!

शीर्षक: भारतीय व्यवस्था को आईना दिखाती है “कागज़”

पहले मैंने सोचा कि नहीं यार मैं रिव्यू नहीं लिखूंगा इतने सारे लोग तो लिखते ही हैं और मेरे लिखने या न लिखने क्या फ़र्क पड़ जाएगा। फ़िर मैंने सोचा कि फ़िल्म देखकर भी रिव्यू नहीं लिखूंगा तो शायद ये पंकज त्रिपाठी के साथ नाइंसाफी हो जाएगी। 

तो चलिए कलम से बात आगे बढ़ाते हुए “काग़ज़” पर चलते है। बीते दिनों OTT के प्लेटफॉर्म Zee5 पर पंकज त्रिपाठी की फ़िल्म काग़ज़ रिलीज़ हुई। फ़िल्म के निदेशक सतीश कौशिक हैं, और फिल्म में लीड रोल में पंकज त्रिपाठी, मोनल गज्जर और सतीश कौशिक जैसे कलाकार हैं। 

फ़िल्म की कहानी

ज़िला आजमगढ़, उत्तर प्रदेश। फ़िल्म एकदम देशी दमदार अंदाज़ में शुरू होती है। जिसके लिए पंकज त्रिपाठी जाने भी जाते हैं। कहानी उस भरत लाल (पंकज त्रिपाठी) की है जो गांव में बैंड बजा की एक दुकान चला के आम जीवन जीता रहता है। फ़िर एक दिन अपनी पत्नी रुकमणि (मोनल गज्जर) के कहने पर भरत लाल बैंक से लोन लेने का सोचता हैं, जिससे उनकी चल रही बैंड बजा की छोटी से दुकान बड़ी हो सके।

अब कहानी आगे बढ़ते हुए बैंक तक पहुंचती है, जहां पता चलता है कि लोन लेने के लिए तो काग़ज़ चाहिए वो भी ज़मीन के। अब भरत लाल ज़मीन के काग़ज़ के लिए अपने पैतृक गांव खलीलाबाद जाता है जहां उसके चाचा चाची और चचेरे भाई लोग रहते हैं।

ज़मीन के काग़ज़ मांगने पर उसे लेखपाल के पास भेज दिया जाता है जहां उसे मालूम पड़ता है कि वो तो काग़ज़ पर मृतक है। इसके बाद कहानी दिलचस्प मोड़ लेती है और दिलों को एकदम झकझोर कर रख देती है। 

कलाकारों की एक्टिंग

जैसे जैसे पंकज त्रिपाठी सिनेमा में आगे बढ़ते जा रहे हैं परफेक्टशन उनका गुलाम बनता जा रहा है। फ़िल्म कैसे भी हो, अच्छी हो या बुरी हो मैटर वो नहीं करता है। पंकज त्रिपाठी उस फ़िल्म में है बस यही मैटर करता है और पंकज त्रिपाठी भी अपने दर्शकों और फैंस को ज़रा भी निराश नहीं करते है।

इस फ़िल्म मे पंकज त्रिपाठी ने जो किरदार निभा कर दिखाया है वो अपने आप में एक्टिंग की मास्टर क्लास है। जब-जब गांव, देहात खेत, खलिहान, लुंगी और साइकिल जैसे चीजों में देशी एक्टिंग करनी हो तो बस एक ही नाम नज़र आता है वो पंकज त्रिपाठी ही हैं और उन्होंने काग़ज़ में साबित करके भी दिखाया है।

भरत लाल की पत्नी के रोल में मोनल गज्जर की एक्टिंग में भोलापन, मासूमयित और नज़ाकत ने दिल जीत लिया। फ़िल्म में ज्यादा जगह न मिलने के बावज़ूद भी उन्होंने बहुत ही खुबसूरत तरीके से शानदार एक्टिंग की है। सतीश कौशिक की एक्टिंग ने कहीं पर भी दर्शकों को बोर नहीं होने दिया है। 

अगर आप रियल बेस्ड स्टोरी फ़िल्म के शौकीन हैं और बहुत दिनों से किसी अच्छी फ़िल्म की तलाश में थे तो काग़ज़ आपको ज़रूर देखना चाहिए। 

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