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चलो! 2021 से एक डेमोक्रेटिक डिजिटल दुनिया में प्रवेश करें.

डिजिटल युग में डेमोक्रेसी

इस दशक में प्रवेश करते हुए हमें ये बात गाँठ बाँध लेनी चाहिए कि दुनिया में किसी भी चीज़ का फ़ैलाव उसके ‘ यूजर फ़्रेंडली ’ होने पर नहीं बल्कि सरकार के ‘ मिसयूज़ फ़्रेंडली ’ होने पर निर्भर करता है। इसका सबसे बढ़िया उदाहरण है इंटरनेट, इसकी शुरुआत सरकारी हथियार के तौर पर अमेरिकी कोल्ड वॉर के समय रसियन सेटेलाइट स्पूतनिक के साथ आज से करीब  50 साल पहले हुई थी। आज क़रीब 700 करोड़ लोग इसी हथियार का उपयोग अपने विचारों की आज़ादी के लिए करते हैं।

दरअसल यह गलती मानव सभ्यता के इस आलसी रवैये की है हम चाहते हैं कि हमारे जीवन से जुड़ी हुई दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए एक ही स्थान हो, जहाँ हमें हमारी आवश्यकताओं के अनुरूप सब कुछ मिल जाए’ हमारे बस इसी रवैये का फायदा सरकारें उठाती आई हैं। ज़रा सोचिए आज इंटरनेट की सबसे बड़ी सोशल मीडिया कम्पनी फेसबुक है जिसने इन्स्टाग्राम और व्हाट्सएप का भी अधिग्रहण कर लिया है। अब ज़रा सोचिए अगर अमेज़ॉन और गूगल भी इनके साथ मिल जाएं तो चीन जैसे साम्यवादी देश को छोड़ कर पूरे विश्व पर इन कम्पनियों का कब्ज़ा हो जाएगा या अगर हम यह कहें कि हो चुका है तो यह कोई बड़ी अतिश्योक्ति नहीं होगी।

हमें बाहर से देखने पर ज़रूर ज़मीनों पर खिंची लकीरों से उभरे देशों की लड़ाई दिखेगी लेकिन इस लड़ाई की लगाम इसी फेमिली ‘ इंटरनेट बुल ’ के हाथ में होगी।

यह वर्तमान की सबसे बड़ी समस्या है लेकिन इससे बचने के कुछ उपाय मौजूद हैं, आइए आज इन उपायों की बात करते हैं।

सबसे पहले ईस्ट इंडिया जैसी विदेशी कम्पनियों से बचिए

ईस्ट इंडिया कम्पनी ने भी यह कभी नहीं बताया था कि ‘ वे हमारे देश में केवल व्यवसाय करने के उद्देश्य से कम बल्कि हमें अपनी व्यावसायिक नीतियों से गुलाम बनाने आये हैं। उन्होंने बस अपना धंधा फैलाया और उस धंधे के बीच जो भी आता गया उसको समाप्त करने के लिए तरह तरह के प्रपंच रचे। ‘ चाहे विदेशी चाइनीज़ एप्स हों या स्वदेशी अम्बानी, अडानी, टाटा और पतंजलि जैसी कंपनियां, ये सभी कुछ इसी तरह ही अपने अपने क्षेत्र में मोनोपॉली कर रहीं हैं।

खैर, इस सब में सबसे बड़ा योगदान जिओ का है इसलिए आप सबसे पहले अपनी मोबाइल सम्बन्धी सेवाओं के लिए अपनी सिम जियो से किसी अन्य मोबाइल सेवा प्रदाता कम्पनी में पोर्ट करा लीजिये। इससे इतर आपके पास ऑप्शन में सिर्फ़ AIRTEL और VI मोबाइल सेवा प्रदाता कम्पनियां हैं। यदि BSNL जो कि भारत सरकार का ही एक मोबाइल सेवा प्रदान करने वाला एक उपक्रम है और आपके एरिया में उसके अच्छे नेटवर्क हैं तब BSNL में पोर्ट कराने में कोई बुराई नहीं है।

अपने मोबाइल में प्ले स्टोर से एप्स डाउनलोड और बाजार या ऑनलाइन व्यावसायिक वेबसाइटों से मोबाइल खरीदते समय यह ध्यान रखें कि वे कम से कम चाइनीज़ न हों बाकी आपको जो भी कम्पनियां अपनी मोनोपॉली या तानाशाही करती दिखें उन्हें पहचानते रहिए और उनसे बचते रहिए।

ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर ने दिए हैं डेमोक्रेटिक अल्टरनेटिव –

जो कम्पनियां आज मोनोपॉली करने की कोशिश कर रही हैं उनके सोर्स कोड का कंट्रोल सिर्फ उन्हीं के पास होता है, वही इसको मोडिफाई कर सकती हैं ऐसे सॉफ्टवेयर क्लोज्ड सॉफ्टवेयर कहलाते हैं। जबकि ओपन सोर्स ऐसे सॉफ्टवेयर कहलाते हैं  जिनका सोर्स कोड सभी के लिये खुला हो, कोई भी व्यक्ति या ऑर्गेनाइजेशन ‘ ओपन सोर्स इनिशिएटिव ’ से लाइसेंस ले कर सॉफ्टवेयर के कोड को अपनी ज़रूरत के हिसाब से ढाल सकता है।

ये ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर काफी हद तक एक अच्छे एनजीओ की तरह कार्य करते हैं, इन पर न किसी सरकार का नियंत्रण है न ही किसी प्राइवेट कम्पनी का ये फ़्री भी होते हैं और अपनी शर्तों की आड़ में छुपे हुए खर्चों से आपकी जेब भी हल्की नहीं करते।

डिजिटल तानाशाही से बचने के लिए मार्केट में कई ओपन सोर्स एप्स और सॉफ्टवेयर उपलब्ध हैं। ये ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर आपकी सुरक्षा को मद्दे नज़र रख कर बनाये गये हैं, आपको अब क्लोस्ड एप्स सॉफ्टवेयर्स की जगह ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर्स का भरपूर इस्तेमाल शुरू कर देना चाहिए।

फेसबुक, व्हाट्सएप और इन्स्टाग्राम अल्टरनेटिव

व्हाट्सएप ने अब खुले तौर पर अपनी मनमानी शुरू कर दी है, अब वह स्पष्ट रूप से कह रहा है कि या तो यूजर (उपभोक्ता ) हमारी शर्तों पर सहमत हो अन्यथा वह हमारा एप छोड़ दे। अब जिनको यह डिजिटल दादा चाहिए वो यहाँ बने रहें और जो इसकी मनमानी से बचना चाहते हैं, वो नीचे दिए गए इन विकल्पों पर आ जाएं लेकिन यह ध्यान रखिये कि सिर्फ व्हाट्सएप छोड़ने से कुछ नहीं होगा क्योंकि फेसबुक ने इन्स्टाग्राम और व्हाट्सएप का खुद में विलय कर लिया है जिसके कारण अब वह एक हो चुके हैं।

वैसे आम आदमी के लिए तो यह थोड़ा आसान है पर यदि आपका व्यवसाय ही इन प्लेटफार्मों पर निर्भर है तो आपके इन्हें बदलते ही वह भी डूबेगा लेकिन कुछ ही महीनों में जब ये एप्स उतने ही लोकप्रिय होंगे तो आपका धंधा भी ज़्यादा सेफ़ होगा और आप भी।

. व्हाट्सएप चैटिंग

मैसेंजर बदलना आसान काम नहीं है पर Signal और Wire जैसे दो ओपन सोर्स मेसेजिंग एप प्ले स्टोर पर आसानी से उपलब्ध हैं, आप इन दोनों एप्स में ग्रुप चैट, मीडिया शेयरिंग, फोन कॉलिंग और वीडियो कॉलिंग भी कर सकते हैं। इन्हें आप अपने नार्मल एसएमएस और आईमेसेज के तौर पर भी बदल सकते हैं।

. इन्स्टाग्राम अल्टरनेटिव

इन्स्टाग्राम से आज़ादी के लिए आपके पास ओपन सोर्स एप्स Pixelfed बढ़िया ऑप्शन है अगर आप फ़ोटोग्राफी से जुड़े व्यक्ति हैं तो आप EyeEm उपयोग करना अधिक पसंद करेंगे।

. फेसबुक, ट्विटर अल्टरनेटिव मैस्टोडॉन

ओपन सोर्स सोशल मीडिया एप्स में मैस्टोडॉन सबसे कामयाब साइट्स में से एक है। यह पूरी तरह से सुरक्षित एवं यूज़र फ़्रेंडली है। इसमें वर्ड लिमिट ट्विटर से ज़्यादा है और आप अपने पोस्ट में सेंसटिव कंटेंट शेयर करते समय वार्निंग भी एड कर सकते हैं।

Minds एक और एप है जिसमें आप वीडियो, ब्लॉग, इमेज और स्टेटस पोस्ट कर सकते हैं। अपने ग्रुप में सुरक्षित रूप से मेसेज भी भेज सकते हैं, वीडियो चैट भी कर सकते हैं, फ़ीड और हैशटैग ट्रेंडिंग से अपने पसंद के आर्टिकल्स भी सर्च कर सकते हैं। इस प्लेटफार्म पर आप अपने कॉन्ट्रिब्यूशन से कमाई भी कर सकते हैं।

इन एप्स के उपयोग से आप फेसबुक, इन्स्टाग्राम, व्हाट्सएप और ट्विटर की तानाशाही से भी बच सकते हैं लेकिन सिर्फ इन एप्स को बदलने से ही काम नहीं चलेगा वरन हमें इन एप्स पर अपनी निर्भरता कम करनी होगी।

किसी दिन गूगल ने काम करना बंद कर दिया तो ?

14 दिसम्बर को गूगल 30 मिनट के लिए बंद था। अचानक ही मेरे गूगल मैप ने काम करना बंद कर दिया। मैं खुद एक रास्ते पर था और मुझे जहाँ पहुँचना था, वहां मैं 1 घंटे लेट पहुंचा। उस दिन मुझे एहसास हुआ कि आज हमारी दुनिया गूगल के बिना अधूरी है। हमारी हर छोटी-बड़ी जानकारी, हमारी नौकरी, पैसा, जीवन की हर चीज़ कहीं न कहीं किसी न किसी रूप में गूगल से जुड़ी हुई है।

गूगल पर इसी साल हमारे मोबाइल के नॉन-गूगल एप्स का डाटा चुराने का आरोप लगा है इसलिए अब आपको गूगल पर स्वयं की निर्भरता को खत्म करने की ज़रूरत है। इसके लिए सबसे पहले आप अपना ब्राउज़र बदलिए। इसमें आपके पास Brave और Tor ब्राउज़र सबसे अच्छे ऑप्शंस हैं, फिर अपना सर्च इंजन बदलिए इसमें आपके पास सबसे सुरक्षित ऑप्शंस Duck Duck Go और Qwant हैं।

आप Ecosia ब्राउज़र भी चुन सकते हैं, इस ब्राउज़र की खास बात है कि यह आपकी सर्च गतिविधियों से पैसा कमा कर उसका एक बड़ा हिस्सा पेड़ लगाने में इन्वेस्ट करता है। इसके सर्वर्स भी 100% रिन्युएबल एनर्जी पर काम करते हैं। अपना डाटा अपलोड करने आप गूगल ड्राइव की जगह Mega या Yendesk का इस्तेमाल कर सकते हैं। ईमेल सर्विस में आपके पास ProtonMail और Tutanota बेस्ट विकल्प हैं। गूगल मैप की जगह आप OsmAnd का इस्तेमाल कर सकते हैं।

यू ट्यूब की जगह आप Libry या किसी Peertube क्लाइंट का इस्तेमाल कर सकते हैं। पियरट्यूब तो कॉर्पोरेट मोनोपॉली के विरोध करने के उद्देश्य से ही बनाया गया है साथ ही यह एड्स पर भी डिपेंड नहीं है और यह आपको ट्रैक भी नहीं करता है। यहां आप अपने वीडियो होस्ट कर सकते हैं।

बेहतर होगा कि आप बाक़ी ज़रूरी काम जैसे केलकुलेटर, केलेंडर, पीडीएफ़, ऑफ़िस, स्केनिंग, एंटी-वायरस, एप-लैपटॉप क्लीनिंग के लिए भी आप ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर्स का इस्तेमाल करें, जिससे आपके एप्स आप पर कभी तानाशाही न कर पाएं

प्राइवेसी का भविष्य

इसी आज़ादी में अगला कदम तब होगा जब लिनक्स आधारित ऐसे मोबाइल फोन जो गूगल प्ले स्टोर और आईओएस स्टोर से आज़ाद हों और जो आपको जी मेल या फ़ेसबुक से लॉग इन करने मजबूर न करें, बाकी हमें हर साइट पर लॉग इन करने में जीमेल या फ़ेसबुक से लॉग इन करने की स्वयं की आदत बदलनी होगी।

सुरक्षित मोबाइल फोन्स की बात करूँ तो मार्केट में Black Phone 2 और Liberam 5 आ चुके हैं, इसके अलावा सबसे सुरक्षित फोन में हमारा पुराना प्यार Nokia 3310 तो है ही वैसे Microsoft Lumia 930 और Google Nexus 5 भी काफ़ी सुरक्षित माने जाते हैं।

डिजिटली अवेयर और प्राइवेसी कंसर्न्ड कोस्मोपोलिटन सिटीजन की भूमिका

इस दशक की विश्व शान्ति के लिए हमको डिजिटली अवेयर और प्राइवेसी कंसर्न्ड नागरिक की भूमिका निभानी होगी, ऐसे महत्वपूर्ण कदम उठाकर ही हम डिजिटल प्राइवेसी और लोकतांत्रिक विश्व की ओर बढ़ेंगे ताकि ग्लोबल इंटरनेट बेस्ड कम्पनियां हमारा डाटा अन्य कम्पनियों को न बेच पाएं न ही हमारे देश में राजनैतिक रूप से दखल कर पाएं।

डिजिटल शोषण से सुरक्षित भविष्य का निर्माण करने और अपने बच्चों, समाज के लिए एक सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल बनाने के लिए हम सबको अपने कदम ध्यान से उठाने होंगे। ऐसे कदम हमको ऐसे ईको सिस्टम में कैद नहीं होने देंगे जो हमको नियंत्रित कर सके।

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