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पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर केंद्र और राज्य का खेल, लगी आग कौन बुझायेगा?

पेट्रोल की आग में जलती जनता और सरकार मौज में

या

डीजल और पेट्रोल के बढ़ते भाव आम जनता के लिए नुकसान और सरकार के लिए मुनाफा

 

एक तरफ जहां विशेषज्ञों की राय है कि सरकार की तरफ से लोगों के हाथों में वित्तीय सहायता दी जानी चाहिये। जिससे बाज़ार में मांग बढ़े। उसके ठीक विपरीत सरकार तेल की कीमतों में इज़ाफा कर लोगों की क्रय क्षमता को कम कर रही है। तेल की कीमतों में इजाफा होने से बाजार में लगभग सभी वस्तुओं के दामों में बढ़ोतरी होगी। इसका नतीजा होगा लोग कम से कम खरीदारी करेंगें। परिणाम स्वरूप बाज़ार में मांग खत्म होगी और बाज़ार धीरे-धीरे गिरने लगेगा।

कुछ महत्वपूर्ण शहरों में पेट्रोल और डीजल की कीमत

दिल्ली – पेट्रोल – ₹85.20 , डीजल- ₹75.38
मुम्बई – पेट्रोल – ₹91.80, डीजल – ₹82.13
कोलकाता – पेट्रोल – ₹86.63, डीजल – ₹78.97
चेन्नई – पेट्रोल – ₹87.85, डीजल – ₹80.67
पटना – पेट्रोल – ₹87.71, डीजल – ₹80.52
लखनऊ – पेट्रोल – ₹84.75, डीजल -75.75
भोपाल – पेट्रोल – ₹93.06, डीजल – ₹83.31
खुदरा बाजार मे तेल खरीद दाम से 3 गुना दर पर बिकता है।

वर्तमान में तेल का खरीद दर लगभग 27-28 रुपये है। इस पर केंद्र सरकार Excise Duty यानी कि उत्पाद शुल्क लगाती है वहीं राज्य सरकार वैट(VAT/local tax/sales tax) चार्ज करती है। केंद्र और राज्य सरकार का टैक्स मिलकर पेट्रोल पर लगभग 39% तो डीजल पर 42.5% है। इस पर 2-3 रुपये का फ्रेट(गाड़ी से लाने ले जाने का खर्च) लगता है। इसके बाद इस पर डीलर का कमीशन आ जाती है। लगभग 6-8 रुपये। जो कुल मिलाकर पेट्रोल के दाम को बढ़ाकर कर देती है 84-85 रुपये। यह दाम अलग-अलग राज्यों में थोड़ा कम-ज्यादा होता है क्योंकि ये निर्भर करता राज्य सरकार की वैट(VAT) की दर पर।

पिछले 6 साल में उत्पाद शुल्क में 3 गुना से अधिक की बढ़ोतरी-

वर्तमान में पेट्रोल पर ₹32.98 और डीजल पर ₹31.83 की excise duty लगती है। वहीं 2014 में जब #NDA ने देश की सत्ता का कार्यभार संभाला था। तब पेट्रोल पर लगने वाली excise duty ₹9.48 और डीजल पर लगने वाली एक्साइज duty ₹3.56 थी। ना केंद्र सरकार और ना ही राज्य सरकार Excise Duty और VAT कम कर रही है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि कोरोना वायरस महामारी के चलते 2020 में बाज़ार ठप रहा और वाहनें भी कम चले। इसकी वजह से तेल की खपत में भी कमी आई। Petroleum Planning and Analysis Cell (PPAC) के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल-नवंबर 2020 में डीजल की खपत 44.9 मिलियन टन ही रहा जबकि पिछले साल 55.4 मिलियन टन की खपत हुई थी। यदि पेट्रोल की बात करें तो पिछले साल (2019 – 20.4mn tones 2020 – 17.4mn tones) के मुकाबले खपत में 3 मिलियन टन की गिरावट आई।

खपत में कमी के बावजूद उत्पाद शुल्क से कमाई में बढ़ोतरी हुई।

पेट्रोल-डीजल की इतनी कम खपत के बावजूद पिछले साल के मुकाबले सरकार को Excise Duty से कमाई में 48% की वृद्धि हुई। Controller General of Accounts (CGA) के अनुसार साल 2019 अप्रैल-नवंबर में Excise duty से सरकार को मिलने वाला कर ₹1,32,899 करोड़ था। जबकि अप्रैल-नवंबर 2020 में यह बढकर ₹1,96,432 करोड़ हो गया। यदि NDA के कार्यकाल की बात करें तो 2014 से केंद्र और राज्य सरकार दोनों की पेट्रोल-डीजल से होने वाली कमाई लगातार बढ़ी है।  2014-15 में केंद्र की कमाई 1,72,065 करोड़ रुपए थी, 2019-20 में ये बढ़कर 3,34,314 करोड़ हो गया। वहीं राज्य सरकारों की बात करें तो 2014-15 में 1,60,554 करोड़ रुपये की थी जो 2019-20 में बढ़कर 2,02,155 करोड़ रुपये हो गया।

कीमतों में बढ़ोतरी मूल कारण उत्पाद शुल्क का बढ़ना

उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी मुख्य रूप से पिछले साल मार्च और मई के दौरान पेट्रोल और डीजल पर करों में वृद्धि के कारण हुई थी। सरकार ने पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 13 प्रति लीटर और डीजल पर 16 लीटर प्रति लीटर की दर से बढ़ा दिया था। इसके साथ, पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 32.98 प्रति लीटर और डीजल पर 31.83 प्रति लीटर हो गया।

पेट्रोल-डीजल पर GST से हो सकती है तेल की कीमतों में गिरावट

गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) 2017 में अपनी शुरुआत के बाद से अधिकांश उत्पादों पर लागू होता है। जबकि तेल उत्पादों और प्राकृतिक गैस को इससे बाहर रखा गया है। GST लागू करने से अधिकतम कर 28% होगा जबकि वर्तमान में यह 42% तक चला जाता है। पेट्रोल-डीजल पर इसके लागू होने तेल की कीमतों में काफी गिरावट सकती हैं। लेकिन सरकार इसे अमल में नही ले रही है। हालांकि कई बार या यूं कहें कि बीच-बीच मे इसकी मांग उठती है लेकिन कोई सुनवाई नही होती।

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