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बढ़ती बेरोज़गारी एक विकसितशील राष्ट्र के लिए खतरा

देश में बढ़ती बेरोज़गारी

वर्तमान में आज बेरोजगारी देश की प्रमुख समस्या बनती जा रही है। इसके प्रमुख कारण जनसंख्या वृद्धि, पूँजी की कमी, अनुपयुक्त शिक्षा प्रणाली आदि हैं । यह समस्या वर्तमान समय में युवावर्ग के लिये घोर निराशा का कारण बनती जा रही है।चाहे वह गरीब परिवार हो या मध्यमवर्गीय, ग्रामीण हो या शहरी, सभी वर्गों के युवा बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं।

हमारी सरकार बेरोजगारी की समस्या से निजात दिलाने के लिए शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार नवीनतम प्रयास कर रही है, परन्तु इससे उबरना इतना आसान नहीं है। जब तक जनसंख्या नियंत्रण और आर्थिक विकास में प्रगतिशील बदलाव नहीं होंगे,तब तक बेरोजगारी पनपती रहेगी।

बेरोज़गारी एवं उसके प्रमुख तत्व

बेरोजगारी का आशय उस अवस्था से है ‘ जब कोई योग्य व्यक्ति किसी कार्य में निपुण होता है लेकिन उसे उसकी योग्यतानुसार  कार्य नहीं मिलता उस अवस्था को बेरोज़गारी कहते हैं। कई बार इच्छाशक्ति की कमी भी युवाओं को मानसिक रूप से अक्षम बनाती है और कई बार तो पूंजी की कमी भी स्वरोजगार में बाधक होती है। ‘

ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या वृद्धि होने से कृषकों की संख्या बढ़ गई है। जिसके कारण कृषि भूमि की कमी एवं बेरोजगारी में बढ़ोत्तरी हुई है। पिछले कुछ वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों का तेजी से विकास हुआ और गाँवों को शहरों से जोडा गया है। सडक, पानी, बिजली लगभग भारत के सभी गाँवों तक पहुंचने के बाद भी ग्रामीण युवाओं को अपेक्षाकृत रोजगार उपलब्ध नहीं हो पाया है। इसके लिए हमें संगठित ढंग से काम करना अतिआवश्यक है।

हम देखते हैं कि ऐसे अनेक युवा बेरोजगारी से परेशान हैं | जो शिक्षित तो हैं लेकिन तकनीकी एवं व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त न होने के कारण रोजगार से वंचित हैं । अशिक्षित युवा जीवनयापन के लिए शहरों में पलायन करते हैं | वहाँ उन्हें अल्पकालीन रोजगार मिलता है जो कि उनकी निरंतर आय का एक स्थाई स्त्रोत नहीं बन पाता है।

अधिकतर निजी औद्योगिक इकाईयां निर्धारित मौसम में ही चालू रहती हैं। इस प्रकार श्रमिकों को भी पूर्णकालिक रोजगार नहीं मिलता है। ऐसी ही समस्या शहरी इलाकों में भी है। अब प्रश्न यह उत्पन्न होता है कि जब सरकार द्वारा गंभीरता से रोजगार मूलक अनेक प्रभावी योजनाएं संचालित हैं, उसके बाबजूद भी बेरोजगारी में कमी क्यों नही आ रही है…?

इसका एक प्रमुख कारण भारतीय बैंकिंग व्यवस्था भी है, क्योंकि शासकीय योजनाओं में बैंकों द्वारा पर्याप्त सहयोग नहीं किया जा रहा है। जिसके कारण शासकीय योजनाओं के संचालन का लाभ बेरोजगार युवकों को नहीं मिल रहा है।

बेरोज़गारी उन्मूलन की दिशा में कुछ महत्वपूर्ण बातें

जनसंख्या नियंत्रण एवं परिवार नियोजन कार्यक्रम सभी वर्गों के लिए सख्ती से लागू होने चाहिए, क्योंकि अब कोई भी वर्ग अल्पसंख्यक नहीं रहा है। ऐसा नहीं है कि बेरोजगारी की समस्या समाप्त नहीं हो सकती क्योंकि यह समस्या हमारे द्वारा ही उत्पन्न की गई है,और इसे समाप्त करने के लिए हमें आर्थिक एवं उदारवादी रूप से ठोस कदम उठाने होंगे।

इसके लिए आवश्यक है कि रोजगार दिलाने वाली शासकीय योजनाओं को व्यवस्थित तरीके से सरलीकरण करके उन्हें ठीक से लागू किया जाये। तकनीकी एवं व्यावसायिक शिक्षा को शिक्षा का आधार बनाया जाए। आवश्यकता इस बात की भी है कि इस गंभीर समस्या को दूर करने के लिये हमें सरकार का सहयोग करना चाहिए ।

कोई भी सरकार कितना भी ‘ भारत निर्माण की बात करे लेकिन जब तक हमारे देश का युवा बेरोजगारी के चंगुल में जकड़ा रहेगा तब तक हमारे विकसित राष्ट्र का सपना साकार नहीं होगा। ‘

 

 

 

 

 

 

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