एक पति अपने घर से दूर नौकरी करने जाता है और उस समय उसकी पत्नी गर्भवती होती। उसकी पत्नी परदेश गए अपने पति को रोज फोन पर वापस आने के लिए बोलती है लेकिन उसके पति को पता है कि वह नौकरी नहीं छोड़ सकता क्योंकि उसी नौकरी से उसके घर की रोजी रोटी चलती है तो वह गर्भ में पल रहे अपने बेटे को संबोधित करके कहता है-
जरा समझा दे, अपनी माँ को वह मुझे बहुत सताती है
तू अभी आया ही नहीं जमीं पर, पर मुझको वो रोज बुलाती है
मेरी जिम्मेदारियां, मेरे कुछ फर्ज हैं जिनको निभाना है,
जैसे तेरी माँ भी घर पर अपने फर्ज निभाती है।
तेरा अहसास, तेरी याद, तेरे सपने मैं भी रोज देखता हूँ
वो भी तेरी माँ है, जो बेटे को बाप से रोज मिलाती है
तेरी हर हरकत हर एक शैतानी मुझे है मालूम,
वो और कोई नही तेरी माँ ही है, जो मुझे हर बात बताती है।
कभी तू हाथ कभी तू लात चलाता है माँ के उदर में,
थोड़ा ख्याल रख वो अब चलने में थक भी जाती है।