नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई एके वर्सिस एके आपने देख ही ली होगी। अगर नहीं देखी है तो तुरंत देख लीजिए। ये बात खासकर उन दर्शकों के लिए है जो हिन्दी सिनेमा में वही घिसी पिटी प्रेम कहानियों, रिमेक आदि से तंग आ चुके हैं और सिनेमा में नई तरह की कहानी का इंतज़ार कर रहे हैं। एके वर्सिस एके आपके लिए ही बनी है।
क्या है कहानी?
एके वर्सिस एके की कहानी एक शो से शुरू होती है जहां अनुराग कश्यप और अनिल कपूर के बीच बहस हो जाती है. अनुराग गुस्से में पानी से भरा गिलास अनिल कपूर के मुंह पर दे मारते हैं. इसके बाद सारा मीडिया जगत अनुराग के खिलाफ हो जाते हैं।
यहां तक कि नवाज़ुद्दीन सिद्दकी भी उनके साथ काम करने से मना कर देते हैं। यहीं से उनके मन में अनिल कपूर से बदला लेने का ख्याल आता है। वह अनिल कपूर की बेटी सोनम कपूर को किडनैप कर लेते हैं और उन्हें कुछ घंटों का टाइम देते हैं कि वो अपनी बेटी को ढूंढ़े जो कैमरे पर शूट होता रहेगा। नो डायलॉग, नो लोकेशन, नो मैकअप नथिंग। एव्री थिंग इज़ रियल।
दरअसल, बदला लेने या सामने वाले को एहसास कराने के लिए की ‘मैं तुमसे बेहतर हूं’ ही इस फिल्म की असली कहानी है, जो कॉमेडी, थ्रिल, इमोश्नल, सस्पेंस से होती हुई अपने अंजाम तक पहुंचती है।
असली और फिल्मी दुनिया का गज़ब तालमेल
विक्रमादित्य मोटवाने के निर्देशन में बनी ये फिल्म असली और फिल्मी दुनिया के अंतर को लगभग खत्म करती नजर आती है. जहां फिल्म में चल रहे सीन को देखकर आप यह समझ नहीं पाएंगे की ये असली में हो रहा है या फिल्माया गया है।
सब कुछ असली सा लगे इसके लिए डाएलॉग से लेकर स्क्रीन प्ले तक पर पूरा-पूरा ध्यान दिया गया है. कलाकारों के नाम, स्टेटस, घर की लोकेशन तक सब कुछ रियल है। ज्यादातर सीन चलते फिरते से नजर आते हैं ताकी कहानी और भी रियल लगे। रही बची कसर फिल्म में बोले डायलॉग पूरा कर देते हैं, जिसके बाद कहानी पूरी तरह रियल लगने लगती है।
कलाकरों ने कैसा काम किया है?
फिल्म में मौजूद सभी कलाकार सिर्फ अपने नाम से नहीं बल्कि अपने काम से भी पूरी तरह रियल नजर आते हैं। शायद यही वजह है की ये कहानी होकर भी कहानी सी नहीं लगती है. अनिल कपूर, अनुराग कश्यप, सोनम कपूर, बोनी कपूर, हर्षवर्धन कपूर आदि सभी ने अपने किरदार के साथ पूरा पूरा न्याय किया है।
कोई भी कहीं चूकता नजर नहीं आता है। अनुराग कश्यप कई जगह एक शरारती बच्चे की तरह नजर आते हैं, जिसको सामने वाले को परेशान करने में मज़ा आ रहा है। वहीं, अनिल कपूर ने एक बेबस लाचार बाप जो कि एक सेलीब्रिटी भी हैं, का किरदार बेहद दमदार तरीके से निभाया है। कई जगह उनकी यह दमदार एक्टिंग ही दर्शकों को फिल्म से बांधने का काम करती है।
सिनेमा में नए प्रयोग की ओर पहल
एके वर्सिस एके विक्रमादित्य मोटवाने, अविनाश संपत और अनुराग कश्यप के सनेमा में नए-नए प्रयोग की पहल का नतीजा है। जहां वह बनी बनाई फिल्मी स्क्रिप्ट से हटकर नई कहानियों पर काम करते नजर आते हैं. इसमें विक्रमादित्य मोटवाने की झोली से मसान. क्वीन, लूटेरा, एनएच 10 जैसे बेहतरीन फिल्मी हमारे बीच हैं।
वहीं दूसरी ओर अनुराग कश्यप ने गैंग ऑफ वासेपुर, द लंच बॉक्स, हरामखोर जैसी फिल्में दीं. यह फिल्म हिन्दी सिनेमा में नए दौर की शुरुआत हो सकती है. जहां बड़ी बड़ी लोकेशन, ग्लैमरस दुनिया से इतर दमदार कहानियों पर अधिक जोर दिया जाएगा.
क्यों देखी जानी चाहिए फिल्म?
अगर आप सिनेमा प्रेमी हैं और घिसी पिटी कहानियों से तंग आ चुके हैं तो यह फिल्म आपको जरूर देखनी चाहिए. क्योंकि इसमें दमदर कहानी से लेकर जबरदस्त एक्टिंग देखने को मिलेगी. जिसे फिल्म मेकर्स ने बखूबी स्क्रीन पर फिल्माया है।
फिल्म आपको ब्लैक कॉमेडी, थ्रिल, स्सपेंस का फुल डोज देती है. इसके अलावा सिनेमा में खासकर के हिन्दी सिनेमा में किए गए नए प्रयोग के लिए भी यह फिल्म देखी जानी चाहिए।