दुनिया में हर इंसान के पास होता है कुछ अनुभव और उसके आधार, पर पैदा हुआ नज़रिया। इन दोनों को मिला कर देखें तो ठीक-ठाक इंच-टेप इनको मिल जाता है जिससे कि अंततः वो कह ही देते हैं, “लड़का एवरेज है”। इसके और भी उदाहरण हैं जैसे कि, ‘होनहार’, ‘खराब’ या ‘बहुत खराब’। मगर मैं इस लेख में सिर्फ “एवरेज” की ही बात करूंगा। इस शब्द को मैंने बहुत नज़दीकी से झेला है और कुल मिला के कहें तो जिस समाज के साथ मैं रहा उन्होंने इस शब्द का आइना मुझे दे दिया।
जी आप बिलकुल सहमत होंगे की मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, लेकिन क्या आप सहमत हैं कि जिस समाज को आप अपने जीने का आधार मानते हैं वह विश्वासपात्र और भरोसेमंद है? इसको समझने के लिए मैं अपनी आयु के 14 /15 वर्ष से लेकर 18 वर्ष के सामाजिक अनुभव को जाहिर करता हूँ। बेहद खूबसूरत, एक अपनी दुनिया, चाहें वह अच्छी हो या बुरी। घर से लेकर स्कूल और गली-मोहल्ला, जो आपको देता है उसे आप खुशी-खुलशी अपना लेते हैं इस उम्र में। सब अच्छा लगता है और जो नहीं लगता उसका कोई विकल्प भी नहीं होता आपके पास।
दोस्त के नाम पर स्कूल के 5 -10 पलटन। वो भी इस कदर की सब एक दूसरे से बड़े बनने में लगे थे। पारिवारिक व्याख्यान, जातिगत व्यवहार और हर बात पर एक दूसरे से बड़ा बनना और कुछ लोग तो किसी श्रीमान को बड़ा मान कर स्वीकार भी कर लिए थे। सच पूछिए तो दोस्तों का अनुभव आज के आधार पर कहें तो किसी एक्सप्लोइटेड स्टार्टअप कल्चर जैसा था। या तो गैंग का हिस्सा समझ चुप हो कर सहभागी बनिए और ज़रूरत के आधार पर दोस्ती के नाम पर ऊंच-नीच का खेल खेलते रहिए।
इन सब को समझते हुए मैंने चुना ‘मौन’। शायद इसलिए नहीं कि यह ऑप्शन वैकल्पिक था, इसलिए कि मैं सबकुछ होता देख रहा था। अंग्रेजी में कहें तो bullying, humiliating, insulting और न जाने कैसे-कैसे अनुभवों से या तो मैं जूझ रहा था या जूझते हुए देख रहा था।
इन सबके बीच स्कूल। जहां कुछ शिक्षक तो साक्षात भगवान और कुछ तो बिजनेसमैन। कई और भी थे लेकिन मैं यहां एक ही शिक्षक का अनुभव जाहिर करता हूं। फिज़िक्स के एक टीचर ने स्कूल में सामाजिक बेइज्ज़ती शुरू कर दी क्योंकि वो मुझे स्कूल के अलावा उनसे ही प्राइवेट ट्यूशन लेना चाहते थे।
इन सब के बीच थी मेरी पढाई-लिखाई। मेरे जैसे इंसान के लिए यह संभव ही नहीं था कि इसके बावजूद भी मैं पढ़ाई-लिखाई को कैसे झेलूं? इसलिए उनसे दूरी लगातार बनती गयी। समय के साथ सबकुछ बदला। दोस्त, स्कूल, शिक्षा और खास तौर पर मेरा नज़रिया। बस बदला नहीं तो वो था मेरे सामाजिक अनुभव का इतिहास। नतीजन आज मेरा सामाजिक दायरा बहुत छोटा है और मुझे इस बात का कोई दुःख नहीं है कि मैंने सभी लोगों को पीछे छोड़ दिया है। आज चाह कर भी मैं उस उम्र के अनुभवों को यादों में दोहराना नहीं चाहता।
इसलिए यह बेहद ज़रूरी है कि आप अपने आस-पास किसी भी व्यक्ति से अगर किसी भी तरीके का सम्बन्ध रखते हैं तो उसे एक अच्छा अनुभव का एहसास दिलाइये। आप खुद भी अच्छा महसूस करेंगे क्योंकि अपनी दिक्कतों को खत्म करने की क्षमता सबके अंदर नहीं होती और हम इस उद्देश्य में किसी को थोड़ा भी सहयोग करेंगे तो आपकी मनुष्यता बची रह जाएगी।
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Kamna vyas
HEY NAVNEET WHETHER YOU HAVE NOT ELABORATED YOUR EXPERIENCES BUT FROM THE EXTRACT I WS TRYING TO FIGURE OUT MY LIFE EXPERIENCES. HAPPY DAY:)