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चुनावी राजनीति और देश में मतदान का अधिकार

विश्व में वोट देने के अधिकार का बहुत महत्व है। रूसो जैसे क्रांतिकारी ने वोट के अधिकार को आम किया। रूसो की किताब ‘सोशल कॉन्ट्रैक्ट’ उस समय काफी चर्चा में रही। उसमें उन्होंने साफ तौर पर एक महत्वपूर्ण बात इंगित की थी “राजा पैदा होता है, लेकिन ज़रूरी नहीं कि राजा के घर में पैदा हो”।

इसका साफ अर्थ यही था कि राजा के अंदर जो गुण होते हैं वो किसी और में भी हो सकते हैं। ज़रूरी नहीं कि वो राजा का वंशज ही हो। यही बात राजनीति में भी लागू होती है कि नेता कोई भी बन सकता है। उसके अंदर लीडरशिप का गुण होना चाहिए। ज़रूरी नहीं वो किसी नेता का ही वंशज हो। इसके लिए सबसे सुलभ प्रक्रिया वोट ही है।

भारत और मतदान का इतिहास

सम्पूर्ण विश्व में लोकतांत्रिक देश के नाम से प्रख्यात भारत में चुनावी प्रणाली हमेशा से प्रभावशाली रही है। वहीं समय-समय पर इसमें बदलाव भी किए गए हैं। इस लेख में हम वोटिंग से सम्बंधित अधिकारों की चर्चा करते हैं। वोट देने का अधिकार हर वयस्क को है। हर वो व्यक्ति जो 18 वर्ष की आयु का है उसको वोट देने का अधिकार है। मगर जागरूकता के अभाव में कई लोग वोट देने से वंचित हो जाते हैं और अपने मताधिकार का उपयोग नहीं कर पाते।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद (आर्टिकल) 325 व 326 के अनुसार प्रत्येक वयस्क नागरिक को, जो पागल या अपराधी न हो, उसे मताधिकार प्राप्त है। किसी नागरिक को धर्म, जाति, वर्ण, संप्रदाय अथवा लिंग भेद के कारण मताधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। नवीन संविधान लागू होने के पूर्व भारत में 1935 के “गवर्नमेंट ऑव इंडिया ऐक्ट” के अनुसार केवल 13 प्रतिशत जनता को मताधिकार प्राप्त था। मतदाता की अर्हता प्राप्त करने की बड़ी-बड़ी शर्तें थीं।

केवल अच्छी सामाजिक और आर्थिक स्थिति वाले नागरिकों को ही मताधिकार प्रदान किया जाता था। इसमें विशेषतया वे ही लोग थे जिनके कंधों पर विदेशी शासन टिका हुआ था। भारतीय संविधान देश के नागरिकों को वोट के ज़रिए अपना नेता चुनने का मौका देता है। हर भारतीय नागरिक पांच साल के अंतराल पर वोट देता है। जिसमें लोकसभा, विधानसभा, नगर निकाय व पंचायत के चुनाव शामिल हैं। इनके प्रतिनिधित्व करने वालों को जनातंक द्वारा चुना जाता है। मतदान से सम्बंधित कई सवाल ऐसे आते हैं जिनको सभी को समझना ज़रूरी है। इसको जागरूकता के तहत समझाया जा सकता है।

जिस राज्य में आप रहते हैं क्या आप सिर्फ वहीं के लिए वोट कर सकते हैं?

यह एक ऐसा सवाल है जो हर किसी के मन में आता है। अक्सर काम के सिलसिले में लोग अपने निर्वाचित क्षेत्र से दूर होते हैं या किसी महिला की शादी कहीं किसी दूसरे राज्य में हो जाती है। ऐसे में एक चुनाव में एक मतदान करने का अधिकार मिलता है। चुनाव आयोग हर नागरिक को वोट करने का मौका देता है। यदि आप अपने स्थायी स्थान पर मौजूद नहीं हैं तब भी आप अस्थायी स्थान से निर्वाचन क्षेत्र में शामिल हो सकते हैं। आप किसी एक जगह की वोटर लिस्ट में अपना नाम जुड़वा सकते हैं।

मतदान का इस्तमाल कौन नहीं कर सकता?

भारतीय संविधान में ऐसी स्थिति में कई नियम बताए गए हैं। भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 171 ई और धारा 171 एफ के तहत आने वाले अपराध के तहत जो भी दोषी पाया जाता है उसको चुनाव में मतदान देने का कोई अधिकार नहीं होता। बशर्ते वह चुनावी मैदान प्रत्याशी के रूप में खड़ा हो सकता है। धारा 171 ई रिश्वत लेने से सम्बंधित है जबकि 171 एफ अनुचित व्यवहार से सम्बंधित है। इसके अतिरिक्त धारा 125, 135, 136 के तहत अपराधों का दोषी पाया जाता है, वो भी वोट डालने के लिए अयोग्य माना जाएगा।

चुनाव प्रत्याशियों के बारे में जानने का अधिकार

देश में जितने भी नागरिक हैं उन सभी को चुनाव में भाग लेने वाले प्रत्याशियों के विषय में जानकारी लेने का पूरा अधिकार है। भारत के संविधान में धारा संख्या 19 के अंतर्गत देश के नागरिकों को यह अधिकार प्राप्त है। इस अधिकार के अंतर्गत मतदाता चुनावी प्रत्याशियों का चुनावी घोषणा पत्र, उनका वित्तीय लेखा जोखा, और आपराधिक पृष्ठभूमि के बारे में जान सकते हैं।

अनपढ़ एवं अशक्त मतदाताओं को अधिकार

भारतीय चुनाव आयोग के निर्देश अनुसार जो कोई बुज़ुर्ग, या वोटिंग सेन्टर जाने में असमर्थ लोग होते हैं उनको डाक मतपत्र द्वारा मतदान देने का अधिकार प्राप्त होता है। वे घर पर रहते हुए भी मतदान का हिस्सा बन सकते हैं। वहीं जो अनपढ़ होते हैं उनके लिए भी यही अधिकार प्राप्त होते हैं।

कैदियों के मतदान के लिए अधिकार

1951 के जनप्रतिनिधियों के कानून की धारा संख्या

62 (5) के तहत ऐसा कोई भी नागरिक जो न्यायिक हिरासत में है, या फिर जेल में अपने किए हुए अपराधों की सज़ा काट रहा हो वह वोट देने का हकदार नहीं है। वोट देने का अधिकार सिर्फ उसको होगा जो पुलिस हिरासत में बंद हो।

अप्रवासी भारतीयों के लिए मतदान के अधिकार

अप्रवासी भारतीय के पास भी वोट देने का अधिकार हो सकता है। इससे पहले उनको खुद को चुनाव आयोग को सूचित करना होगा और खुद को पंजीकृत करवाना होगा।

किसी को भी वोट न देकर नोटा का अधिकार

यूक्रेन, स्पेन, कोलंबिया, भारत, ग्रीस, और रूस समेत कई देशों में नोटा का विकल्प लागू है। इसका यही अर्थ है कि आप किसी भी प्रतियोगी को इस काबिल नहीं समझते कि वो उनके मत के लायक है। मतदाताओं के पास वोट में नोटा का भी अधिकार है। वह मतदान के हर प्रोसेस का हिस्सेदार बनता है मगर किसी एक व्यक्ति विशेष को वोट नहीं करता। मशीन में नोटा का बटन भी होता है। जो किसी भी प्रत्याशी को चुनाव में जिताना नहीं चाहते वो उस बटन का इस्तेमाल करते हैं।

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