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2020 ने बहुत सी अच्छी तस्वीरों को भी सहेजा 

साल 2020 को अब तक के सबसे खराब साल का तमगा मिल चुका है, विशेषकर भारतवासियों के लिए 2020 अत्यंत ही कष्टदायक रहा। चाहे बिहार में आई बाढ़ की त्रासदी हो, बंगाल में आई अम्फान तूफान का हाहाकार!  देश में दिल्ली और अन्य जगह पर हुए दंगे हो या फिर कोरोना महामारी का तांडव।

देशवासियों ने वो देखा जो अब तक किसी ने भी देखा क्या सुना तक नही था। अगर 365 दिनों के हिसाब से भी दुखभरी घटनाओं का ज़िक्र किया जाए, तब भी दिन कम पड़  जाएंगे लेकिन घटनाएं नहीं।

फिर भी तमाम परेशानियों के बावजूद 2020 हम सबको बहुत कुछ सिखा गया, जिसके लिए 2020 सदियों तक याद रखा जाएगा। 2020 में हम सबने वो सीखा जो शायद हम इससे पहले कभी नहीं सीख पाते इसलिए बहुत कुछ सिखाने के लिए हमें इस 2020 का आभार तो करना ही चाहिए। आईए  जानते हैं 2020 ने हमें क्या सिखाया :-

महामारी ने हमें स्वावलंबी बनाया

आधुनिक युग में हम सुविधाओं के इतने आदि हो चुके थे कि घर में पानी भी भरकर नहीं पीते थे।  घर का सारा काम मेड और नौकर-चाकर के भरोसे पर निर्भर हो चुके थे परन्तु कोरोना के कारण जब देश में लॉक डाउन लगा तो सबको घर के अंदर रहने को मजबूर कर दिया।

फिर क्या था जिस व्यक्ति के घर 10 -10 नौकर-चाकर थे, वो भी घर का काम करते हुए स्वावलंबी बन गए । मजबूरन ही सही परन्तु 2020 हमें स्वावलंबी बनना सिखा गया।

स्वच्छता के प्रति जागरूक बनाया 

केंद्र एवं राज्य की सरकारें हमें स्वच्छता के प्रति जागरूक करने की लाख पहल करते रहे लेकिन वो सफलता कभी नही मिली, जो कोरोना के खौफ ने दिलाया।

कोरोना के कारण हर व्यक्ति दिन में 15-20 बार हाथ धोते नज़र आया और सफाई के प्रति जागरूक भी हुआ।  इसके साथ ही स्वास्थ्य जांच में भी आगे आकर कोरोना को हराने में मदद की।

सरकारी कर्मचारियों का आदर करना सिखाया 

वैसे तो देश में सरकारी कर्मचारियों को आलसी, कामचोर और भ्रष्ट कह कर सम्बोधित किया जाता रहा है लेकिन कोरोना महामारी में जब सब खौफ में जी रहे थे तब  डाक्टर्स, पुलिस, स्वास्थ्य कर्मी, सफाई कर्मी, बैंक कर्मी समेत तमाम सरकारी अधिकारी-कर्मचारी पूरी ज़िम्मेदारी के साथ लोगों की सेवा में दिन-रात जुटे रहे।

इन सबकी सेवाभावी कार्यों ने देशवासियों को सोचने पर मजबूर किया और प्रधानमंत्री जी के एक आह्वान पर पूरा देश इन कोरोना योद्धाओ के सम्मान में थाली बजा कर एकता का संदेश दिया।

वर्क फ्रॉम होम मॉडल 

लॉक डाउन के कारण देश के सभी सरकारी,गैर-सरकारी दफ्तरों में ताले लग गए, निजी कम्पनियों एवं उद्योग भी कई दिनों तक बंद रहे।

इस बीच इस समस्या का हल वर्क फ्राम होम मॉडल यानि घर बैठे ही काम करके निकाला गया, जो एक बेहतरीन मॉडल साबित हुआ, जिसे निजी कम्पनियों समेत सरकारी दफ्तरों में भी अपनाया गया। आज भी कम्पनियां इस मॉडल पर काम कर रही हैं, कई कंपनियों ने इसे लंबे समय तक के लिए भी जारी रखा है।

मानवता की तस्वीरें भी देखने को मिलीं

कोरोना के कारण जब देश में तालाबंदी हुई तो सबसे ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ा मजदूरों को या फिर यूं कहें दुखों का पहाड़ मजदूरों पर टूट पड़ा। देशभर में लाखों मज़दूर सड़क पर आ गए और महानगरों से पैदल ही अपने राज्यों को निकल पड़े।

इन भूखे-प्यासे मज़दूरों की मदद करने देश के मानवतावादी संगठनों और व्यक्तियों ने आगे आकर मदद की। इस दौरान घटी कई घटनाओं ने याद दिलाया की मानवता अभी जिन्दा है।

बिलकिस बानो आंदोलन की जान बनी 

वैसे तो देश में अब तक कई आंदोलन हुए हैं, लेकिन दिल्ली में सीएए-एनआरसी के खिलाफ हुई शाहीन बाग आंदोलन ने पूरी दुनिया में एक अलग छाप छोड़ी और सबको शांति पूर्ण तरीके से हुए विरोध के लिए सोचने पर मजबूर कर दिया।

आन्दोलन का प्रमुख चेहरा बनी 82 वर्षीय बिलकिस बानो उर्फ़ शाहीन बाग़ वाली दादी को टाइम मैग्जीन ने 100 शक्तिशाली महिलाओं में शुमार किया।  इसी प्रकार हाल ही में देश में हो रहे किसान आन्दोलन की चर्चा भी देश के साथ विदेशों में भी है।

इन आंदोलनों ने हमें सीख दी कि शांति पूर्ण आंदोलन करके भी हम अपनी अधिकारों की रक्षा कर सकतें है। जाते-जाते साल 2020 हमें कष्टभरी यादों के साथ बहुत कुछ सिखा गया। आपको भी लगता है कि 2020 हमें कुछ सीखा गया है तो कमेंट्स में ज़रुर बताएं।

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