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“मैं इसलिए लिखती हूं ताकि मुझे कभी अकेलापन महसूस ना हो”

फोटो साभार- pexels

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उसके जाने के बाद दिल में कई तरह के सवाल मानो मुझे खोखला बना रहे थे। मैं बैचेन थी! मैं असहाय थी अपनी दिल की बात किसी से कहने के लिए। मेरी चुप्पी पर और मेरे हालात पर कई लोगों को देखते ही देखते तरस आने लगा।

मैं लोगों की सहानुभूति का शिकार होने लगी। उसके जाने के बाद मैं लोगों को यह बताने में भी सक्षम नहीं रही कि मुझे सहानुभूति नहीं समझने वाले की ज़रूरत है कि मैं क्या महसूस कर रही हूं।

उसने अपने झूठ से मुझे किस हद तक मानिसक रूप से आहत किया। मेरी भावनाओं को किसी खेल की तरह हार और जीत में बदलकर रख दिया। इन सब के बीच मैंने इस बात का एहसास किया कि जब आप अपनी भावनाएं लोगों के साथ साझा करने में सक्षम नहीं होते हैं तो आप अपने आपको भीड़ में भी अकेला पातें है।

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- pexels

हम लोगों से बाहर हर बात पर झगड़ते और चिढ़ते हैं लेकिन सच यह होता है कि युद्ध हमारे भीतर चल रहा होता है। इसी युद्ध के बीच में मुझे किसी ने कहा तुम लिखती क्यों नहीं हो? तब मेरे दिल और दिमाग में एक बात आ रही थी कि आखिर लिखना ज़रूरी क्यों हैं?

लेकिन उसकी बात पर मैंने एक दिन अपने मन के दर्द को कविता के रूप में लिख सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया। फिर क्या था, पहली कविता पर मिली प्रतिक्रिया ने मेरे अंदर एक नई ऊर्जा का संचार कर दिया। देखते ही देखते में टूटे हुए दिल का दर्द लिखते-लिखते प्रेरक कहानियों को लिखने लगी। मेरी प्रेरक कहानियों ने मुझे लोगों के बीच में एक अलग ही नाम और जगह दिलवाई।

इसलिए लिखने का या अपने मन की बात कहने का अधिकार सबको है। जो लोग आसानी से या यूं कहें सहजता से अपनी बातें कह नहीं सकते, वे लोग अपनी ताकत व भावनाएं अपने शब्दों के माध्यम से ज़रूर बयां कर सकते हैं।

भारत के इतिहास के संदर्भ में जब हम लेखनी पर चर्चा करते हैं तो राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी, प्रेमचंद, दुष्यंत कुमार, मैथलीशरण गुप्त, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ जैसे अनगिनत नाम मिल जाएंगे, जिनका लिखा हुआ आज भी प्रासंगिक है।

इसका जीवंत उदाहरण है राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी द्वारा लिखित बुक ‘हिंद स्वराज’ का। इस बुक को प्रकाशित हुए 100 साल से भी अधिक समय हो गए हैं लेकिन उसमें प्रकाशित बात आज भी उतनी ही महत्वपूर्ण है, जितनी 100 साल पहले थी। उस बुक की एक बात “यह धरती इंसान के लिए पर्याप्त है लेकिन उसके लालच के लिए नहीं” आज की परिस्थितियों पर बखूबी फिट बैठते हैं।

अगर गाँधी जी ने अपने दिल की बात लोगों के सामने नहीं रखी होती तो ब्रिटिश सरकार के बारे में तमाम चीज़ें अधिक-से-अधिक लोगों के पास नहीं पहुंच पातीं। उनकी लिखी हुई बातें सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए आज भी प्रासंगिक है और हमेशा रहेगी।

इसलिए जो शक्ति शब्दों में हैं वे किसी शस्त्र में भी नहीं हैं। यह बात गौर करने वाली है कि आज हमारा लिखा कल किसी के लिए प्रेरणा बन सकता है। किसी को शिक्षित करने में सकारात्मक भूमिका निभा सकता है। इतना ही नहीं विभिन्न लोगों को विभिन्न माध्यमों से लाभ पहुंचा सकता है।

मुझे इस बात का एहसास हुआ कि यदि आप पैसे कमा रहे हैं और नाम बना रहे हैं तो यह ज़िन्दगी नहीं है लेकिन आपके नाम और काम से कोई प्रेरित हो रहा है औऱ उसके जीवन में सकारात्मक बदलाव आ रहा है तो यह असली ज़िंदगी है, क्योंकि जीवन जी तो सब रहे हैं लेकिन इस जीवन को सार्थक काफी कम लोग ही कर पाते हैं।

मैं इस पथ पर अपने लेखन के माध्यम से अग्रसर हूं। लोगों का मिलता प्यार, समर्थन मुझमें एक नई चेतना व उमंग को जोड़ता है। इसलिए जब कभी भी आप अपने आप को अकेला महसूस करें या लंबे समय से अपने दर्द को किसी के साथ साझा करने में सक्षम नहीं हैं, तो लिखिए। कविता के रूप में, कहानी के रूप, अनुभव के रूप में जिस में भी आप लिख सकें क्योंकि दिल की बात लिखना ज़रूरी है।


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