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तिरंगा महज़ एक कपड़े का ध्वज ही नहीं वरन यह हमारी पहचान है

तिरंगा

‘ हम लाए हैं तूफान से किश्ती निकाल के

इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के ‘

मित्रों, यह महज़ एक गीत ही नहीं बल्कि एक सच्ची कहानी है, उन वीर बहादुरों की जिन्होंने भारत माँ की आज़ादी और तिरंगे की आन-बान-शान के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया। उन्हीं परमवीरों की कुर्बानी की बदौलत मिले आज़ाद भारत के सबसे बड़े त्यौहार को हम ‘ गणतंत्र दिवस ‘ के रूप में मनाते हैं।

गणतंत्र दिवस पर गली, नुक्कड़ और चौराहों पर देशभक्ति के गीत गूंजेंगे, गाड़ियों से लेकर घरों की छतों पर तिरंगा लहराया जाएगा। स्कूल में बच्चे देशभक्ति कविता, गीत और भाषण सुनाएंगे। युवाओं की टोली झंडा लेकर भारत मां के जयकारे लगाएगी।विद्यालयों में लड्डू बंटेंगे और हम सब तिरंगे के सामने खड़े होकर नमन करेंगे उन बलिदानियों को, जो आज ज़िंदा नहीं हैं लेकिन आज जिनकी वजह से हमारा गणतंत्र ज़िंदा है।

एक पहलू जो दुखद है

इस एक दिन के जोश, जूनून और जज़्बे का एक दुखद पहलू भी हमें कई बार नज़र आता है, जब मैं देखता हूं कि जिस तिरंगे को हम 26 जनवरी को गले लगाते हैं, हाथों में उठाते हैं, 27 जनवरी को हमारी लापरवाही या बेरुखी केकारण वही तिरंगा झंडा हमें सड़कों पर ठोकरें खाता हुआ, गंदगी के ढेर में पड़ा हुआ,  कहीं टुकड़े-टुकड़े होकर इधर-उधर उड़ता हुआ नज़र आता है।

यह बिखरता हुआ कभी पैरों में तो कभी पहियों में कुचलता हुआ नज़र आता है और यह नज़ारा हम और आप कई बार देख भी चुके हैं लेकिन शायद हमारी देशभक्ति केवल 15 अगस्त  या 26 जनवरी के दिन ही जागती है।

 क्या हमारी देशभक्ति अपने राष्ट्र के प्रति क्षणिक है ?

आज़ादी या गणतंत्र दिवस पर जो तिरंगा गगन में लहराता है, वही तिरंगा 16 अगस्त या 27 जनवरी को महज़ एक कागज़ या कपड़े का टुकड़ा रह जाता है। जिसके सड़क पर पड़े रहने से हमें कोई फर्क नहीं पड़ता है, शायद  हम  ‘ रात गई, बात गई ‘ वाली मानसिकता का शिकार हो चुके हैं। ज़रा सोचिए कि जिस झंडे के सम्मान के लिए भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद और सुभाषचंद्र बोस जैसे महान क्रांतिकारियों ने अपना बलिदान दिया, उस ध्वज के लिए हमारी संवेदना क्या केवल एक दिन के लिए ही रहती है? क्या हमारे देश के क्रांतिकारियों एवं देशभक्तों की कुर्बानी के बदले मिली आज़ादी का हमारी नज़रों में कोई मोल ही नहीं है?

इसलिए मैं आप सभी देशवासियों से विनम्र निवेदन करता हूँ कि इस गणतंत्र दिवस आप ध्वज फहराएं या न फहराएं लेकिन यदि 27 जनवरी को कोई झंडे का टुकड़ा आपको सड़क पर गंदगी में, किसी कचरे के ढेर में, फटा हुआ या गाड़ियों से, पैरों से कुचलता हुआ दिख जाए तो उसे ज़रूर उठा लीजिएगा, फिर उसे किसी स्वच्छ जलाशय में प्रवाहित कर दीजिएगा जिससे कम से कम हमारे राष्ट्रीय ध्वज का अनादर तो नहीं होगा। 

तिरंगा ध्वज हमारा मुकुट, हमारा स्वाभिमान है। स्वाभिमान का जाने-अनजाने में भी कभी अनादर नहीं होना चाहिए इसलिए हम इस बात का ध्यान रखें कि तिरंगा सड़क पर ना गिरे, गणतंत्र के सच्चे वीरों को यही हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी और मां भारत-भारती को सच्चा नमन होगा। 

समस्त भारतवासियों को गणतंत्र दिवस की अग्रिम शुभकामनाएं।

लहू से सींचा है वतन को, इसकी शान रखना

कल हम रहें न रहें, तिरंगे का सम्मान रखना

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