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काफी अलग और चुनौतीपूर्ण होती है हम Menstruators की दुनिया

periods

Menstruation, माहवारी या कहें तो पीरियड्स आजकल हर कोई इस बारे में बातचीत करता है। 5 फरवरी को Menstrual Health and Awareness Day होता है। अब आप सोच रहे होंगे कि Menstrual Health and Awareness Day है क्या? इसे 5 फरवरी को ही क्यों मनाया जाता है? वह इसलिए क्योंकि साधारणतयः माहवारी पांच दिनों की होती है और आमतौर पर मासिक चक्र भी 28 दिनों का होता है। इसलिए 28 दिनों वाले फ़रवरी महीने की पांचवी तारीख को ही विशेष रूप से यह दिन मनाने के लिए चुना गया।

MENSTRUATION को लेकर जागरूकता जिसे हमे लोगों तक पहुंचानी है

सबसे पहली और ज़रूरी बात यह है कि पीरियड्स आते तो सबको हैं लेकिन इसे एक हेल्थ इश्यू की तरह न देखकर एक छिपाने वाली या शर्म करने वाली या फिर एक गंदी चीज़ के रूप में देखा जाता है। जिसकी वजह से इस पर कोई बातचीत नहीं होती। आज भी ज़्यादातर बच्चियां अपने पहली पीरियड्स का सामना एक एक्सिडेंट या बुरे सपने की तरह करती हैं। यकीन मानिए कुछ तो इतनी अनजान होती हैं कि उनको लगता है शायद वह मरने वाली हैं।

धीरे-धीरे उन लोगों को मालूम होता है कि यह तो मम्मी को भी आते हैं। हम बस सोचते रहते हैं कि हमें मम्मी ने पहले से क्यों नहीं बताया? फिर पता चलता है कि दीदी, ताई, मौसी, बुआ, चाची सबको ही तो हर महीने Periods आते हैं। हम हैरान होते हैं कि हमें क्यों नहीं पता चला? तब एक चीटिंग वाली फील महसूस होती है।

पीरियड्स को छिपाने की परंपरा

बहरहाल पीरियड्स से अवगत होने के बाद शुरू होता है परंपरा को निभाने का सिलसिला। यानि पीरियड्स को सबसे छुपाने का सिलसिला। शर्म को तो हमसे कुछ यूँ जोड़ा गया है कि अगर सैनिटरी पैड खरीदना हो तो दुकान पर पहले आजु-बाजु नज़र घुमाकर देखना होता है। कहीं कोई अंकल जी तो नहीं खड़े हैं, या कोई हमउम्र लड़का तो नहीं है। लेने तो हम पैड जाते हैं लेकिन झिझक की वजह से क्रीम, लोशन, लिप गार्ड ना जाने क्या-क्या देखने लगते हैं या फिर खरीद भी लेते हैं।

गलती से कहीं आपकी ड्रेस स्टेन हो जाती है तो अचानक ही आप एक गिल्ट में चले जाते हैं। लोग आपको देख कर कुछ ऐसा रिएक्ट करते हैं मानो कि आप एलियन हों और मंगल गृह से आएं हों। कहीं अगर यह वाक्या आपके साथ आपके स्कूल या कॉलेज में पेश आया हो जहां आपके मेल फ्रेंड्स या कलिग्स भी होते हैं तो ये अनुभव और अजीब होता है। उन्होंने अगर आपकी ड्रेस पर खून का दाग देख लिया तो ऐसा महसूस होता है कि बस अब धरती फट जाए और आप सीता माता की तरह उसमें समा जाएं।

इतना ही नहीं यदि घर पर भी आपको पैड बदलना है, तो आप कोरे पैड को कुछ इस तरह छिपा कर अपने साथ बाथरूम तक ले जाएंगे कि कहीं कोई देख न ले। अगर बाथरूम के अंदर डस्टबिन नहीं है, जो अमूमन परिवारों में नहीं होता है, फिर तो इस्तमाल किये हुए पैड को बाथरूम से बाहर आकर बिना किसी की नज़र में आए डस्टबिन तक पहुंचाना एक मिशन बन बन जाता है जिसमें आपको हरगिज़ फेल नहीं होना है।

इसके बाद आते हैं Menstrual Taboos। जी हाँ! तरह-तरह की पाबंदियां आपको निभानी हैं क्योंकि आपको पीरियड्स हो रहे हैं, वह भी गुपचुप तरीके से। राज़ खुलने की कोई गुंजाइश नहीं है। घर में अगर पूजा है या फिर पापा ने आपसे अचार मांगा है, तो आंखों ही आंखों में मम्मी बस घूर के ही बता देती हैं कि खबरदार जो अचार के डिब्बे को हाथ भी लगाया। फिर आपकी छोटी बहन जाएगी अचार लाने और आपकी तबियत ठीक नहीं है इसलिए पूजा में नहीं बैठी ये बात भी मम्मी संभाल ही लेंगी।

जी हाँ काफी अलग और चुनौतीपूर्ण होती है हम Menstruators की दुनिया।

 

 

 

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