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जब कैलाश सत्यार्थी की यह पहल बच्ची के चहरे पर लाई मुस्कुराहट

फ़ोटो साभार कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फ़ाउंडेशन

बात वर्ष 2017 के अगस्त माह की है जब कैलाश सत्यार्थी जी आनन-फानन में दिल्ली के अंबेडकर अस्पताल पहुंचे। सत्यार्थी जी का वहां जाने का मकसद महज़ अपने किसी रिश्तेदार या मित्र से मिलना नहीं था बल्कि तीन साल की उस मासूम बच्ची से मुलाकात करनी थी। जिसके साथ स्कूल कैब के ड्राईवर ने दरिंदगी की थी और तब उसे बेहोशी की हालत में उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

बच्ची से मिलने हॉस्पिटल जाना

बच्ची कई दिन तक बेहोश रही। जब कई दिन बाद उसको होश आया तो बच्ची बहुत डरी  हुई थी। वह किसी से भी बात नहीं कर रही थी। यहां तक कि अपने माँ बाप से भी नहीं। अस्पताल की नर्सें व मेडिकल स्टाफ भी उसको बुलबाने में असमर्थ था। जब सत्यार्थी जी को इस बच्ची के साथ दुष्कर्म की घटना की जानकारी मिली तो वे बहुत ही दुखी हुए तथा उन्होने बच्ची से मिलने का फैसला किया। सत्यार्थी जी अपनी धरम पत्नी के साथ  बच्ची से मिलने दिल्ली के अंबेडकर अस्पताल पहुच गए।

बच्चों से सम्बंधित क्राइम को कम करने के लिए असरदार कदम उठाने वाले सत्यार्थी

गौरतलब है कि सत्यार्थी जी स्वयं व अपने संगठनों के माध्यम से दुष्कर्म पीड़ित बच्चियों को कानूनी सहायता उपलब्ध करवाते हैं। वह पूरी दुनिया के नेताओं से भी लगातार मिलते रहते हैं। जिससे उन सब की  सहायता से चाइल्ड पोर्नोग्राफी के खिलाफ एक मजबूत कानून बनाया जा सके। सत्यार्थी जी ने बच्चों के ऊपर हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए भारत यात्रा निकाली थी। यह यात्रा देश के विभिन्न हिस्सों से होकर निकली तथा अक्टूबर 2017 में भारत के राष्ट्रपति भवन में इस यात्रा का समापन भारत के महामहिमराष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द जी ने किया।

समापन समारोह के दौरान जब पीड़ित बच्चियों ने अपनी आपबीती महामहिम राष्ट्रपति जी के सम्मुख सुनाई तो महामहिम भी उस दौरान भावुक हो गए थे। जब सत्यार्थी जी बच्ची से मिल रहे थे तो बच्ची बिलकुल गुमसुम थी। सत्यार्थी जी व उनकी धर्म-पत्नी सुमेधा जी ने बच्ची के सिर पर स्नेहिल हाथ फेरा और उसको दुलारा तो बच्ची को कुछ चेतना जागृत हुई।सत्यार्थी जी उस बच्ची से बात करने की कोशिश करने लगे। वह उससे बात करते लेकिन बच्ची कोई जवाब नहीं देती।

जब पीड़ित बच्ची ने कहा हां मैं बड़ी होकर डॉक्टर बनूंगी

बच्ची के माँ-बाप ने सत्यार्थी जी को बताया कि हमारी बिटिया के साथ जब से यह हादसा हुआ है तब से यह बोली नहीं है। यह सुनकर सत्यार्थी जी तथा उनकी पत्नी को बहुत दुख हुआ। सत्यार्थी दंपति किसी भी तरह से बच्ची के चहरे पर मुस्कान लाना चाहते थे। उसी कोशिश में वह बच्ची से बहुत सारी बात कर रहे थे। तब सत्यार्थी जी उससे प्यार से पूछा कि क्या आप स्कूल जाओगी? जैसे ही सत्यार्थी जी ने यह प्रश्न बच्ची से पूछा तो बच्ची एक साथ सहम गई तथा डरकर बोली नहीं-नहीं !मुझे स्कूल नही जाना है। बच्ची को स्कूल के नाम से डर लग गया। बच्ची की प्रतिक्रिया सुनकर सत्यार्थी जी को बहुत अचरज हुआ।

वह सोचने लगे कि बच्ची स्कूल का नाम सुनकर क्यो इतनी डर गई? सत्यार्थी जी ने फिर बच्ची को दुलारा व स्नेह से उसके सिर पर हाथ रखा। सत्यार्थी जी ने अब अपना प्रश्न बदल दिया जैसे ही उनको लेडी डॉक्टर आती हुई दिखाई पड़ी। उन्होने एक क्षण सोचा और डॉक्टर की तरफ इशारा करते हुए कहा कि क्या आप डॉक्टर बनना चाहती हो प्यारी बच्ची? यह सवाल सुनकर बच्ची के चहरे पर मुस्कुराहट आ गयी और उसने कहा कि हां मैं बड़ी होकर डॉक्टर बनूंगी।

सत्यार्थी जी की मानवता और पीड़ित बच्चे

बच्ची के मुख से ये शब्द सुनते ही वहां मौजूद सभी लोगों की खुशी किसी से छिपी नहीं रह सकी। बच्ची के माता-पिता दोनों ही सत्यार्थी दंपति का बार-बार आभार प्रकट कर रहे थे।बच्ची की प्रतिक्रिया पर वहां मौजूद डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ ने भी राहत की सांस ली। सत्यार्थी जी ने बच्ची के माँ-बाप को कानूनी मदद उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया तथा कहा कि जितना भी खर्चा कानूनी लड़ाई लड़ने में आयेगा हमारा संगठन वह सारा खर्चा वहन करेगा।

सत्यार्थी जी ने आगे कहा, हमारे संगठन की लीगल टीम भी आपकी पूरी मदद करेगी। सत्यार्थी जी के ऑफिस से वकीलों की टीम बच्ची को कानूनी सहायता उपलब्ध करने के लिए अस्पताल पहुंच गयी तथा बच्ची के माता-पिता से मुकदमे से सबंधित आवश्यक तथ्य जुटाने में लग गए।

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