Site icon Youth Ki Awaaz

महिलाओं के साथ यौन हिंसा की विभत्स घटनाएं राष्ट्रीय मीडिया की खबर क्यों नहीं बनती?

दिल्ली की निर्भया और यूपी की दामिनी की घटना के बाद कई कठोर कानून बने और बनते के साथ शायद सभी कानून एक डायरी में लिखे दस्तावेज की तरह कहीं किसी म्यूज़ियम में संग्रह कर ली गई है। इसलिए कि अभी तक जितने भी कानून बने उनमें से किसी कानून का ख़ौफ़ उन वहशी दरिंदों के चेहरों पर आज तक नहीं दिखी।

जो अब तक हिरासत में लिए गए या जो इस तरह की घटना को अंजाम दिया है। महिलाओं के साथ बलात्कार की कई घटनाएं झारखंड में भी होती रहती है। सबसे बड़ा प्रश्न यह कि आखिर झारखंड की घटनाएं राष्ट्रीय मीडिया पटल पर क्यों नहीं आ पाती है?

न्याय मिलना तो दूर पुलिस की शिकायत कॉपी में भी ये मामले दर्ज नहीं होते

कई बार तो रेप की घटनाएं पुलिस के शिकायत कॉपी में भी दर्ज भी नहीं हो पाती। राजधानी रांची से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर 3 जनवरी को ओरमांझी में निर्भया कांड से भी वीभत्स एक घटना हुई। युवती का शव बिना सिर का नग्न व अवस्था में मिलता है। यहां तक कि उसके प्राईवेट पार्ट को क्षत-विक्षिप्त कर दिया गया था।

9 दिनों की काफी मशक्कत के बाद पुलिस युवती का सिर रांची के पिठौरिया थाना क्षेत्र के चंदवे बस्ती से बरामद करती है लेकिन इतनी बड़ी खबर कहीं भी राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियां नहीं बन पाती है। आश्चर्य की बात यह है कि जिस दिन युवती का सिर बरामद होता है उसके एक दिन बाद राज़धानी रांची से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पतरातू डैम से हाथ-पैर बंधा युवती का शव मिलता है। शव गोड्डा की एक मेडिकल छात्रा की थी और हज़ारीबाग में रहकर पढ़ाई करती थी.

झारखंड के चतरा जिले के हंटरगंज थाने में 10 जनवरी को फिर एक ऐसी घटना हुई। महिला के साथ दरिंदगी की हद पार करते हुए तीन युवकों ने सामूहिक दुष्कर्म किया और फिर उसके प्राइवेट पार्ट में स्टील का ग्लास डाल दिया।

सबसे आश्चर्य की बात ये कि देश में कानून बनाने वाले विधायक और मंत्री रेप की घटनाओं पर उलूल जुलूल बयान देते नहीं थकते। सीधे घटनाओं का ठीकरा उल्टा महिलाओं पर फोड़ देते हैं। वहीं राजनीतिक पार्टियां अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने से बाज नहीं आती। चाहे पक्ष हो या विपक्ष सभी पार्टियां अपनी-अपनी रोटियां सिर्फ से सेंकना जानती हैं।

झारखंड में सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या के कई मामले

एनसीआरबी का डेटा बताता है कि 2018 के मुकाबले, 2019 में महिलाओं के खिलाफ अपराध 7.3% तक बढ़ा। 4 लाख 5 हजार 861। ये पिछले साल, 2019 में भारत में महिलाओं के खिलाफ हुए अपराध का आकंड़ा है। 29 सितंबर को नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (नकर्ब) के डेटा ‘क्राइम इन इंडिया’ में यह खुलासा हुआ है। महिलाओं के खिलाफ अपराध का ये डेटा उसी दिन आया, जिस दिन हाथरस गैंगरेप पीड़िता ने 15 दिनों तक लड़ने के बाद दम तोड़ दिया।

डेटा के मुताबिक, भारत में 2019 में रोजाना औसतन 87 रेप के मामले दर्ज किए गए।

 

 हाल की घटनाओं पर नज़र डालें तो यह सोचने पर विवश होने को मजबूर करता है कि लोगों की मानसिकता किस और जा रही है? आख़िर हम इन सारी घटनाओं पर किसे जिम्मेदार ठहराएं?

Exit mobile version