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नथ उतर गई ??

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ये दिल के करीब रहेगा ??

“यार एक पोस्ट में टैग की हूँ तुमको पढ़ो एक बार, प्यार ना हो जाय तो बताना” प्राची ने अवनि को Messenger में टेक्स्ट किया…

अवनि को हमेशा से अच्छा पढ़ने का शौक था… 

तुरंत उस लेखक के सारे पोस्ट पढ़ डाले…

एकदम उसकी नब्ज मानो उस लेखक ने पकड़ ली हो… जैसा अवनि सोचती थी ठीक वैसी ही लेखनी थी उनकी..

 सामाजिक मुद्दे, देशभक्ति, नारी उत्थान और प्रेम में तो मानो उनका कोई जबाब ही नहीं था

। 

“शुक्रिया यार,, त्रिपाठी जी से जोड़ने के लिए… प्यार रहेगा तुमको हमेशा” तुरंत प्राची को अवनि ने मैसेज कर डाला। 

आज सारा दिन अवनि ने बस त्रिपाठी जी का facebook प्रोफ़ाइल जांचा..

एक अपनापन सा लग रहा था उनकी लेखनी से जुड़ कर.. 

प्रोफ़ाइल में देखा तो त्रिपाठी जी उसी के शहर के थे, 

उम्र होगी कोई 25 की, एकदम मासूम सा चेहरा…

लेखन की दुनिया में उनका बहुत बड़ा नाम था.. । 

अवनि एक लेखिका होने के साथ साथ एक Ngo से भी जुड़ी हुई थी और त्रिपाठी जी के लेखन से प्रभावित होके ..

 ना चाहते हुए भी अवनि ने उनको रिक्वेस्ट सेंड कर दी। 

पलक झपकते ही रिक्वेस्ट accept भी हो चुकी थी। फिर बातों का दौर कुछ ऐसा चला कि अवनि अपना दिल हार बैठी।

 

 एकदम सुलझे लग रहे थे उसको त्रिपाठी जी। 

तालियों का शोर हो रहा था गांधी मैदान में… नेता जी ने बहुत बढ़िया भाषण दिया था.. 

बेटी बचाओ,देश बढ़ाओ।

“भैया जी कौन लिख कर देता है.. इतना जबर्दस्त लेखन” 

अरे अपना बाबा है ना.. वहीं लिख रहा.. हमारे लिए आजकल। 

सरस्वती विराजित है उसमे। अपना काम बनता लंका में जाए जनता… हाहाहा..। 

इधर अवनि अपने Ngo में बैठी अखबार पढ़ रही थी। 

तभी मनु रोते रोते आई… “दीदी.. मुझे नथ नहीं उतरवाना.. पिछली बार प्रीति की उतरी थी वो बीमार पड़ गयी थी और पूरे शरीर में दाग भी थे उसके ” 

अवनि का माथा ठनका… ये क्या हो रहा,इस बालिका गृह में। 

वो सीधा प्रीति mam के पास गयी और सारी बात बतायी…। 

“अरे बच्चे है.. लड़कियां को तो तुमको पता है.. इनके कान और नाक तो छेदने पड़ते है ना… शायद डर गयी हो.. तुम घर जाओ.. मैं सम्हाल लूँगी। 

अवनि मन मारकर घर निकल पड़ी, तभी त्रिपाठी का मैसेज आया.. I love you… । 

खुशी से पगला गयी और त्रिपाठी को कॉल कर दिया। 

“सुनो ना… घर में बता दूँ.. हमारी कास्ट भी एक है..।” 

“अरे पागल हो क्या.. शादी नहीं कर पाऊँगा तुमसे… 

प्यार अलग है और शादी अलग…

और हमारी उम्र ही क्या हुई.. 

अभी एंजॉय करते है ना.. 

तुम समझ रही हो ना। “

अवनि समझ चुकी थी जिसे वो कोहिनूर समझ रही वो कोयला से भी गया गुजरा निकला। 

त्रिपाठी की लेखनी और उसकी वास्तविकता उसको समझ आ गयी थी।

दिल टूट चुका था पर अब उसे मनु की चिंता हो रही थी। 

पहचान के news चैनल को उसने फोन किया और ना जाने क्या सोच अपने दोस्त अभय जो कि पुलिस में था उसको भी। 

 

शाम को वो पीछे के दरवाजे से ngo में दाखिल हुई और news चैनल द्वारा दिए कैमरे को हर जगह लगा दी। 

“बाबा… कहाँ रह गया रे… हमेशा तो नथ वही उतारता है” 

नेताजी की आवाज थी ये और अवनि को पहचानने में देर नहीं लगी। 

तभी किसी के आने की आहट हुई। कमरे से आवाज आई… आ गया अपना बाबा.. चल जल्दी काम कर… 

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15 अगस्त आ रहा.. तेरे को जबर्दस्त भाषण भी तो लिखना है “

ये क्या इस इंसान को तो अवनि अंधेरे में भी पहचान लेती… त्रिपाठी ही बाबा था..। 

दिल क्या उसकी रूह तक रो रही थी… 

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ऐसे लोग समाज में…. घिन आ रही थी उसे खुद से कि ऐसे इंसान से उसे कैसे प्यार हो गया। 

ख़ैर नथ उतारने से पहले अभय अपनी फोर्स के साथ आ चुका था… सारे लोग गिरफ्तार हो चुके थे.. 

“पर क्या सजा होगी उनको.. 

अपना कानून सज़ा दे पाएगा” .. ?

अवनि ऐसा सोचते हुए अभय के पास गयी और कुछ कहा। 

 नक्सलवादियों द्वारा नेता और उनके समर्थकों की मौत से आज का सारा समाचार पत्र भरा था। 

आखिरकार त्रिपाठी की नथ उतर ही गयी …. 

कहानी से जुड़ कर पढ़े… एक कोशिश की है… काश उनको सज़ा ऐसी ही मिले।।

(सत्य घटना पर आधारित)

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