खरोरा -श्रीमद्भागवत कव्रत के तीसरे दिन में कथाव्यास मौलश्री ने अजामिल की कथा बताते हुए कहा कि अजामिल जो जन्म से तो ब्राह्मण था पर एक मोह के अंधकार में ऐसा डूबा कि कुछ सुध नहीं रही पर साधुओं के बात को मानकर अपने पुत्र का नाम नारायण। रखा ।अपने अंत समय में जब यमदूतों को देखकर डरा की डर के मारे अपने पुत्र नारायण को आवाज दी नारायण का नाम सुनते ही विष्णु पार्षद लोग आ गए और यमदूतों को मार भगाया ।उपकी बात सुनकर अजामिल को ज्ञान हुआ और सब छोड़कर तपस्या से मोक्ष प्राप्त कर। प्राप्त किया।
कथा व्यास मौलश्री ने बताया कि जब नारायण का नाम लेने से पापी भी मोक्ष का अधिकारी हो जाता है तो यदि हम अच्छे दिमाग से भाग्ननाम लें तो निश्चित काल होगा।उक्त अवसर पर सरस्वती शिशु मंदिर के प्रधानाचार्य पाटिल जी और रंजीता गुप्ता लक्ष्मी दीदी जी व जी। मौलश्री के साथ पढ़ने वाले ओमश्री अन्नपूर्णा ने कथाव्यास को ग्रंथ की ओर से श्रीफल प्रस्तुत कर उनका सम्मान किया।