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बजट 2021 – 22 का महत्व और मध्यम वर्ग की वित्त मंत्री से आस

finance minister nirmala sitaraman

Representational image.

मंदी के दौर में और जीडीपी के नकारात्मक दर में देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्तीय वर्ष 2021-22 का केंद्रीय बजट लोकसभा में  डिजिटल माध्यम से  प्रस्तुत किया जिसमें सबसे ज्यादा फोकस आत्मनिर्भर भारत और स्वस्थ भारत की योजनाओं पर दिया गया । हालांकि सब लोग उम्मीद कर रहे थे कि 2020 की तरह ही वित्त मंत्री इस बार भी अपना पुराना रिकॉर्ड बजट की सबसे लंबी स्पीच का तोड़ देगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ इस बार उन्होंने 2 घंटे के भीतर ही अपना बजट खत्म कर दिया । जिसमें विभिन्न योजनाएं शामिल थी हालांकि वित्त मंत्री ने कोरोना से निपटने के लिए  वैक्सीन का बजट 35 हजार करोड़ तय किया जो कि देश को महामारी से बचाने के लिए अच्छा कदम है,  इसके अतिरिक्त उन्होंने हाल ही में हुए किसान आंदोलन से संबंधित यह निष्कर्ष दिया किसानों को डेढ़ गुना ज्यादा एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल रहा है और इस बात का भी आश्वासन दिया किसानों के लिए एमएसप जारी रहेगी अब देखना यह है कि किसान इस बात को कितना समझते हैं और क्या होता है किसान आंदोलन का इस बजट से ? बाकि की मुख्य बेहतर योजनायें कुछ इस प्रकार है की अब  15 साल पुरानी कमर्शल गाड़ियां और 20 साल पुरानी निजी गाड़ियां स्क्रैप की जा सकेंगी। फिलहाल यह इच्छा पर होगा।  75 साल या इससे ज्यादा उम्र के उन सीनियर सिटिजन को इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं करना होगा, जिनकी आय सिर्फ पेंशन और बैंक में मिलने वाले ब्याज से है। 

क्या कहते हैं विशेषज्ञ 

 

आर्थिक समीक्षा में विशेषज्ञों ने कहा कि वित्त मंत्री आम आदमी को रोज़गार उपलब्ध कराने के लिए प्रयास कर करेगी और कटौती में कई रियायत देने की घोषणा कर सकती है। अगर ऐसा हुआ तो वाकई में देश के लिए अच्छे आर्थिक दिन आएंगे लेकिन दूसरी तरफ राजस्थान में तो पेट्रोल ₹100 लीटर मिल रहा है ऐसे में कई दूसरे सवाल खड़े होते हैं।

 

वैसे सरकारी बजट वित्त वर्ष के लिए सरकार की नीतियों और राजस्व के स्रोत और किस मद में कितनी रकम खर्च होगी उसका ब्यौरा तय करता है। 

 

देखा जाए तो 2021-22 अब तक का सबसे अहम बजट साबित होगा। क्योंकि कोरोना काल में अर्थव्यवस्था मंदी की मांद में चली गई। इस कारण जीडीपी रेट के खस्ता होने के कारण बजट अर्थव्यवस्था को कैसे और बेहतर कर सकता है यह देखना अभी बाकी है।  बजट अर्थव्यवस्था को काफी हद तक प्रभावित कर सकता है क्योंकि इसमें ज़्यादातर वस्तुओं की दर तय की जाती हैं। अब तय किए जाने के बाद ही मार्केट में किस प्रकार से यह प्रोडक्ट बिकते हैं या फिर खरीदे जाते हैं उससे इकोनामी में सरकुलेशन होता है जिससे अर्थव्यवस्था चलती है।

 

बजट की ज़रूरत

 

जैसा कि हम लोग जानते हैं कि भारत में हर वर्ग के लोग रहते हैं जहां अमीर हर चीज़ बड़ी आसानी से खरीद सकते हैं वहीं गरीब जिनके लिए रोज़ी-रोटी कमाना भी बहुत मुश्किल है। जबकि मध्यम वर्ग के लोग जिनकी ज़्यादातर ज़िंदगी कर्ज़ लेकर कर्ज़ चुकाने में ही चली जाती है। ऐसे में मध्यमवर्ग और गरीबों के लिए खास रियायत, टैक्स में छूट आदि अन्य सस्ते विकल्प भी बजट में शामिल होने चाहिए। वैसे तो घर के खर्चे की कोई योजना नहीं होती लेकिन अगर बजट न बनाया तो अर्थव्यवस्था खत्म होना तय है। शायद इसी वजह से यह कहा जाता है कि आपकी फाइनेंशियल सिचुएशन ठीक रखना चाहिए ताकि अर्थव्यवस्था और बेहतर हो।

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