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संगठन ही धर्म है- श्री विष्णुदत्त शर्मा

           विगत एक साल का आकलन संगठन के नाते किया जाये तो भाजपा मध्यप्रदेश के कार्यकर्ताओं के श्रेष्ठ योगदान का साल रहा है। कार्यकर्ताओं ने जो किया वह अनुपम है ।राजनीतिक चुनौतीपूर्ण व अन्य प्रकार के 28 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में नेतृत्व के निर्णय को जमीन पर जस का तस उतारना, सरकार के साथ जुड़कर योजनाओं क्रियान्वयन में सहभागिता, सामूहिकता एवं पारस्परिकता की अनुपम परम्परा और संगठन के उपलब्धिकारक वर्तमान से उज्ज्वल भविष्य को गढ़ने का उपक्रम।

    कोरोना काल में सेवा व सहयोग की अथक गतिविधि 
कोरोना काल में प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी और राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय जगत प्रकाश नड्डा जी के आह्वान पर कार्यकर्ताओं ने सेवा की भावना से सहयोग करने की तमाम गतिविधियां संचालित की। भोजन पैकेट व् सूखा राशन मास्क-सेनेटाइजर का वितरण, सामुदायिक रसोईघर, प्रवासी मजदूरों को भोजन दूध दवा चप्पल से लेकर परिवहन तक की उपलब्धता करना, यह एक राजनीतिक दल के नाते सामाजिक सरोकारों में अपनी सेवा की भूमिका निभाना, स्वतंत्र भारत की अद्भुत राजनीतिक गतिविधि है। दरअसल भाजपा के कार्यकर्ता की यही मूल वृत्ति है. संकट के समय संघर्ष के नारे नहीं, बल्कि शांत भाव से सेवा में जुट जाने का यह उदाहरण आजादी के बाद कई बार स्वयंसेवक या जनसंघ व् भाजपा के कार्यकर्ता के तौर पर समाज ने देखा है।

वहीं तत्कालीन कांग्रेस की कमलनाथ सरकार अपने ही अंतर्कलह से अपने ही बोझ के तले भरभरा कर गिरने के बाद हमने लोकतांत्रिक व् राजनीतिक धर्म निभाते हुए म. प्र. को बचने के लिए सरकार बनाई। इस बीच हुए 28 विधानसभा के ऐतिहासिक और अभूतपूर्व चुनाव की चर्चा केवल अभी नहीं बल्कि भविष्य में भी शोध और अध्ययन का विषय रहेगा। ये उपचुनाव राजनीतिक ही नहीं कार्यकर्ताओं के मनोविज्ञान की दृष्टि से चुनौतीपूर्ण थे। परंतु केंद्रीय व् प्रदेश नेतृत्व के साथ में जुड़कर बूथ पर कार्यकर्ताओं ने पार्टी के निर्णय को फलीभूत किया। कांग्रेस की ओर से भाजपा संगठन को चुनौती दी गई और कहा गया कि उनकी लड़ाई हमारे संगठन से है। कार्यकर्ता ने ये चुनौती मन मस्तिष्क में संकल्प के तौर पर सिद्ध की। उसने लोकतांत्रिक योद्धा के तौर पर मोर्चा संभाला और ऐतिहासिक विजय सुनिश्चित हुई। भाजपा का कार्यकर्ता जब-जब चुनौती का सामना करता है तो परिणाम तो श्रेष्ठ देता ही है, उसके भीतर नेतृत्व का निखार भी आता है। मैं इन 28 विधानसभा चुनाव में जुड़ने वाले कार्यकर्ताओं का आत्मीय आभार बारम्बार व्यक्त करता रहूंगा, क्योंकि इतिहास जब चुनाव की विवेचना करेगा तो इन कार्यकर्ताओं की भूमिका को स्मरण में सदा रखेगा, लिखेगा।

यह सुखद संयोग है कि केंद्र की मोदी सरकार और प्रदेश की शिवराज सरकार के विकास और कल्याणकारी कार्यों के कारण संगठन कार्य में अनुकूलताएं आई हैं। हमने संगठन के ना केवल संख्यात्मक विस्तार बल्कि गुणवत्ता केंद्रित वृद्धि के लिए लगातार उपक्रम साधने का काम किया है। मध्यप्रदेश में मोदी सरकार और शिवराज सरकार मिलाकर ढाई करोड़ से ज्यादा लोग ऐसे हैं जिन्होंने प्रत्यक्ष तौर पर विभिन्न योजनाओं का लाभ लिया है। हम उन तक पहुंच कर उनको अपने से जोड़ने का जतन कर रहे हैं। सरकार और संगठन में मशीनी समन्वय बनाए जाने वाला विषय नहीं, बल्कि यह साथ साथ सोचने, साथ साथ चलने, साथ साथ बढ़ने से स्वमेव पैदा होता है। यही कारण है, इस सरकार की योजनाओं व उनके क्रियान्वयन में संगठन की सहभागिता और संगठन के अभियान और कार्यक्रमों में विधायिका की अपनी भूमिका सतत चलने वाली प्रक्रिया बनी है। इसे अधिक मजबूत करने के लिए प्रयास किए गए हैं।

          मुझे गौरव की अनुभूति होती है कि तपोनिष्ठ,संगठन साधक और विचार को जीने वाले ध्येयनिष्ठ कार्यकर्ताओं की लंबी श्रृंखला सतत मार्गदर्शन करती है। हर पल बिना अहसास कराए सहयोग में जुट जाती है। यही भाजपा की ताकत है, जो उसे अन्य राजनीतिक दलों से अलग बनाती है।

मंडलों की कार्यकारिणी गठन, उनके प्रशिक्षण वर्ग देखकर कई वरिष्ठ कार्यकर्ताओं के मन अभिभूत हुए हैं। मण्डल प्रशिक्षण वर्गों में नई पीढ़ी के दायित्ववान कार्यकर्ता जो बूथ पर भाजपा का नेतृत्व करता है,जो भविष्य की भाजपा को गढ़ने वाले हैं। चुनाव में विजय और संगठन के गतिविधियों के कारण बनने वाले हैं। उनकी सहभागिता और प्रदर्शन को देखकर जो सराहना वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं के द्वारा मिली वह वर्तमान की उपलब्धि के साथ ही उज्ज्वल भविष्य को उजागर करती है। जिला कार्यकारिणी गठन की प्रक्रिया के संपादन से भी सामुहिक निर्णय पद्धति को बल मिला है।

     मध्यप्रदेश का संगठन आदर्श और प्रेरक 
मध्यप्रदेश का संगठन आदर्श और प्रेरक कहा जाता रहा है, यह गौरव की अनुभूति है तो भविष्य के लिए चुनौती भी। हम रोल मॉडल बने रहें इसके लिए रोड मैप और इसमें अपना अपना रोल निभाएंगे। देश प्रदेश की सामाजिक व राजनीतिक परिस्थितियों के अनुकूल, नई तकनीक व संवाद के माध्यमों के बीच अपनी नई पद्धतियों का विकास करते हुए अग्रणी दल बने रहेंगे। हाँ, हर हाल में सामाजिक व सांस्कृतिक मूल्यों और पार्टी की विशिष्ट परंपराओं के साथ लेश मात्र भी समझौता स्वीकार नहीं होगा ।

वंदेमातरम।

           (लेखक भारतीय जनता पार्टी मध्यप्रदेश के अध्यक्ष हैं)

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