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ग्रामीणों ने किसान के शव को तिरंगे में लपेटा, पुलिस ने मां और भाई को किया गिरफ्तार

कुछ दिन पहले पुलिस ने उत्तर प्रदेश के पिलिभित से एक मृत किसान की मां और उसके भाई को गिरफ्तार कर लिया। किसान आंदोलन के दौरान उस किसान की मौत हो गई थी। कथित रूप से किसान के मृत शरीर को उसके घरवालों के द्वारा तिरंगे में लपेटा गया था। जिसके बाद पुलिस ने The Prevention of Insults to National Honor Act,1971 के तहत उसकी मां और भाई पर कारवाई की है।

द वायर के अनुसार, घरवालों का कहना है कि “हमें तो खुद को ही संभालना मुश्किल हो रहा था। गांव वालों ने अंतिम संस्कार का इंतजाम किया था।” उन्हें लगता है कि आंदोलन में उसने जो बलिदान दिया है तो उसे यह सम्मान मिलना चाहिए, इसलिए उसके पार्थिव शरीर को गांव वालों ने तिरंगे में लपेट दिया।

मृत बलविंदर सिंह की मृत्यु 24 जनवरी को गाज़ीपुर के पास हुई थी जहां वो किसान आंदोलन में हिस्सा ले रहे थे। क्या पुलिस की यह कारवाई जायज़ है? पुलिस ने उनकी मां और भाई पर The Prevention of Insults to National Honor Act,1971 के सेक्शन 2 के तहत कारवाई की है। एक मृत किसान को तिरंगे में लपेटना कानूनन कितना सही है? इसके लिए सबसे पहले हमें जानना होगा कि आखिर ये कानून क्या है और इसमें सजा का क्या प्रावधान है?

The Prevention of Insults to National Honor Act,1971 क्या कहता है?

इस कानून को 23 दिसंबर 1971 को पारित किया गया था। इस कानून के तहत भारत के राष्ट्रीय प्रतीक जैसे- राष्ट्रीय झंडा, संविधान, राष्ट्रगान और भारत के नक्शे की अवहेलना या उसे अपमानित करने पर दंड का प्रावधान है।

सेक्शन 2 के तहत उक्त किसान के परिवार वालों को गिरफ्तार किया गया है। इस सेक्शन में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति यदि भारत के राष्ट्रीय झंडे या संविधान को किसी भी सार्वजनिक या अन्य स्थान पर जलाने, फाड़ने, जमीन में दफनाने या अन्य किसी भी तरह से अपमानित करने की कोशिश करता है तो उसे तीन साल तक की जेल या आर्थिक दंड या फिर दोनों भुगतना पड़ सकता है।

इस कानून में एक सेक्शन है ‘The Flag Code of India’। इस कोड में राष्ट्रीय ध्वज के प्रदर्शन पर लागू होने वाले कानूनों और परंपरा के बारे में बताया गया है। जिसके अनुसार राष्ट्रीय ध्वज का इस्तमाल राजकीय शोक, मिलिट्री, केंद्रीय अर्धसैनिक बल के जवानों के शवयात्रा के अलावा और किसी भी स्थान पर नहीं किया जा सकता है।

पुलिस और सशस्त्र बलों के शवयात्रा के अलावा राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उप-राष्ट्रपति, केन्द्रीय मंत्री, और मुख्यमंत्री के गुजरने पर राजकीय शोक के दौरान भी किया जा सकता है। कभी-कभी देश या राज्य के अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों के मृत्यु होने पर, यदि राजकीय शोक घोषित किया जाता है तो उन व्यक्तियों के शवयात्रा में भी राष्ट्रीय ध्वज का इस्तमाल किया जा सकता है।

हाल ही में पुलिस, सशस्त्र बल या अन्य महत्वपूर्ण सरकारी गणमान्य व्यक्तियों के अलावा कई ऐसे बाहरी व्यक्तियों को ये सम्मान दिया गया। आन्ध्रप्रदेश के एरोस्पेस वैज्ञानिक एवं फ्लुइड डायनेमिसिस्ट रोड्डेम नरसिम्हा को ये सम्मान प्राप्त हुआ था। फिल्म कलाकार श्री देवी और ऋषि कपूर को भी यह सम्मान दिया गया।

सम्मान देने के लिए राष्ट्रिय ध्वज के इस्तमाल का नियम

पुलिस, सशस्त्र बल, मिलिट्री, केन्द्रीय सुरक्षा बल के शवयात्रा या राजकीय शोक के दौरान इन महत्वपूर्ण व्यक्तियों को ये सम्मान देने के लिए उनके शव के ताबूत के ऊपर तिरंगे को लपेटा जाता है। जिसमें तिरंगे का केसरी भाग सिर के तरफ और हरा भाग पैर की तरफ होता है। नियम अनुसार तिरंगे को शव के साथ जलाया या दफनाया नहीं जाता बल्कि ससम्मान उसका अंतिम प्रबंधन कर दिया जाता है।

किसान आंदोलन का ही एक और उदाहरण है जहां किसान नवप्रीत सिंह के मृत शरीर को तिरंगे में लपेटा गया था। नवनीत की मौत 26 जनवरी को दिल्ली में किसान परेड मार्च के दौरान हिंसा में हो गई थी। उसकी झंडे में लिपटी हुई लाश की तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा हुई थी।

 

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