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क्या यह भारतीय समाज मिया खलीफा को एक इंसान नहीं समझ सकता?

किसान आंदोलन को मिला मिया खलीफा का समर्थन। ऐसी पोस्ट कई नेता और मोदी समर्थित पत्रकारों ने की हैं। यह कुंठा महिलाओं के खिलाफ उनकी निम्न मानसिकता को दर्शाती है। उनकी पितृसत्तात्मक मानसिकता मिया खलीफा को एक महिला और एक इंसान के रूप में नहीं स्वीकार कर सकती। दो चेहरे हैं इस सोच के।

एक जिसमें पॉर्न स्टार के रूप में काम कर चुकी मिया खलीफा उन्हें बेहद प्रिय है और दूसरी में देश की संस्कृति-संस्कारों को खतरा बताकर उसे कोसना भी है। भारत में सेक्स काफी सेंसटिव विषय माना जाता है। इस पर चर्चा भर से आपको जज करने लग जाया जाता है। कुल मिलाकर सेक्स गंदा काम है। कम-से-कम इस पर बात करना तो बहुत गंदा है।

किसान आंदोलन में वैश्विक स्तर तक लोग इंटरनेट बैन करने आदि को लेकर अपनी बात कह रहे हैं। इसी क्रम में मिया खलीफा ने भी ट्वीट किया है। सरकार समर्थक लोग जानते हैं कि भारत में मिया खलीफा प्रसिद्ध हैं लेकिन उनकी प्रसिद्धि से किसान आंदोलन का स्तर और छवि दोनों को नुकसान पहुंचाया जा सकता है।

प्रधानमंत्री को अपने आईटी सेल और मीडिया पर पूरा भरोसा है

मोदी सरकार के दो चेहरे देश देख रहा है। जिसमें से एक चेहरा कहता है कि हम देश के किसानों के साथ हैं, बातचीत कर रहे हैं जिससे हल निकलेगा। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने एकतरफा प्रेस कॉन्फ्रेंस यानि “मन की बात” कार्यक्रम में कह चुके हैं कि वे लाल किले प्रकरण कर आहत हैं। मगर उनके और किसानों के बीच सिर्फ एक फोन कॉल की दूरी है। 11 दौर की बातचीत विफल होने के बाद भी प्रधानमंत्री को यह भरोसा है कि सब ठीक चल रहा है।

प्रधानमंत्री को यह भरोसा दरअसल अपने समर्थकों, मीडिया संस्थानों और भाजपा की आईटी सेल पर है। उन्हें विश्वास यह है कि वे जी-जान से किसानों और उनके आंदोलन को बदनाम कर डालेंगे। उन्हें आतंकवादी, देशद्रोही, पाकिस्तानी और खालिस्तानी, बोला जाएगा। साथ ही चीन और कनाडा से भी संबंध जोड़कर देशद्रोही साबित कर दिए जाएंगे।

अर्नब गोस्वामी पत्रकार जिनकी कथित चैट में वे पुलवामा हमले पर खुशी जताकर शहीदों का अपमान कर चुके हैं, वे अब राष्ट्रहित में चिल्ला-चिल्लाकर किसानों को बदनाम करेंगे। लाल किले पर धार्मिक पताका फहराने वाला और हिंसा प्रमुख दीप सिद्धू प्रधानमंत्री का बहुत करीबी है। यह सारा देश जान चुका है लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि प्रधानमंत्री हिंसा से आहत हुए हैं। प्रधानमंत्री के दंगाई दीप सिद्धू से गहरे संबंधों की जांच के लिए दिल्ली पुलिस प्रधानमंत्री पर मुकदमा दर्ज कर पूछताछ कब करेगी?

प्रधानमंत्री एक तरफ भरोसे की बात कर रहे हैं और दूसरी तरफ इंटरनेट बैन, सड़कें खोद कर कंक्रीट बिछा कर कीले और कटीले तार लगवाना भी जारी है। वो कौन सी पूंजीवादी ताकतें हैं जो देश के प्रधानमंत्री को अपने देश के किसानों के खिलाफ षड्यंत्र रचवा रही हैं?

सत्तर सालों में पहली बार वैचारिक मतभेद रखने वाले देशद्रोही कहला रहे हैं

पता है प्रधानमंत्री जी अपने पिछले 70 सालों से जो नहीं हुआ वो कर दिखाया? देश के वैचारिक मतभेद जिनसे हमारी लोकतांत्रिक संस्कृति विविधता में एकता नजर आती थी आपने सीधे वहीं चोट की है। अब आप देश से ऊपर हो चुके हैं। आपके सभी राजनीतिक विरोधी अब पड़ोसियों से हाथ मिलाकर कर आपकी स्वामी सत्ता को चुनौती दे रहे हैं। सभी देशविरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं। भारत के इतिहास में आपको ज़रूर लिखा जाएगा लेकिन सत्ताप्रेमी के रूप में जिसने अपने सत्ता के लिए लोकतांत्रिक विरोधियों को देशद्रोही बना दिया।

अनुमानित 140 किसानों की आंदोलन में शहीद होने का दुःख हमारे प्रधानमंत्री को नहीं हुआ लेकिन लाल किले की घटना से दुःख हुआ। मोदी जी बहुत ही सलेक्टिव दुःख है आपका? आपको मालूम है कि आपके वैचारिक रूप से पोषित अनुनायियों को आपके इस दुःख से बल मिलेगा और वे पूरी ताकत से किसानों को बदनाम करेंगे जो घटना आपके अतिप्रिय दंगाई दीप सिद्धू ने की।

अब भी समय है प्रधानमंत्री जी बाल हठ छोड़िए। किसानों के बीच जाइए और ऐलान कीजिए कि हम यह काले कानून वापस लेते हैं। इस दौरान जिन किसानों और पत्रकारों पर मुकदमे दर्ज हुए हैं वो भी वापस होंगे। अगर आप किसानों को यह विदाई नहीं दे सकते तो आपकी सबसे बड़ी ताकत आपकी गोद वाली मीडिया और आईटी सेल आपकी विदाई रोक नहीं पाएंगी। किसान न्याय करेगा।

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