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अपने अंदर आत्महत्या का इतिहास छिपाए बैठा है बॉलीवुड

मन के भीतर का अंधकार अंधेरे अमावस की रात से भी ज़्यादा अंधकारमय होता है, शायद यही वजह होगी जिसकी वजह से सुशांत सिंह ने मौत को गले लगा लिया।

वाकई सुशांत का बिहार की राजधानी कहे जाने वाले पटना शहर से बॉलीवुड तक का सफर इतना आसान नहीं था। खासकर छोटे शहर से निकलकर मायानगरी पहुंच जाना, यह तो किसी असंभव सपने का हकीकत होने जैसा था। सुशांत बिहार के जिस क्षेत्र से आते हैं, वह खगड़िया नाम का पिछड़ा कस्बा है। वहां से बॉलीवुड पहुंचना तो बिल्कुल नामुमकिन सा लगता है लेकिन सुशांत ने मायानगरी पहुंचकर उस नामुमकिन सपने को मुमकिन कर दिया था।

यही कारण है कि सुशांत सिंह लाखों करोड़ों नौजवानों के लिए प्रेरणास्रोत तो थे ही साथ-साथ बिहार से आने वाले अन्य लोगों के लिए जो उनकी तरह बॉलीवुड में जाने का सपना रखते थे, उनके लिए वह आदर्श थे।

दरअसल, बॉलीवुड में ऐसे बहुत कम लोग हैं जो अपने टैलेंट पर बॉलीवुड पहुंचे हों, ऐसे लोगों में से एक सुशांत सिंह राजपूत भी थे, जिन्होंने अपने अभिनय और कठिन मेहनत से बॉलीवुड में अपनी अलग पहचान बनाई। सुशांत सिंह राजपूत ने बालाजी टेलीफिल्म्स के टीवी सीरियल ‘पवित्र रिश्ता’ से लेकर बड़े बैनर के तहत तमाम निर्देशकों-निर्माताओं की फिल्मों में शानदार काम किया।

‘काय पो छे’, ‘शुद्ध देशी रोमांस’, ‘पी.के’, ‘एमएस धोनी’ जैसी हिट फिल्में दीं, साथ ही ‘छिछोरे’ जैसी प्रेरणादायक फिल्में भी बॉलीवुड के दर्शकों को दीं। सुशांत सिंह की तुलना हमेशा शाहरुख़ के साथ की जाती रही, क्योंकि दोनों ने टीवी सीरियल से अपने कैरियर की शुरुआत की और दोनों ही बॉलीवुड में अपने काम के बदौलत ही पहुंचे।

बॉलीवुड की सतरंगी चकाचौंध में बहुत अंधेरा है

आज सुशांत सिंह राजपूत हमारे बीच नहीं रहे जो कि उन तमाम लोगों के लिए धक्का सा है, जो कुछ पाने के लिए मेहनत कर रहे हैं। यह उन सारे लोगों के लिए झटका सा है, जो लोग मेहनत करके आगे बढ़ने की कोशिश में लगे हुए हैं। सुशांत का यूं अचानक इस दुनिया से ऐसे चले जाना हमें झकझोर देता है।

बहरहाल, सुशांत के जाने से एक बात पता ज़रूर चलती है कि बॉलीवुड की चकाचौंध में बहुत अंधेरा है, क्योंकि सुशांत सिंह पहले एक्टर नहीं हैं, जिन्होंने आत्महत्या की। बॉलीवुड तो अपने आप में आत्महत्या का इतिहास छिपाए बैठा है। गुरुदत्त से लेकर दिव्या भारती और अब सुशांत सिंह भी उसी लिस्ट में हैं।

बॉलीवुड में आत्महत्याओं का इतिहास

गुरुदत्त साल 1964 में मुंबई स्थित अपने अपार्टमेंट में मृत पाए गए थे, जिसका कारण था ज़रूरत से ज़्यादा शराब पीना और नींद की गोली का सेवन करना। महज़ एक इत्तेफाक यह था कि उसी साल नेहरू का भी देहांत हो गया।

हालांकि गुरुदत्त की फिल्म ‘प्यासा’ देखकर नेहरू उनसे बहुत गुस्सा हो गए थे। दरअसल, उनकी ‘प्यासा’ ने नेहरू के न्यू इंडिया को चुनौती दी और सिनेमा के डार्क रुप से लोगों को रुबरु कराया। उन्होंने अपने सिनेमा के सहारे गरीबी, बेरोज़गारी और वेश्यावृति जैसे मुद्दों को छुआ था।

मनमोहन देसाई अमर अकबर एंथनी, कुली और मर्द जैसी फिल्में बनाने वाले फिल्मकार थे। जब मोहन देसाई की फिल्में पिटने लगीं तो साल 1994 में अपने गिरगाँव स्थित घर पर मौत को गले लगा लिया।

19 साल की अल्प आयु में एक बेहतरीन अदाकारा दिव्या भारती का यूं जाना एक अनसुलझा सवाल है 

दिव्या भारती बॉलीवुड की एक बेहद खुबसूरत और फेमस एक्ट्रेस थीं। कहा जाता है कि उनकी मौत बहुत संदेहास्पद हुई थी। फिल्म ‘दीवाना’ करने के बाद साल 1993 में अभिनेत्री दिव्या भारती ने अपने अपार्टमेंट की 5वीं मंज़िल से छलांग लगा दी। उस वक्त दिव्या बस 19 साल की थीं।

दिव्या की तरह जिया खान ने अपने कैरियर की शुरुआत बेहद शानदार तरीके से की थी। उन्होंने अमिताभ बच्चन और आमिर खान जैसे एक्टर के साथ काम भी किया था। साल 2013 में उनकी मौत की खबर आई और उनका शव उनके घर में ही मिला। बाद में उनकी मौत का आरोप सूरज पंचोली पर लगा कि उन्होंने ही जिया खान को आत्महत्या करने लिए उकसाया था। हालांकि मामला अभी कोर्ट में चल रहा है।

बड़े कलाकारों की मौत पर सवाल तो लाज़िमी है

हम जिसे मायानगरी कहते हैं वह कहीं ‘मौत की नगरी’ तो नहीं है। तमाम बड़े-बड़े कलाकारों को चिंतन-मनन करने की ज़रूरत है कि बॉलीवुड की चकाचौंध में कहीं अंधेरा तो नहीं है, साथ ही साथ शेखर कपूर के उस ट्वीट पर भी गौर करना चाहिए, जिसमें वो कहते हैं,

मैं जानता था कि तुम किस दर्द से गुज़र रहे थे। मैं उन लोगों की भी कहानी जानता था, जिन्होंने तुम्हें इतनी बुरी तरह निराश किया कि तुम मेरे कंधों पर सिर रखकर रोया करते थे। काश मैं पिछले छह महीनों में तुम्हारे पास होता। काश तुम मेरे से संपर्क करते। तुम्हारे साथ जो हुआ, वह उनका कर्म था, तुम्हारा नहीं।बॉलीवुड पर यह धब्बा है, क्योंकि सुशांत सिंह आत्माहत्या करने वाले पहले अभिनेता नहीं हैं और ना वो आखिरी होंगे।

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