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क्या आत्महत्या हमारे सभी अनकहे-अनसुलझे सवालों का जवाब है?

काफी समय से एक मैसेज सोशल मीडिया पर बहुत प्रचलित हो रहा है और आए दिन मेरे किसी ना किसी मित्र की वाल की शोभा बढ़ाता है। मैसेज कहता है कि अगर कोई भी व्यक्ति अकेलापन महसूस कर रहा है तो अमुक व्यक्ति को कॉल या मैसेज करें उस से अपनी बात कहे। लेकिन मेरे मन में अक्सर यह प्रश्न उठता है कि क्या वास्तव में उस सन्देश की असल व्यक्ति तक पहुंच है या ऐसा कोई व्यक्ति हमारे सोशल मीडिया की फ्रेंड लिस्ट में जुड़ा है?

कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में अकेलापन या तनाव महसूस करता है तो वह सबसे पहले अपने किसी फेसबुक या ऐसे किसी सोशल मीडिया के मित्र या प्रशंसक से पहले अपने परिवार, पारिवारिक मित्रों या रिश्तेदारों से बात करता है या करना चाहता है, लेकिन क्या हमारे पारिवारिक, अज़ीज मित्रों और रिश्तेदारों के पास ऐसे किसी तनाव ग्रस्त व्यक्ति से बात करने के लिए समय है ?

एक रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार पूरे विश्व भर में सालाना होने वाली 8 लाख मृत्यु और भारत में सबसे ज़्यादा हो रही आत्महत्याओं का कारण अवसाद या डिप्रेशन में होना देखा गया है। यह अवसाद शारीरिक, मानसिक, पारिवारिक, आर्थिक या किसी अन्य कारण विशेष कि वजह से ही होता है, जिसके कारण इस समस्या से ग्रसित व्यक्ति दुविधा या दुःख में होता है। ऐसे में यदि उसे सही मार्गदर्शन ना मिले तो वह आत्महत्या की ओर अग्रसर हो जाता है।

क्या है डिप्रेशन ?

डिप्रेशन एक बेहद जटिल मानसिक बीमारी है। इस बीमारी के बारे में यह कोई नहीं जानता कि वास्तव में इसका क्या कारण है, लेकिन यह कई कारणों से हो सकती है। कुछ लोग एक गंभीर चिकित्सा बीमारी के दौरान भी इस तरह के अवसाद का अनुभव करते हैं।

कुछ माह पहले ही एक जाने माने सफल बॉलीवुड अभिनेता ने अपने फ्लैट के एक कमरे में पंखे से लटक कर आत्महत्या कर ली, मीडिया एवं उसके पारिवारिक मित्रों, उसकी चिकित्सीय रिपोर्टों ने कारण उस अभिनेता को डिप्रेशन या तनाव से ग्रसित होना बताया। एक सर्वे के अनुसार भारत में अभी लॉकडाउन के समय में अधिकतम 3०० मृत्यु (नॉन-कोरोना वायरस) केवल डिप्रेशन के कारण हुई हैं। जिसमें अधिकांश मृत्यु सामान्य आयु वर्ग 15-39 वर्ष के युवाओं की हुई हैं।

यदि इसके कारणों पर गौर किया जाए तो सबसे बड़ा कारण जो सामने आता है वह है कोरोना के कारण हुए लॉक डाउन के कारण अधिकांश लोगों की नौकरियां चले जाना या अगर स्वयं का बिजनेस रहा हो तो काम का ठप्प पड़ जाना। इसके अलावा छात्रों पर पढ़ाई का अतिरिक्त दबाव, पारिवारिक क्लेश और कई अन्य कारण ऐसे भी थे जो कई लोगों को आत्महत्या की ओर ले गए।

डिप्रेशन के लक्षण एवं पहचान

डिप्रेशन या अवसाद ऐसी समस्‍या है जिसके बारे में कोई बात नहीं करता और यही इसके समाधान में सबसे बड़ी बाधा है। अब प्रश्न यह उठता है कि इस मानसिक बीमारी का कैसे निदान किया जाए, कैसे हम अपने आस-पास रहने वाले अपने परिचित, पारिवारिक या किसी जानने वाले को इस बीमारी के कारण आत्मघाती कदम की ओर बढ़ने से रोकें?

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन(WHO ) पूरे विश्व को इस मानसिक बीमारी एवं इसके घातक प्रभावों के बारे में आगाह कर चुका है कि 2020 तक डिप्रेशन दुनिया की दूसरी बड़ी बीमारी बन जाएगी। इस बीमारी एवं इसके उपचार से जुड़े हुए जानकार मनोचिकित्सक कहते हैं कि अगर समय पर डिप्रेशन से गुजर रहे व्‍यक्ति से मेलजोल बढ़ाया जाए तो इससे उबरने में बड़ी मदद हो सकती है। अब प्रश्न यह उठता है कि हम कैसे मालूम करें कि हम स्वयं या हमारी पहचान का कोई व्यक्ति डिप्रेशन (मानसिक अवसाद) से ग्रस्त है।

यदि कोई आपसे कहे कि उसे अपने मन में खालीपन और उदासी महसूस हो रही है तो इसे अनदेखा न करें। इसके सा‍थ ही अगर उसको खुद से नफरत होने लगे और यह लगने लगे कि दुनिया में उसकी कोई अहमियत नहीं है तो समझ जाइए वह डिप्रेशन का शिकार हो चुका है।

अगर कोई कहे कि उसे लंबे समय से नींद नहीं आती है या रातों को नींद उचट जाती है या फिर नहीं आती तो समझ जाइए कि यह डिप्रेशन की निशानी है।

उचित समाधान एवं इसके रोकथाम के उपाय

कभी-कभी तो ठीक है लेकिन अगर किसी का अक्‍सर रात भर सोने के बाद बिस्‍तर से उठने का मन न करे तो यह सामान्‍य बात नहीं है वरन अवसाद ग्रस्त खुद को दुनिया से दूर करने की कोशिश कर रहा है। जब कोई व्यक्ति आसानी से अपने लक्ष्य की ओर एकाग्र न हो पाए या बार-बार रोजमर्रा के कामों में भी उसका फोकस भंग होने लगे तो समझ जाइए कि यह सभी लक्षण डिप्रेशन के हैं और वह व्यक्ति डिप्रेशन( मानसिकअवसाद ) में है।

अगर आप हमेशा नर्वस महसूस करें, तनाव में रहें और आपको ऐसा लगता रहे कि कहीं कुछ गड़बड़ होने वाला है तो बहुत मुमकिन है कि ये डिप्रेशन के लक्षण हों और सबसे बड़ा लक्षण अगर किसी को बार-बार अपना जीवन खत्‍म करने का ख्‍याल आए और लगे कि अब मेरे जीवित रहने का कोई कारण नहीं है, तो यह संकेत है कि वह गंभीर डिप्रेशन का शिकार है।

आपसी साहचर्य एवं प्यार से हराएं डिप्रेशन को

यदि हमें स्वयं में या हमारे जानने वाले किसी भी व्यक्ति में ऐसे लक्षण मिलते हैं तो सबसे पहले हमें उस से बड़े प्यारपूर्वक बात करनी चाहिए, उसके ऐसे गंभीर अवसाद में जाने के कारणों के बारे में पता करना चाहिए फिर उन कारणों की सकारात्मक विवेचना करनी चाहिए और इससे उबरने के उचित समाधान ढूंढने चाहिए। ऐसे समय में मानसिक अवसाद से ग्रसित व्यक्ति को हो सके तो मोटिवेशनल स्पीच सुननी या अच्छी किताबें पढ़नी चाहिए।

हमेशा अपने स्वजनों से फोन या मैसेजिंग द्वारा संपर्क में रहना चाहिए। अगर आप दुःखी महसूस कर रहे हों तो अपने किसी खास से गले लगकर रोएं। अपना दुख प्रकट करें। परिवार के साथ बैठें, उनसे अच्छी बातें करें, पुरानी फोटो एलबम्स को देखें और उन ख़ुशी के लम्हों को याद करें।

अभी का समय वैसे भी अनुकूल नहीं है, ऐसे में हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि आत्महत्या किसी भी समस्या का स्थायी समाधान नहीं है। ऐसा करके हम ना केवल स्वयं के जीवन को पीड़ा पहुंचाते हैं बल्कि स्वयं से जुडे़ अन्य लोगों के जीवन को भी दुखदाई बना देते हैं।

नकारात्मक सोच, भाव और लोगों को स्वयं पर हावी ना होने दें, याद रखें कि समय सबकी परीक्षा लेता है किन्तु हमें इसका डटकर सामना करना है।

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