केंद्र सरकार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, डिजिटल न्यूज़ मीडिया प्लेटफॉर्म और ओटीटी के लिए नई गाइडलाइंस लेकर आई है। डिजिटल न्यूज़ मीडिया को अब टीवी और अखबार दोनों के नियम पर चलना होगा। जिसपर फिर तीन लेयर निगरानी भी होगी।
नई गाइडलाइंस को तीन अलग-अलग सेक्शन में बांटा गया है
- पहला- सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, ट्विटर, स्नैपचेट
- दूसरा- डिजिटल न्यूज़ मीडिया जैसे द क्विंट, आजतक डॉट कॉम जैसे प्लेटफॉर्म
- तीसरा- ओटीटी प्लेटफॉर्म यानि नेटफ्लिक्स, ऐमेज़ॉन, एमएक्स प्लेटर जैसे प्लेटफॉर्म
सोशल मीडिया इंटरमीडिएरीज के दायरे में छोटे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स आएंगे। उन्हें ऊपर बताई गाइडलाइन माननी होगी, जो सभी प्लेटफॉर्म्स के लिए कॉमन हैं। अब सवाल उठता है कि सिग्निफिकेंट सोशल मीडिया इंटरमीडिएरीज़ क्या है?
बिना एडिटोरियल कंट्रोल के कंटेंट पर लगाम कसेगी सरकार
साधारण तौर पर इसे समझा जाए तो इंटरमीडिएरी के मायने ऐसे सर्विस प्रोवाइडर से हैं, जो यूजर्स के कंटेंट को ट्रांसमिट और पब्लिश तो करता है लेकिन न्यूज मीडिया की तरह उस कंटेंट पर उसका कोई एडिटोरियल कंट्रोल नहीं होता। ये इंटरमीडिएरीज आपके इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स हो सकते हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हो सकते हैं या ऐसी वेब सर्विसेस हो सकती हैं जो आपको कंटेंट अपलोड करने, पोस्ट करने या पब्लिश करने की इजाज़त देती है।
डिजिटल न्यूज़ मीडिया में भी सेल्फ रेगुलेशन पर जोर
डिजिटल न्यूज़ मीडिया के पब्लिशर्स को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और केबल टीवी नेटवर्क रेगुलेशन एक्ट से जुड़े नियमों को मानना होगा ताकि प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया के बीच रेगुलेशन का सिस्टम एक जैसा हो। सरकार ने डिजिटल न्यूज मीडिया पब्लिशर्स से प्रेस काउंसिल की तरह सेल्फ रेगुलेशन बॉडी बनाने को कहा है।
क्या हैं गाइडलाइंस?
- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को अफसरों की तैनाती करनी होगी।
- किसी भी आपत्तिजनक कंटेंट को 24 घंटों के भीतर हटाना होगा।
- प्लेटफॉर्म्स को भारत में अपने नोडल ऑफिसर, रेसिडेंट ग्रीवांस ऑफिसर की तैनाती करनी होगी।
- इसके अलावा हर महीने कितनी शिकायतों पर एक्शन हुआ, इसकी भी जानकारी देनी होगी।
- अफवाह फैलाने वाला पहला व्यक्ति कौन है, उसकी जानकारी देनी ज़रूरी है क्योंकि उसके बाद ही लगातार वो सोशल मीडिया पर फैलता रहता है। इसमें भारत की संप्रभुता, सुरक्षा, विदेशी संबंध, रेप जैसे अहम मसलों को शामिल किया जाएगा।
- ये गाइडलाइंस सभी पर लागू होगी चाहे वो कोई भी पॉलिटिकल पार्टी हो या पार्टी विशेष से जुड़ा कोई भी व्यक्ति हो।
- ओटीटी प्लेटफॉर्म/डिजिटल मीडिया को अपने काम की जानकारी देनी होगी, वो कैसे अपना कंटेंट तैयार करते हैं। इसके बाद सभी को सेल्फ रेगुलेशन को लागू करना होगा। इसके लिए एक बॉडी बनाई जाएगी जिसे सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज या कोई अन्य व्यक्ति हेड करेंगे।
- इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की तरह ही डिजिटल प्लेटफॉर्म को भी गलती पर माफी प्रसारित करनी होगी।
कब गर्म हुआ मामला?
इस मामले की शुरुआत 11 दिसंबर 2018 से हुई, जब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा कि वह चाइल्ड पोर्नोग्राफी, रेप, गैंगरेप से जुड़े कंटेंट को डिजिटल प्लेटफॉर्म्स से हटाने के लिए ज़रूरी गाइडलाइन बनाए। सरकार ने इसे 24 दिसंबर 2018 को ड्राफ्ट तैयार किया था।