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क्या डिजिटल माध्यम पर केंद्र की निगरानी अब नकेल कसने की तैयारी है?

केंद्र सरकार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, डिजिटल न्यूज़ मीडिया प्लेटफॉर्म और ओटीटी के लिए नई गाइडलाइंस लेकर आई है। डिजिटल न्यूज़ मीडिया को अब टीवी और अखबार दोनों के नियम पर चलना होगा। जिसपर फिर तीन लेयर निगरानी भी होगी।

नई गाइडलाइंस को तीन अलग-अलग सेक्शन में बांटा गया है

सोशल मीडिया इंटरमीडिएरीज के दायरे में छोटे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स आएंगे। उन्हें ऊपर बताई गाइडलाइन माननी होगी, जो सभी प्लेटफॉर्म्स के लिए कॉमन हैं। अब सवाल उठता है कि सिग्निफिकेंट सोशल मीडिया इंटरमीडिएरीज़ क्या है?

बिना एडिटोरियल कंट्रोल के कंटेंट पर लगाम कसेगी सरकार

साधारण तौर पर इसे समझा जाए तो इंटरमीडिएरी के मायने ऐसे सर्विस प्रोवाइडर से हैं, जो यूजर्स के कंटेंट को ट्रांसमिट और पब्लिश तो करता है लेकिन न्यूज मीडिया की तरह उस कंटेंट पर उसका कोई एडिटोरियल कंट्रोल नहीं होता। ये इंटरमीडिएरीज आपके इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स हो सकते हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हो सकते हैं या ऐसी वेब सर्विसेस हो सकती हैं जो आपको कंटेंट अपलोड करने, पोस्ट करने या पब्लिश करने की इजाज़त देती है।

डिजिटल न्यूज़ मीडिया में भी सेल्फ रेगुलेशन पर जोर

डिजिटल न्यूज़ मीडिया के पब्लिशर्स को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और केबल टीवी नेटवर्क रेगुलेशन एक्ट से जुड़े नियमों को मानना होगा ताकि प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया के बीच रेगुलेशन का सिस्टम एक जैसा हो। सरकार ने डिजिटल न्यूज मीडिया पब्लिशर्स से प्रेस काउंसिल की तरह सेल्फ रेगुलेशन बॉडी बनाने को कहा है।

क्या हैं गाइडलाइंस?

कब गर्म हुआ मामला?

इस मामले की शुरुआत 11 दिसंबर 2018 से हुई, जब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा कि वह चाइल्ड पोर्नोग्राफी, रेप, गैंगरेप से जुड़े कंटेंट को डिजिटल प्लेटफॉर्म्स से हटाने के लिए ज़रूरी गाइडलाइन बनाए। सरकार ने इसे 24 दिसंबर 2018 को ड्राफ्ट तैयार किया था।

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