सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिए सरकार ने व्यापक कदम उठाते हुए सूचना का अधिकार लाया, जो कि बहुत ही कारगर सिद्ध हुआ। सूचना का अधिकार आम आदमी के हाथ में मजबूत हथियार साबित हुआ है।
इससे पहले नागरिक के पास सरकारी संगठन में व्याप्त अनियमितताओं और भ्रष्ट प्रथाओं को उजागर करने का कोई साधन नहीं था। अपना काम करवाने के लिए एक आम आदमी को दिन-रात दौड़ना पड़ता था। कुछ निकायों को रिश्वत देना सामान्य व्यवहार था, ताकि उनके आवेदन में तेजी लाई जा सके। इसे आमतौर पर इस उदाहरण से समझा जा सकता है।
यदि किसी को ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करना था, तो उसे कुछ ब्रोकर के माध्यम से अपने आवेदन को आगे करना होता था। उक्त अनियमितताओं का यह एक उदाहरण है। इन अनियमितताओं पर लगाम लगाम लगाने की ज़रूरत बहुत दिनों से महसूस की जा रही थी।सरकारी क्षेत्र में व्याप्त अनियमितताओं और भ्रष्ट आचरण को कम करने में आरटीआई (सूचना का अधिकार) ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
अब कोई भी नागरिक किसी सरकारी संगठन से जानकारी प्राप्त कर सकता है। सरकारी अधिकारी इम्यून नहीं हैं। वे नागरिकों के सवालों के जवाब देने के लिए बाध्य हैं । कम से कम जो लोग सरकारी क्षेत्र में काम कर रहे हैं, उन्हें आर.टी.आई. का डर है। वे जानते हैं कि उनके सिर पर आर.टी.आई. की तलवार लटकी हुई है। यह भय जनहित के लिए होना ज़रूरी है।
क्या निजी क्षेत्र में अनियमितताएं नहीं हैं? कॉर्पोरेट वर्ल्ड में भ्रष्टाचार व्याप्त नहीं है क्या? क्या कॉरपोरेट वर्ल्ड में शोषण नहीं हैं? वास्तव में निजी क्षेत्र में अनियमितताएं और भ्रष्ट आचरण अधिक प्रचलित है। कॉर्पोरेट वर्ल्ड में काम के घंटों का कोई मानदंड नहीं है। छुट्टी के लिए कोई समय निर्धारित नहीं है। निजी क्षेत्र ज़्यादातर व्यक्ति केंद्रित है। वे पूरी तरह से व्यक्तियों या किसी विशेष परिवार के परिवार के सदस्यों द्वारा निर्देशित होते हैं।
इसलिए उन कुछ लोगों की सनक और कल्पना द्वारा कॉर्पोरेट वर्ल्ड निर्देशित किया जाता है। ऐसा नहीं है कि सभी निजी संगठन खराब हैं लेकिन सरकारी अधिकारियों के मन में जिस तरह का डर है, वह कॉर्पोरेट जगत में बिल्कुल गायब है। कर्मचारियों के वेतन में कटौती करना अगर वे छुट्टी ले रहे हैं तो। हालांकि श्रमिकों के लिए कुछ नियम और कानून हैं। जैसे फैक्ट्री मजदूरों को छुड़ाने के लिए लेबर लॉज़ आए हैं।
मगर कॉर्पोरेट जगत में आम कर्मचारियों की स्थिति बहुत ही दयनीय है। काम करने का कोई शेड्यूल नहीं है। कोई निश्चित छुट्टी नहीं है। पैसे के प्रवाह को विनियमित नहीं किया जाता। कॉर्पोरेट जगत के अधिकांश कर्मचारियों का शोषण हो रहा है। यहां तक कि उन्हें किसी भी एसोसिएशन को बनाने की अनुमति नहीं है, जिसके द्वारा वो अपनी शिकायतों को प्रस्तुत कर सके। इसका परिणाम यह है कि कॉर्पोरेट जगत में काम करने वाले कर्मचारियों का अत्यधिक शोषण होता है।
अब सही समय आ गया है कि निजी क्षेत्र को भी आर.टी.आई. के नियंत्रण में लाया जाए। यह निजी क्षेत्र में भी कार्य संस्कृति में पारदर्शिता बढ़ाएगा। यदि वे आर.टी.आई. (सूचना का अधिकार अधिनियम) की निगरानी में लाए जाते हैं, तो कॉर्पोरेट जगत भी एक बेहतर जगह बन जाएगा।
अजय अमिताभ सुमन:सर्वाधिकार सुरक्षित
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