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क्या नौकरियां मांगने वाले युवाओं की इस देश में कोई कद्र नहीं है?

कहा जाता है कि पढ़ोगे-लिखोगे बनोगे नवाब। मगर देश में ग्रुप बी और ग्रुप सी की सरकारी भर्तियां करने वाली संस्था यानी स्टाफ सिलेक्शन कमीशन के लिए भर्तियों का आधार केवल और केवल अच्छी किस्मत को माना गया है।

एसएससी की परीक्षाओं में कई तरह की अनियमितताएं

पिछले 15, 16 और 18 नवंबर को एसएससी के द्वारा सीजीएल की टीयर 2 की परीक्षा आयोजित की गई थी और इसका परिणाम 19 फरवरी को जारी किया गया। परिणाम जारी होने के बाद से ही छात्रों में गजब का आक्रोश देखा जा रहा है। छात्रों का कहना है कि जारी परिणाम में भेदभाव करते हुए धांधली की गई है।

दरअसल 15 और 16 नवंबर के प्रश्न एसएससी ने अच्छे स्तर के बनाए थे जबकि 18 तारीख वाले प्रश्न पत्र बेहद आसान थे। जिस कारण से कई छात्रों ने 200 में से 200 अंक हासिल कर लिए। अब जब परिणाम जारी हुआ है तो जहां एक ओर 15 और 16 तारीख वालों के 60 से 70 नंबर तक बढ़ा दिए गए हैं तो वहीं 18 तारीख वालों के 40 से 50 नंबर तक कम कर दिए गए हैं।

छात्रों का कहना है कि यह सब नॉर्मलाईजेशन के नाम पर किया गया है। आक्रोशित छात्रों का कहना है कि वह 90 से 95 प्रतिशत तक अंक लाकर भी बाहर कर दिए गए हैं और यदि कुछ छात्र गलती से पास भी हो गए हैं तो वह फाइनल मेरिट तक बाहर हो जाएंगे। आसान प्रश्न पत्र बनाकर एसएससी ने जो गलती की थी उसकी सजा अब 18 तारीख वाले छात्रों को मिल रही है।

शक और भी गहरा इसलिए हो जा रहा है क्योंकि हर बार परीक्षा परिणाम जारी करने के 3 से 4 दिनों के भीतर छात्रों के द्वारा प्राप्त किए गए अंक एसएससी की साइट पर जारी किए जाते थे। जबकि इस बार टीयर 2 के अंक टीयर 3 के अंक के साथ जारी करने की बात कही गई है और इसके लिए कोई तारीख भी नहीं दी गई है। यह सामान्य नहीं दिख रहा है।

छात्रों का कहना है कि उनके साथ की गई नाइंसाफी को यदि ठीक नहीं किया गया तो वे सीजीएल 2019 के परीक्षा परिणाम के खिलाफ कोर्ट जाएंगे और परीक्षा को फिर से आयोजित करवाने की मांग करेंगे। फिलहाल 18 नवंबर के प्रभावित छात्र विभिन्न एसएससी क्षेत्रीय कार्यालय के बाहर अनशन करने की बात भी कह रहे हैं।

क्या इस देश में युवाओं की कोई कद्र नहीं है?

अब सवाल यह है कि देश में सरकारी भर्तियों का इतना बुरा हाल क्यों है कि 90 से 95 फीसदी अंक लाकर भी छात्र फेल हो रहे हैं? तो इसके जवाब में छात्र बताते हैं कि देश में लगभग हर प्रतियोगी परीक्षा जो 2017 के बाद संपन्न हुई है उसकी जॉइनिंग तो दूर परीक्षा परिणाम भी लंबित है।

एसएससी ने जहां 2017 के बाद की किसी भी परीक्षा की जॉइनिंग नहीं करवाई है तो वहीं रेलवे में तो परीक्षाएं भी अब तक पूरी नहीं हो पाई हैं। छात्रों का आरोप है कि पहले तो वैकेंसी नहीं, गिनी चुनी वैकेंसी मिले तो परीक्षा नहीं, परीक्षा हो तो परिणाम नहीं और हर स्तर पर यदि धरना प्रदर्शन कर भी दें तो जॉइनिंग के लिए सालों तक घर में बिठा दिए जाते हैं।

एसएससी सीजीएल 2019 के प्रभावित छात्र अपनी शिकायत लेकर एसएससी के क्षेत्रीय कार्यालयों में शिकायत पत्र दे चुके हैं लेकिन अब तक उन्हें कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। आक्रोशित छात्र व उनके शिक्षक ट्विटर के माध्यम से लगातार अपना विरोध दर्ज करवा रहे हैं। 23 तारीख को भी #cgl19marks ट्विटर पर दिनभर ट्रेंड करता रहा और 30 लाख से अधिक ट्वीट भी किए गए लेकिन ना तो एसएससी ने इस पर कोई प्रतिक्रिया दी और ना ही सरकार ने।

क्या देश की युवाओं की कोई कद्र नहीं रही? अब क्या उनकी कोई नहीं सुनने वाला? छात्र 25 फरवरी को सुबह 11:00 बजे#modi_job_do ट्विटर पर ट्रेंड करवाया। अबतक इस ट्रेंड पर 5 मिलियन से भी ज़्यादा ट्वीट हो चुके हैं। इसके बाद भी एसएससी ने सारी समस्याओं का समाधान नहीं निकाला तो छात्र सड़कों पर भी उतर सकते हैं। उम्मीद है कि यह परिस्थिति नहीं आएगी। छात्रों के साथ न्याय अपेक्षित है।

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