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बिहार की राशन व्यवस्था को दुरुस्त करने की ज़रूरत, आहार से कोसों दूर है पोषण

सही खानपान एक अच्छे सेहत के लिए बहुत ज़रूरी होता है, क्योंकि सही खानपान द्वारा ही शरीर को ऊर्जा मिलती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी विकसित होती है। कोविड 19 ने यह साबित भी कर दिया है कि एक दुरुस्त और मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता होना कितना ज़रूरी है?

हालांकि, कोविड के बाद अधिकांश लोगों ने अपनी सेहत पर ध्यान दिया और अपने खानपान को लेकर ना सिर्फ जागरूक हुए बल्कि अपनी रूटीन को चेंज भी किया। साथ ही कोविड के ही समय अधिकांश लोग सरकार द्वारा दिए जाने वाले राशन पर निर्भर हो गए क्योंकि उनके आय का स्त्रोत खत्म हो गया। सरकार द्वारा दिए जाने वाला राशन अर्थात चावल, दाल, गेहूं आदि ही ऐसे लोगों के लिए जीने का साधन बना।

अब अगर समय से मिलने वाला राशन सही से ना मिले और केवल चावल, दाल और गेहूं ही मिले, तब क्या रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि संभव है? नहीं। खाने में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट होने मात्र से ही खाना पूरा नहीं माना जा सकता क्योंकि केवल इनसे शरीर का विकास असंभव है।

बिहार के मुज़फ्फरपुर जिले की हालत

मुज़फ्फरपुर के ग्रामीण इलाके से आने वाले बाल कृष्ण बताते हैं कि राशन में उन्हें चावल, गेहूं, नमक और चीनी मिलता है। यह समय से मिल जाता है और साथ ही सरकार द्वारा हेल्थ कार्ड भी मिला हुआ है, जिससे जांच करवाने में मदद मिलती है। उनके घर में कोई प्रेंगनेंट महिला और किशोर उम्र की लड़की नहीं है। बाल कृष्ण एक फल विक्रेता हैं और उनके महीने की आमदनी 8000-10,000 हज़ार रुपये है।

हालांकि, फल का कारोबार निश्चित नहीं है क्योंकि मौसम की मार से कारोबार को बदलना पड़ जाता है। वहीं मुज़फ्फरपुर के पॉश इलाके लक्ष्मी नारायण नगर के पास बसे रिफ्युजी कॉलोनी में लोगों को समय से राशन नहीं मिल पाता है। राशन कार्ड बनवाने में आला-अधिकारी घूस मांगते हैं। वहां रहने वाले लोगों के पास कोई निश्चित रोज़गार नहीं है, जिस कारण खानपान की स्थिति बेहद बदहाल है।

वहां की निवासी प्रियंका बताती हैं कि उनके पति ज़्यादा पैसे नहीं कमाते हैं क्योंकि वह एक मज़दूर हैं। प्रियंका की उम्र 21 साल है और उनकी गोद में एक छोटी बच्ची है। उनके पास ना सही से खाने का इंतज़ाम है और ना पति के पास रोज़गार, जिस कारण उन्हें स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहां रहने वाली संगीता देवी के हालत भी कुछ ऐसे ही हैं।

बिहार के मोतिहारी जिले की हालत

बिहार के मोतिहारी जिले में रहने वाले लाल बाबू प्रसाद की उम्र 40 साल है। वह एक अखबार विक्रेता हैं और उनके महीने की आमदनी 12,000 रुपये हैं, जिसमें से पैसे बच्चों की पढ़ाई और घर खर्च में निकल जाते हैं। राशन के नाम पर उन्हें चावल और गेहूं मिलते हैं। उनके घर में किशोर उम्र की लड़की भी है, मगर माली हालत उतनी अच्छी नहीं है कि सबका सही से खानपान हो सके।

मोतिहारी की ही 48 साल की राम सूरत देवी सब्जी विक्रेता हैं। उनकी महीने की आमदनी 8,000 रुपये है। राशन के नाम पर उन्हें भी केवल चावल और गेहूं मिलते हैं। 42 वर्षीय प्रमोद कुमार को भी राशन में चावल और गेहूं ही मिलते हैं। उनके महीने की आमदनी 15,000 है। हालांकि, उनके घर में किशोरी भी है और प्रेगनेंट महिला भी हैं।

यह बिहार के दो जिलों, मुज़फ्फरपुर और मोतिहारी के कुछ लोगों की स्थिति है। भले ही लोगों को राशन उपलब्ध हो जाए मगर केवल चावल और गेहूं से शरीर को पोषक तत्व कैसे मिलेंगे? बिहार में ऐसे लोगों की तादाद बहुत है, जिनके पास रोज़गार की किल्लत है और खानपान की हालत बेहाल है।

संयमित आहार से कोसों दूर है पोषण

एक संयमित आहार उसे कहा जाता है, जिसमें प्रोटीन, फैट, कार्बोहाइड्रेट और फाइबर सही मात्रा में पाए जाते हैं। मगर सरकार द्वारा दिए जा रहे राशन में केवल कार्बोहाइड्रेट है, जिससे शरीर को पोषक तत्व नहीं मिल सकते। वहीं लोगों की आमदनी भी उतनी मज़बूत नहीं है, जिससे लोग एक संयमित आहार ले सकें।

संयमित आहार लेना एक स्वस्थ्य शरीर के विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता मज़बूत होती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता अगर खस्ता हो, तब टीबी जैसी गंभीर बीमारी घेर लेती है, जिसे क्षयरोग, तपेदिक या यक्ष्मा भी कहा जाता है। कोई प्रेगनेंट महिला अगर कुपोषित हो जाए, तब उसके आने वाले बच्चे समेत महिला को भी टीबी होना का खतरा रहता है।

ऐसे भी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के अनुसार बिहार में कुपोषण के आंकड़ों में 22.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। साथ ही 63.5 प्रतिशत महिलाएं कुपोषित हैं, ऐसे में क्या केवल राशन में चावल, गेहूं, नमक और चीनी देने से हालत सुधरेंगे?

कुपोषण से टीबी के आंकड़ों में बढ़ोतरी

बिहार में राशन कार्ड में दिए जाने वाले खाद्य पदार्थ में बदलाव अब ज़रूरी है, क्योंकि कुपोषित शरीर और कमज़ोर रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण टीबी का संक्रमण होने का खतरा बढ़ सकता है। चूंकि टीबी संक्रमित हवा में सांस लेने से फैलता है और अगर शरीर टीबी फैलाने वाले कण से लड़ने में नाकामयाब हो जाए, तब टीबी अपनी जड़ें मजबूत कर लेता है।

एक संयमित खानपान के अनुसार राशन में लोगों को मौसमी फल, दूग्ध उत्पादों, अंडा आदि भी दिए जाने चाहिए। साथ ही प्रेगनेंट महिलाओं के लिए एक अलग प्रावधान होना चाहिए ताकि महिलाएं कुपोषण से ग्रसित ना हो सकें। टीबी को नियंत्रण करने का एक तरीका संयमित खानपान और सेहत के प्रति जागरुक रहना है, तभी टीबी का संक्रमण होने पर भी शरीर उससे लड़ सकेगा।

नोट: यह लेख SATB फेलोशिप के तहत लिखी और प्रकाशित की जा रही है।

 

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