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भारत की शान

शायद हम सबके लिए पिछले कुछ दिन बेहद आम रहे होंगे, लेकिन इन 9 महत्वाकांक्षी छात्रों के लिए नहीं, जिन्होनें उस समय में अंग्रेजी सीखी और अपने जीवन में करियर को लेकर आगे बढ़े।

आज का युवा बड़े सपने देखता है और जीवन में आगे बढ़ने की इच्छा रखता है। ये उन 9 बड़े सपने देखने वाले छात्रों की कहानियां हैं, जो हम सब में एक अलग सा जोश भर् देंगी।

इन सभी छात्रों ने जोश स्किल्स एप्प के साथ भारत का नाम रोशन किया और नई स्किल्स सीखीं। इन सभी छात्रों ने जोश स्किल्स एप्प में अपनी मेहनत के दम पर कुछ पॉइंट्स हासिल किए जो कमाने आसान नहींं थे। उन्हें हर रोज़, घंटो अंग्रेजी बोलने की वीडियो देखनी पड़ी, अंग्रेजी भाषा के नए-नए शब्द सीखने पड़े और भारत के अलग-अलग कोनों के छात्रों से इस एप्प के ज़रिये अंग्रेजी में अनेकों मिनट प्रति दिन बात करनी पड़ी।

जोश स्किल्स एप्प की इस कोर्स की गतिविधियों पर इन 9 छात्रों ने 5000 से ज्यादा पॉइंट्स कमाए हैं, जो अपने आप में एक बहुत उम्दा रिकॉर्ड है। साथ ही, इन 9 छात्रों ने 18,000 छात्रों के बीच अपनी अलग पहचान बनाई, जिन्होंने ये कोर्स इनके साथ शुरू किया था।

ये पॉइंट्स इस बात का प्रमाण हैं कि ये छात्र अपने जीवन में आगे बढ़कर कुछ कर दिखाना चाहते हैं। ये 5000 पॉइंट्स साबित करते हैं कि अगर आपके दिल में जोश और जज़्बा हो, तो जिंदगी की हर चुनौती को पार किया जा सकता है। ये 9 छात्र हमें एक बेहतर और उज्ज्वल भारत की उम्मीद देते हैं।

1. दीपक कुमार, 24, बिहार 

पिता का नाम : श्री राम रतन सिंह

माता का नाम : श्रीमती धनेश्वरी देवी

दीपक ने इंग्लिश कोर्स में अखिल भारतीय रैंक(AIR) 1 प्राप्त कर 20,500 पॉइंट्स हासिल किए हैं। उन्होंने हमें बातचीत में बताया कि  “मुझे जोश स्किल्स से मोहब्बत है। मैं बिहार के एक छोटे से गांव से हूं पर मैं दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता और ना जाने कहां- कहां से  करीब 600 लोगों से बात कर पाया हूं। एक समय था जब मैं किसी से भी अंग्रेजी में बात नहीं कर पाता था।”

जोश स्किल्स के इस कोर्स से उन्होंने अपने अंग्रेजी ना बोल पाने और अपने डर को खत्म करने में एक अलग तरह की आज़ादी पाई है। उन्होंने इस कोर्स में बहुत ही शानदार अंक प्राप्त किये हैं। दीपक अपने जीवन में आगे चलकर एक सफल एंटरप्रेन्यौर बनना चाहते हैं और अपने राज्य बिहार को नया नक्शा देना चाहते हैं। उन्होंने हमसे कहा कि  “जोश् स्किल्स पर प्रैक्टिस पार्टनर से बात कर पाना एकदम क्रांतिकारी है।”

हमें पूरा विश्वास है कि दीपक इसी तरह अपनी कठिन मेहनत और जोश-जज़्बे से अपने सारे सपनों को पूरा करेंगे।

 

 

2. धर्मेंद्र कुमार, 23, घोंगरिया गाँव, बिहार 

पिता का नाम : श्री संत लाल व्यास

माता का नाम : इंद्र कला देवी

 6 साल पहले धर्मेंद्र ने अंग्रेजी सीखना शुरू किया, क्योंकि किसी ने उनसे यह वादा किया गया था कि उनके अंग्रेजी सीखने पर उनकी आमदनी तीन गुना तक बढ़ जाएगी, लेकिन वे अंग्रेजी सीखने में नाकाम रहे क्योंकि ऑफलाइन अंग्रेजी लर्निंग सेंटर की फीस 16,000 रुपये थी, जो उनके लिए बहुत बड़ी बात थी।

आज 6 सालों बाद, धर्मेंद्र ने अपने अंग्रेजी सीखने के सपने को सिर्फ जोश स्किल्स के साथ मात्र ₹499 में अंग्रेजी सीखने की शुरुआत फिर से की। जोश स्किल्स एप्प के साथ जुड़ने के बाद, अब वे किसी से अंग्रेजी में बात करने और उनके प्रश्नों के जवाब देते नहीं थकते कि वे कैसे इतने हफ्तों से जोश के इस कोर्स में अखिल भारतीय लीडर बोर्ड के टॉप पर हैं?

धर्मेंद्र ने इस कोर्स में पूरे 16,200 पॉइंट्स कमाए हैं और वे सभी के फेवरेट हैं। उन्होंने हमें बताया कि  “पहले तो इंग्लिश वाली मैडम जब हंसती थी तब हम भी बस साथ में हंस देते थे, क्योंकि हमें कुछ समझ आता ही नहीं था, पर अब तो दिन में 4 घंटे आराम से इंग्लिश बोल लेते हैं। “

धर्मेंद्र की इस उपलब्धि पर उनके माता-पिता उन पर गर्व महसूस करते हैं।

 

 3शिवम गुज्जर, 19, हरिद्वार 

पिता का नाम : श्री बृजपाल  सिंह

माता का नाम : श्रीमती सुमन

अखिल भारतीय रैंक(AIR) 3 हासिल करने वाले शिवम से बातचीत के दौरान हमने काफी बार हिंदी में वार्तालाप करने की कोशिश की, किंतु वे हमें हिंदी की बजाय अंग्रेजी में मज़ेदार जवाब देते रहे।

19 साल के शिवम B.Sc के छात्र हैं, और स्टॉक्स एवं कंप्यूटर साइंस में अपनी दिलचस्पी रखते हैं।

शिवम ने हमें बताया कि वे शुरू से ही काफी शर्मीले रहे हैं और लोगों से निडर होकर या बेझिझक होकर बात ना  कर पाना उनकी कमज़ोरी रही है। मगर अभी कुछ समय से उनके सभी दोस्तों ने उनके हाव-भाव में बदलाव देखा। जोश स्किल्स के स्पोकन इंग्लिश कोर्स के साथ वे अंग्रेज़ी पढ़ने, बोलने और समझने से नहीं घबराते हैं। उनके दोस्त कहते हैं, “शिवम, हमें भी करना है जो तू कर रहा है भाई!”

शिवम अपने पिता के साथ हरिद्वार में रहते हैं,  वहां उनके पिता एक पुलिसकर्मी हैं और उन्हें अपने बेटे पर बहुत गर्व है।

 

 

4.रजत कुमार, 22, राजौरी, जम्मू-कश्मीर 

 रजत से हमने करीब 15 मिनट बात की और वो बात अंग्रेजी में थी, आप चौंके नहीं ?

हम भी नहीं चौंके थे, जब तक उन्होंने हमें यह नहीं बताया था कि उन्होंने इतनी अच्छी अंग्रेजी महज 30 दिनों के अंदर सीखी है। बहुत ही कम समय के अंदर रजत अंग्रेजी समझ पा रहे थे और चौंका देने वाली, फर्राटेदार अंग्रेजी में बात कर रहे थे। रजत, जम्मू कश्मीर के एक मध्यम वर्गीय परिवार से आते हैं और उनके तीन बड़े भाई- बहन हैं।

इसके बावजूद, उन्हें अपने भविष्य को बेहतर बनाने के लिए किसी से कोई खास मार्गदर्शन नहीं मिला। वे अपने परिवार में पहले सदस्य हैं, जिन्होंने ग्रेजुएशन पूरा किया और जोश के स्पोकन इंग्लिश कोर्स में 9408 पॉइंट्स प्राप्त किये हैं।

वास्तव में यह हम सबके लिए चौंका देने वाली बात थी कि वो आज भी अपने IAS बनने के सपने पर फोकस्ड हैं और वो अपने तहे दिल से जोश स्किल्स को धन्यवाद देते हैं, जिसकी मदद से वो अपने को बेहतर बना पाए हैं।

 

 

5.अनमोल जैन, 22, मध्य प्रदेश

माता का नाम : श्रीमती रेखा जैन

अनमोल एक इंजीनियरिंग छात्र हैं, और अपनी कॉलेज की किताबें अंग्रेजी में होने के कारण उन्हें ना पढ़ पाना उनकी ज़िंदगी का एक बहुत बड़ा संघर्ष था । उन्हें अंग्रेजी पढ़ना और बोलना बहुत मुश्किल लगता था। उन्होंने बताया कि उनको अपने अध्यापकों के सामने अंग्रेजी में बात करने में बहुत दिक्कत होती थी। अनमोल अपने परिवार में इकलौते सदस्य हैं, जिन्होंने सबसे पहले अंग्रेजी बोलना शुरू किया है।

उन्होंने हमें यह भी बताया कि वे अपने स्कूल के समय में कितने शरारती थे और आज भी हैं। उनकी इन्हीं आदतों की वजह से उनकी माँ ने उन्हें एक अनुशासित माहौल में भेज दिया था।

अनमोल ने अपनी कठिन मेहनत से जोश के स्पोकन इंग्लिश कोर्स में 9402 पॉइंट्स कमाए हैं, जो कि यह उनके लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।

उनके पिता जी किराने की दुकान चलाते हैं और आज उनके माता-पिता उनकी इस सफलता पर गर्व महसूस करते हैं।

6.योगेश्वर पासवान,18, मध्यप्रदेश 

 योगेश्वर अब तक जोश स्किल्स के ऐप्प पर सबसे युवा टॉप स्कोरर हैं। वे 18 साल के हैं और उन्होंने जोश के इस कोर्स में 7369 पॉइंट्स कमा लिए हैं। योगेश बारहवीं कक्षा में हैं और कॉमर्स की पढ़ाई कर रहे हैं। वे मध्य प्रदेश के पन्ना से आते हैं और आगे चलकर अपने जीवन में  अकाउंटेंट बनने का सपना रखते हैं।

उनकी जिंदगी की शुरुआत बहुत साधारण हुई थी। योगेश्वर वहां एक आश्रम में रहते हैं, सुबह 4 बजे उठते हैं और अपने प्रयासों में बहुत ईमानदार हैं। वे अपने बड़े पापा को अपनी प्रेरणा मानते हैं। जब हमने उनसे उनके सपने के बारे में पूछा तो उन्होंने बेहद सहजता से ये जवाब दिया-

“मैम, मैं अपने आस पास के लोगों की मदद करना चाहता हूँ, जैसे भी- चाहे वो पढ़ाई हो या फिर रोजगार हो”

योगेश्वर उन लोगों में से हैं जो शायद कम बात करते हैं, पर अपना काम पूरे दिल से, दोगुनी मेहनत से करते हैं।

 

7.जयनाथ मौर्य, 32,सिरकिना गाँव, जौनपुर 

पिता का नाम : श्री विक्रम मौर्या

माता का नाम : श्रीमती यशोदा मौर्या

 जयनाथ पिछले दस साल से दिल्ली में टीम लीडर के तौर पर काम कर रहें हैं, लेकिन जब वे दसवीं कक्षा में थे, उन्होंने बताया कि “अगर मेरे पास ऑप्शन होता तो मैं दसवीं कक्षा में अंग्रेजी नहीं पढ़ता, मुझे अंग्रेजी भाषा से इतना डर लगता था”। अब सोचिए एक छात्र अंग्रेजी ना आने और ना बोल पाने के कारण कितने डर में रहता होगा।

और जब उन्हें पता चला कि उन्हें B.Sc में भी अंग्रेजी भाषा में पढ़ना होगा, तो वे बहुत डर गए कि एक भाषा उनके जीवन में कितनी बड़ी रूकावट बन चुकी है, जो उन्हें जीवन में आगे बढ़ने से रोक रही थी। लेकिन जब हमने उनसे 2021 में बात की तब उन्होंने अपना पूरा इंटरव्यू अंग्रेजी में दिया, और उनका मनोबल बेहद चौंका देने वाला था ।

उनके इस कोर्स में 8012 पॉइंट्स और साथ दिल्ली में एक अच्छी-खासी नौकरी है। आज वे खुश हैं और खुद पर गर्व महसूस करते हैं कि वे अपने इस डर को पीछे छोड़ आए हैं। अब वे अपने छोटे भाई अमरनाथ मौर्य की जिंदगी को भी जोश के साथ जोड़कर बदलना चाहते हैं।

 

 

8.सुभाश्री साहू, 21, ओडिशा 

पिता का नाम : श्री महेश्वर साहू

माता का नाम : श्रीमती निर्मला साहू

 सुभाश्री ओडिशा के कोरापुट जिले की एक नर्सिंग छात्रा हैं। वह इस कोर्स में 7,648 अंकों के शानदार स्कोर के साथ जोश स्किल्स  के अखिल भारतीय लीडर बोर्ड पर शीर्ष-महिलाओं में से एक हैं हमने सुभाश्री से जब उनकी ड्रीम जॉब के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि “मैं लोगों की मदद करना चाहती हूँ, ताकि वे बेहतर हो सके और शायद इसी वजह से मैं इस पेशे में हूँ। “

उन्होंने अपने गाँव में बहुत सारी बीमारियां देखी हैं, जिनके कारण बहुत से लोगों की जान जाती रही हैं और जिसका एक बड़ा कारण था, वहां उनके पास पर्याप्त संसाधन और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी होना। वे जिस पेशे से जुडी हुई हैं, वहां लोगों से अंग्रेजी में बात करनी पड़ती है, जो उनके लिए बड़ी चुनौती थी। इसीलिए, उन्होंने तय किया किया कि वे अंग्रेजी को अपने सपनों की राह में बाधा नहीं बनने देंगी। हमें पूरी उम्मीद है, कि वे अपने हर सपने को पूरा कर लेंगी।

सुभाश्री की माता-पिता जी को उनकी इस सफलता पर हमारी तरफ से बहुत-बहुत बधाई।

 

9. तबरेज़ आलम, 22, बिहार 

पिता का नाम : श्री सैय्यद मज़हर आलम

तबरेज़ की कहानी हम सबके लिए एक प्रेरणा है। तबरेज़ ने पूरा स्पोकन इंग्लिश कोर्स 25 दिन में पूरा कर 98% अंक प्राप्त किए हैं।

तबरेज़ ने अपनी शुरआती पढ़ाई हिन्दी-भाषी वातावरण में की, लेकिन वे हमेशा से अंग्रेजी सीखना चाहते थे। उन्होंने बताया कि जिस गाँव से वो आते हैं, उस गाँव में लोग पढ़ाई-लिखाई पर ज्यादा पैसे खर्च नहीं करते हैं। हालांकि इन सभी परेशानियों के बावजूद उनके पिता श्री सैय्यद मज़हर आलम, जो कि एक किसान हैं, उन्होंने सभी परेशानियों को झेलते हुए अपने बेटे के सपनों को बढ़ावा दिया।

तबरेज़ कहते हैं, “मैम, अगर मैं आपसे बात कर पा रहा हूँ तो वो केवल अपने पिता जी के वजह से है /” 

तबरेज़ यू.पी.एस.सी की तैयारी कर रहे हैं और हमें पूरा विश्वास है कि वे एक दिन अपने सपनों की उड़ान में सफल होंगे।

 

 

हम इन छात्रों के माता-पिता, शिक्षकों और उन लोगों को जिन्होंने इन छात्रों को यहां तक पहुंचने में मदद की है, उन सभी को सलाम करते हैं। हमें आप पर नाज़ है, भारत को आप पर नाज़ है।   

 

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