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शिक्षा की गुणवत्ता सुधार में अहम भूमिका अदा कर रहे हैं निजी विश्वविद्यालय

शिक्षा के तीन स्तर होते हैं- प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा। प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा स्कूल स्तर पर प्रदान की जाती है, जबकि उच्च शिक्षा विश्वविद्यालय और कॉलेज स्तर पर दी जाती है।

निजी विश्वविद्यालयों की आपसी प्रतिस्पर्धा से गुणवत्ता में सुधार

शिक्षा प्रदाता मूल रूप से दो प्रकार के होते हैं: सार्वजनिक और निजी। निजी संस्थानों के पास दो तरह के फंड होते हैं- सरकारी सहायता प्राप्त या पूरी तरह से स्व-वित्तपोषित। सार्वजनिक संस्थान सरकार द्वारा स्थापित और प्रबंधित किए जाते हैं। वैसे तो निजी क्षेत्र लाभ के उद्देश्य से काम करते हैं, मगर जब शिक्षा की बात आती है तो वो सिर्फ लाभ के उद्देश्य से नहीं, बल्कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की दृष्टि से भी काम करते हैं।

कुछ लोगों का मानना ​​है कि निजी संस्थान सक्रिय नियामक निगरानी की कमी के कारण शिक्षा की गुणवत्ता को कम करते जाते हैं। ज़्यादातर लोग यह सोचते हैं कि वे छात्रों से उच्च शुल्क वसूलते हैं, जबकि बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण वो शिक्षा की गुणवत्ता में लगातार सुधार करते रहते हैं।

पूरे देश में कई निजी विश्वविद्यालय संचालित होते हैं। यहां इस बात का संक्षिप्त विश्लेषण किया गया है कि वे शिक्षा के प्रसार के लिए अच्छे केंद्र क्यों हैं और जनता उन पर भरोसा क्यों कर सकती है: –

संवैधानिक प्रावधान

शिक्षा एक संवैधानिक अधिकार है। केंद्र और राज्य दोनों शिक्षा कानूनों को विनियमित करते हैं। शिक्षा की गुणवत्ता का निर्धारण केंद्र सरकार करती है। इसके अलावा राज्य सरकारें भी विश्वविद्यालयों को विनियमित या प्रोत्साहित कर सकती हैं।

विनियमन

उच्च शिक्षा का मुख्य नियामक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) और तकनीकी शिक्षा के लिए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) है। पेशेवर पाठ्यक्रमों को 15 पेशेवर परिषदों द्वारा विनियमित किया जाता है।

क्या यह सिर्फ लाभ के लिए प्रेरित हैं?

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि शिक्षा धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए प्रदान की जानी चाहिए न कि सिर्फ लाभ के उद्देश्य से। इसलिए शिक्षण संस्थानों से अत्यधिक लाभ कमाना संभव नहीं है। यदि निजी शैक्षणिक संस्थानों से किसी भी प्रकार का राजस्व मिलता है, तो यह शैक्षिक विकास और विस्तार के लिए प्रयोग किया जाएगा।

सरकार जहां विफल हो रही वहां ये अपनी भूमिका अदा कर रहे हैं

जहां आखिरी पायदान के समाज को शिक्षा प्रदान करने में सरकारें विफल हो रही है वहां निजी शिक्षण संस्थान सबको सहज शिक्षा उपलब्ध करा रहे हैं, इसलिए शिक्षा उद्योग केवल लाभ के आधार पर काम नहीं कर सकता है। अतः यह कहना गलत नहीं होगा कि निजी शिक्षण संस्थान वास्तव में समाज के लिए एक वरदान हैं।

यदि आप हरियाणा और विशेष रूप से दिल्ली एनसीआर में एक अच्छे निजी विश्वविद्यालय की तलाश कर रहे हैं, तो गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के लिए एसजीटी विश्वविद्यालय पर विचार कर सकते हैं।

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