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समाज में पुलिस की भूमिका

समाज में पुलिस की भूमिका

हमारे देश में जैसे हमारी सुरक्षा के लिए देश की सीमाओं पर फौज तैनात रहती है और हमें आंतकवादियों, दहशतगर्दों से बचाती है। उसी प्रकार पुलिस हमारे समाज में अपनी अहम भूमिका निभाती है। देश के अंदर की सुरक्षा और कानून व्यवस्था की देख-रेख, पुलिस करती है।

समाज में किसी भी प्रकार के अपराध को रोकना पुलिस का कर्त्तव्य है। लोग कभी भी अपनी सुरक्षा या किसी भी प्रकार की गंभीर समस्या के खिलाफ शिकायत पुलिस से कर सकते हैं। आम जनता पुलिस से अपने बचाव के लिए मदद मांग सकती है और अपनी सुरक्षा के लिए रिपोर्ट दर्ज करवा सकती है। देश के नागरिकों की सुरक्षा करना पुलिस का परम कर्त्तव्य है।

पुलिस के अपने देश के प्रति कर्तव्य 

देश एवं समाज में लोग कानून का गंभीरता से पालन करते हैं, इसका श्रेय पुलिस को जाता है। पुलिस के बगैर देश और राज्य के प्रशासन की सुरक्षा की कल्पना तक नहीं की जा सकती है। समाज में लोग अच्छी तरह से कानून व्यवस्था और अनुसाशन का पालन करें, पुलिस इसकी निगरानी हमेशा करती है। देश और कई राज्यों के महत्वपूर्ण चुनाव केन्द्रों और ज़रूरतमंदों की सुरक्षा पुलिस अक्सर करती है।

देश में कोई भी व्यक्ति किसी के साथ गलत हरकत कर रहा है, या फिर कोई भी राह चलता बदमाश लड़की को छेड़ रहा है। ऐसे में पुलिस अपने डंडे की भाषा से अपराधियों को चुप करवाती है और उन्हें उनके अपराधों के लिए दण्डित करती  है।

जैसे ही देश में चुनाव सिर पर होते हैं, तो पुलिस देश एवं समाज की रक्षा का पूरा दायित्व लेती है। पुलिस अपना काम बखूबी एवं कुशल तरीकों से करती है। पुलिस की वर्दी बहुत शक्तिशाली होती है। पुलिस में रहने वाले व्यक्ति कड़ी ट्रेनिंग से गुजरते हैं। वह गुनाहगारों को पकड़कर अदालत में पेश करती है। समाज में पुलिस को कानून का रखवाला कहा जाता है।

पुलिस के भय से मुज़रिम भागते हैं, लेकिन पुलिस उन्हें आखिरकार पकड़ लेती है और सलाखों के पीछे डाल देती है। समाज में अगर पुलिस ना होती तो अपराध और अधिक तेज़ी से बढ़ जाते। पुलिस का कर्त्तव्य व दायित्व है कि वह समाज में चोरी, डैकती, हत्या, दंगे जैसे अपराधों पर नियंत्रण रखे और समाज में शांति व्यवस्था बनाए रखे।

देश की सारी संपत्ति, सार्वजनिक जगहों की सुरक्षा पुलिस करती है। सभी नागरिको के जान की सुरक्षा करना पुलिस की अहम जिम्मेदारी है। पुलिस कई बार ज़रूरी सर्च ऑपरेशन में अपनी जान भी दांव पर लगा देती है। पुलिस को हमेशा सतर्क और हर पल चौकन्ना रहना पड़ता है। पुलिस अपनी जान मुसीबत में डालकर लोगो के प्राणों की रक्षा करती है।

पुलिस देश की कानून व्यवस्था की सरंक्षक होती है  

देश की संविधान के अनुसार नियमों और कानून का पालन करना पुलिस का दायित्व है। पुलिस हर एक केस को सोच समझ कर और निडर होकर उसे सुलझाती है। कई बार भ्रष्ट पुलिस अफसर अपने ज़िम्मेदारी को सही तरीके से नहीं निभाते हैं। ऐसे में कुछ भ्रष्ट पुलिस अफसर गुनाहगारों को बचाने के लिए उनसे पैसे लेती है, जो सरासर गलत है। अगर पुलिस के कुछ सिपाही भ्रष्ट निकलते हैं तो कहीं ना कहीं पूरी पुलिस फाॅर्स को बदनाम कर देते हैं।

ऐसे अफसर जैसे ही पकड़े जाते हैं, तो सरकार के द्वारा उन्हें सीधे निलंबित किया जाता है। लोग पुलिस पर विश्वास करते हैं। समाज में रहने वाले आम जनमानस में इस विश्वास को कायम रखना पुलिस का सर्वोच्च कर्त्तव्य है। लोगों की जान, माल की रक्षा करना पुलिसवालों का धर्म है।

जरा सोचिए, अगर समाज में पुलिस नहीं होती तो लोग कानून को अपने हाथों में लेकर कुछ भी करते। समाज में चारों ओर अराजकता का एक भयभीत वातावरण बन जाता जिससे कोई भी व्यक्ति किसी भी व्यक्ति पर आक्रमण करता और समाज में अराजकता फैलती। समाज में ईमानदार और सच्चे नागरिक अपने कर्त्तव्य से पीछे नहीं हटते हैं।

किसी भी देश एवं वहां की कानून व्यवस्था की नींव, वहां के देश की पुलिस होती है। राजनेताओं के चुनावों के दौरान रैलियों को सुरक्षा पुलिस प्रदान करती है। राज्य की यातायात व्यवस्था ट्रैफिक पुलिस संभालती है। देश में सड़को पर चलने वाला आम नागरिक कानून का पालन करे, यह सुनिश्चित करने का काम ट्रैफिक पुलिस का होता है। देश में कई तरह की हड़ताल एवं विरोध-प्रदर्शनों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा भी पुलिस ही करती है। कई बार जुलुस के वक़्त, कुछ लोग पीछे से भीड़ में पत्थर फेंकते है, इससे देश की पुलिस रक्षा करती है। चाहे कोई भी मौसम या दिन हो, पुलिस चौकी 24 घंटे खुली रहती है।

देश में धर्म, जाति और लिंग के भेद-भाव को लेकर अक्सर एक वर्ग दूसरे वर्ग पर अनैतिक अत्याचार करता है। इससे कानून के   नियमों का पालन नहीं होता है। ऐसी स्थिति में देश की पुलिस को कानून व्यवस्था को सुचारु रूप से संभालना होता है। अपराधी को पकड़कर पुलिस उसे निर्धारित सजा देती है।

ट्रैफिक पुलिस देश के यातायात की रीढ़ है

ट्रैफिक पुलिस सड़क पर होने वाले दैनिक ट्रैफिक जाम को अपने अनुसार नियंत्रित कर सकती है। अगर, सड़कों पर अधिक ट्रैफिक जाम होगा तो लोग समय पर अपने गंतव्य स्थान पर पहुंचने में असमर्थ होंगे। ट्रैफिक पुलिस जाम को कम करती है, ताकि गाड़ियों की आवाजाही सुचारु रूप से बनी रहे।

कोई भी सड़क दुर्घटना होती है तो वह इन समस्याओं को नियंत्रित करती है। अगर कोई भी व्यक्ति सड़क परिवहन के नियमों का उल्लंघन करता है,  तब उस पर ट्रैफिक पुलिस जुर्माना लगा सकती है और ज़्यादा नियमों  को तोड़ने पर आपकी गाड़ी को जब्त कर सकती है। जिसे आपको थाने जाकर विधिक कार्यवाही करके छुड़वाना पड़ता है।

ट्रैफिक पुलिस यह भी सुनिश्चित करती है कि कोई भी गाड़ी चोरी की है या नहीं? लोगों को हेलमेट पहनकर बाइक चलाने की अनुमति दी गयी है। समाज और देश में अक्सर लोग इन नियमों को हलके में लेते हैं और कानून तोड़ते हुए नज़र आते हैं। ऐसे में ट्रैफिक पुलिस इन लोगो पर जुर्माना लगा देती है। आजकल की विडंबना है कि पुलिस कर्मी बड़े राजनेताओ और धनवान लोगो को ज़्यादा सुरक्षा प्रदान करते हैं। इसके चलते आम लोग अपनी सुरक्षा से कहीं ना कहीं वंचित रह जाते हैं।

हमारे देश के पुलिस प्रशासन को सतर्क और हमेशा जागरूक रहने की आवश्यकता है और समाज में दिन प्रतिदिन हो रहे अपराधों पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी है। कभी कभी कुछ हालातों में पुलिस भक्षक भी बन जाती है।

देश में आजकल भ्रष्टाचार हर क्षेत्र में व्यापत है, और पुलिस व्यवस्था इससे अछूती नहीं रही है। देश में सत्तर प्रतिशत से ऊपर पुलिस भ्रष्ट है, इसके चलते आम आदमी को पुलिस पर विश्वास नहीं है, इस स्थिति को सिर्फ पुलिस अपनी जिम्मेदारी से सुधार सकती है।

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