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मैडम शब्द के इतिहास एवं उसके प्रचलन की कहानी

मैडम शब्द के इतिहास एवं उसके प्रचलन की कहानी

दुनिया में हर एक देश की अपनी एक भाषा, शिक्षा और ज्ञान की परंपरा होती है, उस भाषा को राष्ट्र की आत्मा कहा जाता है। इसी के आधार पर दुनिया के सारे देशों की अपनी एक पहचान होती है। उसी तरह हर भाषा और हर भाषा के हर शब्द का अपना इतिहास होता है।

क्या हम बोलने से पहले सोचते हैं?

जो भी शब्द, यदि किसी भाषा से जुड़ा है तो उसका अपना एक अलग इतिहास होता है। किसी ना किसी घटना के बाद कोई भी शब्द किसी भाषा में जोड़ा जाता है। इस लिए हर इंसान का यह दायित्व बनता है कि वह किसी भाषा से आने वाले शब्द को बिना जाने नहीं बोलना चाहिए। कई बार हमारे देश भारत में यह देखा जाता है कि स्वयं को ज्यादा ज्ञानी और बुद्धिजीवी बताने की होड़ में लोग अंग्रेजी भाषा से लिए गए कुछ ऐसे शब्दों का इस्तेमाल कर देते हैं, जिसका उन्हें इतिहास और उस शब्द का सही अर्थ मालूम नहीं होता है।

वे इसलिए ऐसा करते हैं कि क्योंकि ऐसे शब्द या तो वो किसी के मुंह से बोलते हुए सुन लेते हैं या फिर किसी को कहीं उनका इस्तेमाल करते देख लेते हैं। उसी में से एक अंग्रेजी का शब्द है मैडम (MADAME)। भारत में मैडम शब्द का अर्थ जान लेना बहुत जरूरी है, क्योंकि अंग्रेज हिंदी भाषा के महत्व को खत्म करने के लिए सोची-समझी रणनीति के तहत आमजनमानस के बीच ऐसे शब्दों को प्रचलित कर दिया करते थे। इसका परिणाम यह हुआ कि अंग्रेजी के कुछ ऐसे शब्द, जिनका अर्थ कुछ और ही होता है उन्हें प्रचलित कर दिया गया है। वहीं शब्द आज हिंदी में बिना उनके सही अर्थ जाने आमजनमानस के द्वारा हिंदी की तरह उपयोग किए जा रहे हैं।

मैडम (MADAME) शब्द का मतलब

अंग्रेजी भाषा का एक शब्द है, मैडम (MADAME) जो कि फ्रेंच भाषा से लिया गया है। MADAME दो शब्दो MA+ DAME से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है MA = मेरा/मेरी और DAME का अर्थ होता है महिला/स्त्री/औरत। जिसका पूरा अर्थ होता है मेरी महिला या मेरी स्त्री या मेरी औरत। अब हमें यह समझने वाली बात है कि हर स्त्री मेरी कैसे हो सकती? क्योंकि, भारत में सभी रिश्ते स्पष्ट हैं और भारत में सभी रिश्तों की अपनी अलग व्याख्या और अर्थ हैं।

फ्रेंच में मैडम शब्द का उपयोग वेश्यावृत्ति से जोड़ कर किया जाता है, क्योंकि अंग्रेजी भाषा में दुनिया के ज्यादातर देशों से शब्दों को लेकर शामिल किया गया है। इसी तरह मैडम शब्द को भी शामिल कर लिया गया है। फ्रेंच में मैडम शब्द का उपयोग कोठा चलाने वाली बाई के लिए किया जाता है। यानि वो महिला जो देह व्यापार करने वालों की मालकिन हो उसे मैडम कहा जाता है।

भारत में चलन क्यों?

किसी भी देश की भाषा एवं शिक्षा उस देश की आत्मा मानी जाती है। इस लिए जब अंग्रेजों ने भारत को गुलाम बनाया, तब भारत की संस्कृति, भाषा, ज्ञान आदि को बर्बाद करने के लिए भारत में इस तरह के शब्दों का चलन बढ़ाया, जिससे भारत की भाषा एवं संस्कृति को पूरी तरह से खत्म किया जा सके। इसका श्रेय लॉर्ड मैकाले को जाता है, जिनका पूरा नाम थॉमस बैबिंगटन मैकाले था।

भारतीय भाषा को पूरी तरह बिगाड़ने के उद्देश्य से 1834 में लॉर्ड मैकाले को गवर्नर-जनरल की एक्जीक्यूटिव काउंसिल का पहला कानून सदस्य नियुक्त करके भारत भेजा गया था। लॉर्ड मैकाले 1823 में बैरिस्टर बने जो कि प्रसिद्ध अंग्रेजी कवि, निबंधकार, इतिहासकार और राजनीतिज्ञ भी थे, जिसको अंग्रेजों ने भारत की शिक्षा पद्धति को बिगाड़ कर नई शिक्षा पद्धति बनाने की जिम्मेदारी सौंप दी।

तभी से हमारे देश में इस तरह के शब्दों का चलन आम बोल-चाल में बढ़ गया। लॉर्ड मैकाले ने भारतीय शिक्षा पद्धति को बदल कर एक नई शिक्षा पद्धति की शुरुआत की जो कि आज भी भारत में चल रही है।

भारत की परंपरा क्या रही है?

भारत में यानी की हिंदी भाषा में श्रीमती और श्रीमान जैसे सम्मानित शब्दों को रखा गया है। चूंकि मैडम शब्द की बात चल रही है तो यह भी स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि हिंदी में उपयोग होने वाले श्रीमती शब्द का अर्थ क्या होता है।

हिंदी में उपयोग होने वाला श्रीमती शब्द दो शब्दों श्री और मती से बना है। श्री+मती = लक्ष्मी+बुद्धि यानी श्रीमती शब्द का उच्चारण करने पर महिला को लक्ष्मी और सरस्वती दोनों के बराबर रख कर संबोधित किया जाता है,

लेकिन अंग्रेजों ने श्रीमती जैसे शब्दों का चलन खत्म करके मैडम, मिसेज और बेटर हाफ जैसे शब्दों का चलन शुरू कर दिया जिससे भारत की भाषा एवं संस्कृति को नष्ट किया जा सके।

होना क्या चाहिए?

हमें सबसे पहले अंग्रेजी या किसी भी भाषा से आए उस शब्द का उपयोग नहीं करना चाहिए, जिसका हमें अर्थ पता ही नहीं हो। हर समाज में दो तरह के लोग निवास करते हैं। एक शिक्षित वर्ग और एक अशिक्षित वर्ग होता है। शिक्षित वर्ग का यह दायित्व बनता है कि वह जिस शब्द का अर्थ नहीं जानें उसका उपयोग नहीं करें। क्योंकि शिक्षित वर्ग जो करता है, अशिक्षित वर्ग उसे देख कर उसकी ही नकल करता है। इसी के चलते कई बार अर्थ का अनर्थ हो जाता है और शिक्षित वर्ग का यह भी दायित्व बनता है कि जो अशिक्षित हैं और इन शब्दों के बारे में जानते भी नहीं हैं, उन्हें ऐसे शब्दों का अर्थ भी समझाएं जिससे समाज और भाषा में फैली अश्लीलता को दूर किया जा सके।

अब तक क्या कुछ किया गया?

हां, 18वीं सदी से लेकर आज तक इस क्षेत्र में बहुत काम किए गए हैं और किए भी जा रहे हैं। आजादी की लड़ाई के दौरान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने आजादी की लड़ाई के साथ ही साथ अपनी भाषा एवं संस्कृति को बचाने के लिए भी लड़ाई लड़ी। महात्मा गांधी समेत कई राजनेता बार-बार अपील करते रहते थे कि आवश्यकता के लिए अंग्रेजी जानें, लेकिन उसका उपयोग आवश्यकता पड़ने पर ही करें।

आजादी मिलने के बाद राजीव दीक्षित, जैसे समाजसेवक जो लगातार देश की संस्कृति और भाषा को बचाने के लिए प्रयासरत रहे। समाजसेवक राजीव दीक्षित जी कहते थे कि “मैं भारत को भारतीयता के मान्यता के आधार पर फिर से खड़ा करना चाहता हूं, उस काम में लगा हुआ हूं।”

महात्मा गांधी जी ने लिखा था कि  “मैं नहीं चाहता कि मेरा घर चारों ओर दीवारों से घिरा रहे। ना मैं अपनी खिड़कियों को ही कस कर बंद रखना चाहता हूं। मैं तो सभी संस्कृतियों का अपने घर में बेरोक-टोक संचार चाहता हूं। लेकिन किसी ऐसी संकृति के झंकोरे से मेरे पांव उखड़ जाएं, ये मुझे मंजूर नहीं।”

नोट:- राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी, राजीव दीक्षित जी, बाबा रामदेव जी, आस्था न्यूज़ आदि के शोध के बाद तैयार किया गया यह सिर्फ आर्टिकल नहीं शोध पत्र है।

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