झांसी में 19 फरवरी को हुए गोलीकाण्ड से शासन-प्रशासन, देश-दुनिया, समाज और युवाओं को सबक लेने की ज़रूरत है और साथ ही इसपर गंभीरता से विचार करने की।
प्रेम के मामलों में जल्दबाज़ी न करें
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रेम-प्रसंग के चलते एक छात्र ने अपने सहपाठी पर भरे क्लासरूम में ही गोली चला दी। जिससे छात्र गंभीर रूप से घायल हो गया और फिर आरोपी ने एक छात्रा के घर पर जाकर उसपर भी गोली चला दी। छात्रा को गोली गर्दन में जा लगी जिससे तुरंत ही उसकी मौत हो गई। ये तीनों एक ही कॉलेज से मनोविज्ञान विषय में एमए कर रहे थे।
फिलहाल गोली चलाने वाले को झांसी पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया है। आरोपी को इस हत्या के लिए उम्रकैद की सजा मिलती है या फिर फांसी यह तो कोर्ट के निर्णय निर्भर करेगा लेकिन ऐसे हत्यारों को जल्द ही सजा मिले। कानून व्यवस्था को बनाये रखने के लिए ऐसे लोगों पर कारवाई आवश्यक है।
अब हम बात करते हैं इस गोलीकाण्ड से सबक लेने की। तो सबसे पहले युवाओं को इससे यह सबक लेना चाहिए कि उनको जमाने के हिसाब से तो चलना है मगर सावधान होकर। इस गोलीकाण्ड वाले मामले में यह हो सकता है कि गोली खाने वाले छात्र-छात्रा आपस में प्रेमी-प्रेमिका हों और अपराधी की किसी वजह से इन दोनों से रंजिश चलती हो। या फिर छात्रा अपराधी की प्रेमिका रही हो और अब उससे दूर होना चाहती हो। इन सब पहलुओं में से कुछ भी हो सकता है। यह बस एक अनुमान है।
कॉलेज लाइफ में अक्सर छात्र-छात्राएं प्रेम में पड़ जाते हैं। प्रेम में पड़ने यानि किसी से प्यार करने को मैं सही या गलत नहीं कह रहा हूं। मगर इतना ज़रूर कह रहा हूं कि यदि कोई छात्र किसी छात्रा के प्रेम में पड़े या फिर कोई छात्रा किसी छात्र के प्रेम में पड़े, तो वह जल्दबाज़ी में कोई फैसला ना लें। इसलिये कि जल्दबाज़ी में लिए गए फैसले अक्सर गलत साबित होते हैं।
हमें फैसले चार-छह महीने तक बहुत सोच-विचार कर लेने चाहिए, क्योंकि इन चार-छह महीनों में दोनों एक-दूसरे के बारे में बहुत कुछ जान जाते हैं। साथ ही एक एक विश्वास और भरोसा भी बन जाता है।
प्रेम करने से पहले एक दूसरे के साथ हालात को भी समझना ज़रूरी
किसी से प्रेम होने पर सबसे पहले एक-दूसरे के बारे में कुछ ज़रूरी बातें ज़रूर जान लेनी चाहिए कि उसकी सोच और विचारधारा हमसे मिलती है या नहीं? उसे क्या पसंद है और क्या नहीं? वो अमीर परिवार से है या फिर गरीब परिवार से? उसे भविष्य में क्या बनना है? वो जीवन में क्या करना चाहती है? यदि वो दोनों प्रेमी-प्रेमिका बन जाते हैं तो दोनों को कोई परेशानी तो नहीं होगी?
समाज में हमारे प्रेम-प्रसंग के कारण इस गोलीकांड जैसी कोई अनहोनी घटना तो नहीं होगी? मतलब अपने प्रेम के चलते दोनों को समाज, परिवार और दोस्तों से सावधान रहने की ज़रूरत होती है। कोई हमारे प्रेम को अच्छी नज़र से देखता है तो कोई बुरी नज़र से। ये सब हमको मैनेज करके चलना चाहिए होता है।
प्रेमी-प्रेमिका बनने के समय यह बात भी ज़रूर जान लेनी चाहिए कि लड़के की पहले से तो कोई प्रेमिका नहीं है या फिर लड़की का पहले से तो कोई प्रेमी नहीं है? और यदि हैं भी तो उसे आगे भी तो चोरी-छिपे जारी नहीं रखेंगे? रिश्ते में ईमानदारी होने से दोस्ती और प्रेम लंबे समय तक भी कायम रहता है, बशर्ते उन दोनों में से कोई एक-दूसरे को धोखा न दे।
किसी से छुपाकर कोई अशोभनीय कार्य न करे और दोनों एक-दूसरे पर अटूट विश्वास बनाए रखें। दोनों में से किसी को भी यदि कोई परेशानी होती है या फिर किसी मदद की ज़रूरत होती है तो वे आपस में ही निपटा लें। यही न्याय, साम्य और सद्विवेक के सिद्धांत के अनुसार ठीक भी है। आगे सबकी अपनी-अपनी मर्जी। मगर सबकी मर्जी भी नहीं चलती क्योंकि सरकार और समाज के हिसाब से भी चलना होता है क्योंकि राज्य और समाज के बगैर हमारा कोई अस्तित्त्व ही नहीं है।
लड़का-लड़की आपस में अच्छे दोस्त भी हो सकते हैं
यह ज़रूरी नहीं कि छात्र-छात्रा आपस में प्रेमी-प्रेमिका ही बनकर रहें। वो दोनों अच्छे और सच्चे दोस्त बनकर भी रह सकते हैं, क्योंकि दोस्ती का रिश्ता अटूट रिश्ता होता है। इस रिश्ते जैसा दुनिया में कोई रिश्ता नहीं। आज के समय में एक लड़का-लड़की भी आपस में सच्चे दोस्त होते हैं। जैसे लड़के आपस में दोस्त होते हैं और लड़कियां आपस में सहेलियां। आज के समय की मांग के हिसाब से मैं कहता हूं – “लड़का-लड़की सब एक समान। सबको शिक्षा-सबका सम्मान।”
यदि लड़का-लड़की आपस में सच्चे दोस्त हैं तो वे ज़िन्दगी में कभी बिछड़ने का नाम नहीं लेते। वे जिंदगी में कभी भी एक दूसरे से मिलकर खैरियत पूछ सकते हैं। यदि दोस्त लड़के की शादी हो गयी है तो दोस्त लड़की उसकी शादी के बाद भी उससे मिल सकती है। ऐसा ही लड़की की शादी होने पर होता है और दोस्त लड़का-लड़की की शादी के बाद भी उससे मिल सकता है।
बशर्ते लड़के की पत्नी मॉडर्न सोच वाली मिले और लड़की का पति भी मॉर्डन सोच वाला हो। तभी ऐसा संभव है। यदि लड़का-लड़की आपस में प्रेमी-प्रेमिका हों और किसी वजह से आपस में खटपट हो गई तो वो ब्रेकअप कर लेते हैं और फिर कभी मिलने का नाम नहीं लेते। ऐसा देश के छोटे-बड़े शहरों में ट्रेंड में चल रहा है।
ऐसा बुंदेलखंड के रूढ़िवादी समाज और ग्रामीण भारतीय समाज के हिसाब से ठीक नहीं माना जा रहा है और ठीक माना भी नहीं जाना चाहिए। इसलिये कि विकसित और अविकसित समाज की संस्कृति और सभ्यता में जमीन-आसमान का अंतर होता है, जिसे हम सबको भलीभांति समझ लेना चाहिए।
समाज को अपराधियों के खौफ से बचाना होगा
अब हम सबको इस गोलीकांड से दूसरा सबक ये लेना चाहिए कि जबतक शिक्षण संस्थानों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम नहीं होते, या कानून व्यवस्था दुरुस्त नहीं होती तबतक डरकर रहने में ही फायदा है। हमारी जान बचेगी तभी तो दुनिया देख सकेंगे। मानता हूं कि शिक्षा ही एकमात्र ऐसा हथियार है, जो दुनिया की कोई भी जंग जिता सकता है लेकिन जबतब बीकेडी जैसे शिक्षण संस्थानों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम नहीं हो जाते तब तक वहां शिक्षा ना लेने में ही हम सबकी भलाई है।
कॉलेज में सुरक्षा के लिए कॉलेज के गेटों पर वॉचमेन और गार्डों की व्यवस्था की जा सकती है, और आज के तकनीकी युग में मेटल डिटेक्टर गेट की भी व्यवस्था कराई जा सकती है। इसलिए हर वक्त सतर्क रहिए और थोड़ी सी अनहोनी की आशंका होने पर वहां से खिसक लीजिए। इसी में हम सबकी भलाई है।
कॉलेजों में और समाज के सार्वजनिक स्थलों पर नारी-सुरक्षा और नागरिक सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होना बहुत ज़रूरी है। नहीं तो समाज और देश अपराधियों के खौफ के कारण और पीछे चला जाएगा। इसलिए शासन और प्रशासन को वक्त रहते नागरिक सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम कर देने चाहिए जिससे बीकेडी गोलीकाण्ड जैसी कोई घटना न घट सके।