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ज़िन्दगी की भागमभाग की जद्दोज़हद में खुद को भूलते हम

ज़िन्दगी की भागमभाग की जद्दोज़हद में खुद को भूलते हम

हम में से कौन नहीं चाहता की दिन के वह 24 घंटे बस आराम करे, परंतु ऐसा नहीं होता है। कुछ लोग अपने स्कूल, ऑफिस, व्यवसाय और अपनी निजी जिंदगी में ही उलझे रहते हैं, वे खुद के लिए बिलकुल भी समय नहीं निकाल पाते हैं।

जब कोई उनसे उनके पूरे दिन की दिनचर्या के बारे में पूछता है कि ऐसा क्या है? जिसके कारण आप दिन के 24 घंटों में से भी अपने लिए समय नहीं निकाल पा रहे हैं, फिर वो काम बहुत रहता है ऐसा कह कर बस बात को टाल देते हैं।

इस भागती-दौड़ती सी ज़िन्दगी की जद्दोज़हद में पिसते हम

हमें इस बात को ऐसे नहीं टालना है, लेकिन यह सच है कि आज हम अपनी जिंदगी की जद्दोज़हद में इतने उलझ गए हैं कि सच में दिन के 24 घंटे हमें बहुत कम लगते हैं। ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी है, मैं एक वर्किंग वुमेन हूं और अपने कामों को बखूबी निभाना भी जानती हूं। अब मुंबई जैसी भीड़भाड़ वाली जगह पर काम करना और यहां की ट्रैवलिंग तो आपको पता ही है।

इस भागती हुई सी ज़िन्दगी में घर के लोगों को समय देना, अपने दोस्तों को समय देना और बाकी की दिनचर्या में आपको अपने लिए समय निकालना बहुत मुश्किल हो जाता है।

मैंने सोचा क्यों ना अपनी व्यस्त दिनचर्या में से अपने लिए कुछ समय निकाला जाए, मैं ट्रैवलिंग टाइम में पहले सिर्फ म्यूजिक सुनते हुए अपना समय व्यतीत करती थी।लेकिन, मैंने उस समय में अपने लिए कुछ अच्छी किताबों का चयन किया और उन्हें अपने ट्रैवलिंग टाइम में 30 मिनट रोज़ पढ़ना स्टार्ट किया ।

मैंने इसे अपनी एक अच्छी आदत बनाकर इसकी प्रक्रिया जारी रखी। आप सोच नहीं सकते ज़िन्दगी के 30 मिनट जो पहले मैं व्यर्थ करती थी अब वो 30 मिनट के वजह से मेरी सोच मे बदलाव आया है। मुझे अपनी दौड़ती हुई सी ज़िन्दगी में खुद के जीने का एक अलग अंदाज़ मिला।

सकारात्मकता है जीवन की खुशियों की चाबी

मैं हमेशा सकारात्मक सोच के साथ अपनी सुबह की शुरुआत करने लगी। जब आप अच्छी किताब पढ़ते हैं तो आपकी सोच भी वैसी होने लगती है। मैं अपनी बदली हुई सोच भी सबके साथ बांटने लगी। मैं जो कुछ भी नया सीखती उसे अपने सहयोगियों को बताने लगी। आपको यह पढ़ कर बहुत अजीब लग रहा होगा, परंतु यह सच है।

इस दौरान मुझे एक बात और अच्छी लगी की मुझे किताब पढ़ता देख कर मेरे साथ सफर करने वाले बस के कुछ यात्रियों ने भी इस आदत को खुशी खुशी अपनाया। ये अनमोल पल मेरी ज़िन्दगी के सबसे यादगार पलों में से एक थे।

इस प्रकार यह तो हो गई बात कि हमें अपने कीमती समय का प्रयोग करना चाहिए और हमें अपने लिए भी समय निकालना चाहिए। यही सोच कर मैंने अपने समय से 30 मिनट चुराया और शाम के 30 मिनट वॉक करना शुरू किया। वो 30 मिनट बस सिर्फ आप होते हो और कोई नहीं। आप अपने ऑफिस या स्कूल से आने के बाद खुद की सेहत बनाने के लिए चलते हैं तो काफी फायदेमंद हैं।

स्वयं के लिए समय निकालें, आपको अच्छा लगेगा

हालांकि, इस से कोई भी नुकसान नहीं परंतु आप अपनी सोच को एक सकारात्मक रूप दे सकते हैं। हरियाली के बीच आप अपने आप मे रहते हैं, सिर्फ अपने बारे मे सोचते हैं, जहां आपको परेशान करने वाला या टीवी या मोबाइल कोई टेक्नोलॉजी का कोई इस्तेमाल नहीं होता है, वहां की दुनिया बहुत शांत होती है। इससे आपकी सेहत भी बहुत अच्छी रहती है और आपको अपने लिए कुछ शांत समय मिलता है।

हालांकि, आपको हर एक डॉक्टर यह सलाह देते हैं, परंतु हमारे पास समय ना होने के अभाव मे हम यह क्रिया नहीं कर पाते हैं। बस यही सब कर के मैंने अपने पूरे दिन के 24 घंटों में से 1 घंटे को स्वयं के लिए अलग रूप दे दिया। वैसे यह कहने में कितना कम समय लग रहा, लेकिन आप अपने समय से 5 मिनट भी निकाल लें तो बहुत है।

अगर जिंदगी के 30 मिनट भी हम अपने बारे मे सोचें तो उसमे कोई बुराई नहीं बस हमें अपना समय निकालना चाहिए स्वयं के लिए और इसके लिए दूसरों को प्रेरित भी करना चाहिए।

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