हम खुद को सफल बनाने के लिए ज़िंदगी भर मेहनत करते हैं। इस दौरान हम अपने जीवन का बहुत कुछ नौकरी के लिए झोंक चुके होते हैं। पहले नौकरी पाने के लिए दिन-रात की भाग-दौड़ और उसके बाद जब नौकरी हाथों में होती है, उसे बचाने और अपना सर्वोत्तम प्रदर्शन दिखाने के चक्कर में हम खुद को ही वक्त देना भूल जाते हैं।
सुबह ऑफिस टाइम से पहुंचने की होड़ लगी रहती है फिर भी अगर एक-दो मिनट लेट हो जाए, तो आपके सीनियर अपने घर की भड़ास आप पर निकाल देते हैं। साथ ही उस वक्त उन्हें सारी पुरानी बात भी याद आ जाती है, जो बहुत पहले कभी पेंडिंग रही हो।
एम्पलॉइज़ पर काम बढ़ता रहता है और सीनियर्स उनकी क्लास लेते रहते हैं। देखा जाए तो ज़्यादातर ऑफिसों की कहानी अलग ही होती है। एम्पलॉई पर काम का ओवरलोड हमेशा तेज़ धार तलवार की तरह लटका रहता है और औसत कंपनियों में सैलरी के नाम पर बहुत कम पैसे दिए जाते हैं।
काम बाकी रह जाए तो ओवरटाइम करना ही पड़ेगा, क्योंकि सीनियर की सैलरी ऑनर के हाथों में और आपकी सीनियर के हाथों में होती है। ऐसे में अगर आपको अपनी सैलरी बचानी है, तो उससे पहले आपको अपने सीनियर की सैलरी भी बचानी होगी।
आमतौर पर ऑफिसों में काम करने का निर्धारित समय आठ घंटे का होता है, लेकिन ज़्यादातर ऑफिसों में अपनी मर्ज़ी के मुताबिक शिफ्ट बदलकर नौ घंटे निर्धारित कर दिया जाता है। ज्वाइनिंग के समय ही यह तय कर दिया जाता है कि एक-दो मिनट भी इधर से उधर नहीं होना चाहिए। अगर हुआ तो सैलरी पूरी मिलेगी इसकी गारंटी नहीं है और काम के हिसाब से समय सीमा बढ़ाई भी जा सकती है।
यह आपको तय करना होता है कि अगर आप अपना काम आठ घंटे में खत्म कर लेते हैं, तो एक घंटे दोबारा काम मिलने का इंतज़ार करेंगे या यह सोचेंगे कि क्या ऐसी लाइफ के लिए आपने दिन-रात इधर-उधर धक्के खाए थे?
आप सुबह उठकर ऑफिस की तरफ भागते हैं फिर ओवरटाइम काम करते हैं, ताकि अधिक पैसे कमा सकें। ऑफिस से आकर थक-हार कर घर जाकर सो जाते हैं फिर अगली सुबह से वही रूटीन शुरू हो जाता है।
कुल मिलाकर इसका मतलब यह है कि आपको अपने लिए बस एक रात मिलती है, जो सोने में गुज़र जाती है तब हम क्यों कमा रहे हैं? पता नहीं !
अब नौकरी से निकाले जाने की बात करते हैं, तो ऐसी घटना जो एक प्राइवेट जॉब में कभी भी हो सकती है। आप जितनी रफ्तार से अपनी तरक्की के लिए मेहनत करते हैं, उतना ही खतरा नौकरी जाने का भी बना रहता है।
यह वार्निंग पहले दिन ही दे दी जाती है कि अगर आप कोई गलती करते हैं तो आपको सोचने, समझने और खुद को डिफेंड करने का मौका भी नहीं दिया जाएगा। केवल कुछ शब्दों (यू आर फायर्ड) के ज़रिये ही आपसे सब-कुछ छीन लिया जाएगा। ऐसे में एक एम्पलॉई के पास गलती करने की भी कोई गुंज़ाइश नहीं रह जाती है।
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