Site icon Youth Ki Awaaz

देश में महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा के लिए कौन ज़िम्मेदार है?

देश में महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा के लिए कौन ज़िम्मेदार है?

भारत में महिलाओं को देवी के समान माना जाता है। कुछ घरों में लोग लड़कियों के जन्म को देवी लक्ष्मी का रूप समझकर शुभ मानते हैं। आज महिलाएं घर और दफ्तर दोनों को अच्छे और संतुलित तरीके से चला रही हैं। पहले की तुलना में आज हर लड़की देश में शिक्षित हो रही है और वह हर क्षेत्र में किसी ना किसी पद पर कार्य कर रही है।

वर्तमान समय में स्त्रियां पुरुषों के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर चल रही हैं। देश में कहीं ना कहीं आज नारी की सुरक्षा पर प्रश्न चिह्न लग रहे हैं। इसका कारण है, नारियों पर आए दिन बढ़ते हुए अत्याचार और बलात्कार इत्यादि जैसे निंदनीय अपराध हैं। महिला सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सरकार और कानून ने कई सख्त नियम बनाए हैं। फिर भी हमारे देश में रोज दैनिक अखबारों में लड़कियों, महिलाओं एवं बच्चों से जुडी हुई अपहरण और हत्या जैसे संगीन जुर्म की घटनाओं के बारे में सुनने को मिलता रहता है। अब समय आ गया है कि सरकार और समाज दोनों साथ आकर महिलाओं से जुडी हुई सुरक्षा सम्बन्धी हल निकालें ताकि महिलाएं महफूज़ रहें।

आज लड़कियां जब रात को लेट दफ्तर से लौटती हैं, तो वह अकेले जाने से घबराती हैं। इसलिए आजकल दफ्तरों की तरफ से अपने महिला कर्मचारियों की सुरक्षा को देखते हुए उन्हें आने-जाने के लिए सुरक्षित कैब की सुविधा प्रदान की जाती है। देश में सब जगहों पर यह सुविधा नहीं मिलती है, इसलिए आम तौर पर महिलाएं रात होने से पूर्व घर लौट आती हैं।

सड़को पर कुछ मनचले युवक सरेराह लड़कियों को छेड़ते और बदतमीज़ी करते हैं । आजकल लड़कियां सतर्क हो गई हैं, ऐसी कोई भी घटना होने पर वे तुरंत ऐसे युवकों के खिलाफ पुलिस को खबर कर देती हैं और ऐसे मनचलो को जेल भी भेजती हैं।

कई काम करने वाली जगहों या कंपनियों में लड़कियों को उनके बॉस बुरी नज़र से देखते हैं और जिसके चलते वहां काम करने वाली महिला कर्मचारियों को शारीरिक एवं मानसिक उत्पीड़न को सहन करना पड़ता है। इसका अर्थ है लड़कियां कई जगहों पर सुरक्षित नहीं हैं। आज हमें हमारी सोच को बदलने की ज़रूरत है। समाज में कुछ लोगों की खराब मानसिकता के कारण पूरे समाज को ऐसी घटनाओं से गुजरना पड़ता है।

आज भी कुछ जगहों में नारियों को दहेज प्रथा जैसी कुप्रथाओं के कारण अपने ससुराल के अत्याचार सहन करने पड़ते हैं। समाज में दहेज़ पाने के लिए कुछ लोग इतने हिंसक बन जाते हैं कि मासूम एवं निर्दोष लड़कियों को पैसे के लालच में जिन्दा जला देते हैं। सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए कड़े कानून बनाये हैं और अब महिलाओं के खिलाफ अपराध करने वाले दोषियों को सजा भी मिल रही है, मगर देश में ऐसे अपराधों पर अंकुश लगाना अनिवार्य हो गया है।

हमारे देश में नारियों के सुरक्षित ना रहने की प्रमुख वजह है, पाश्चात्य विदेश संस्कृति और बॉलीवुड जगत के कुछ गाने और फिल्मो में दिखाए जाने वाले कुछ दृश्यों के कारण समाज में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में बढ़ोतरी हुई है। ऐसे चीज़ो से कुछ लोगो की मानसिकता पर बुरा प्रभाव पड़ता है, जिससे उनकी सोच महिलाओं के प्रति गलत हो जाती है।

हमें फिल्मो को सिर्फ एक काल्पनिक कहानी समझकर देखना चाहिए, मगर इसका प्रभाव समाज में रहने वाले आम जनमानस की सोच पर पड़ता है। सिनेमा से समाज प्रभावित होता है। इसलिए फिल्म निर्माताओं को सोच समझकर फिल्में बनाने की ज़रूरत है, जिससे समाज में किसी पर बुरा असर ना पड़े।

लड़कियों के सुरक्षा के लिए लड़कियों के हॉस्टल में कुछ नियम बनाये गए हैं। उन्हें शाम होने से पहले अपने हॉस्टल वापस आना होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि कॉलेज अथवा हॉस्टल प्रशासन को लड़कियों की सुरक्षा की देख-रेख करनी होती है। हमें समाज में नारी का सम्मान करने के लिए अच्छी मानसिकता और संगत की ज़रूरत होती है। हमारे देश एवं समाज में पुरुषो को खासकर यह बात समझने की ज़रूरत है।

हमारे देश में पाश्चात्य विदेशी संस्कृति का प्रचलन काफी बढ़ गया है। ऐसे में लड़कियां अगर मॉडर्न और छोटे कपड़े पहनती हैं, तो लोग उन्हें बुरी मानसिकता की गलत नज़र से देखते हैं। हमें किसी के बारे में सोच उसके कपड़ो से नहीं बनानी चाहिए। कुछ मनचले लोग अपनी घिनौने मानसिकता की वजह से ऐसा करते हैं।

हमेशा माता-पिता को अपने लड़कों को नारी की इज़्ज़त करना बचपन से सिखाना चाहिए। महिलाएं घर की इज़्ज़त होती हैं। उनका सम्मान और रक्षा करना एक सच्चे नागरिक का कर्त्तव्य है। लोगो को समझना चाहिए अगर महिलाएं ना होती तो बच्चे भी ना होते और परिवार नहीं बनता। हम आज जो भी हैं, समाज में जिस मुकाम पर हैं, उसके पीछे हमारी माँ का हाथ है।

हमारे देश के ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ जगहों पर महिलाओं पर दैनिक अत्याचार होते हैं। हमारे देश में रोज किसी ना किसी घर में पति और सास -ससुर द्वारा दहेज़ में अधिक पैसे, गाडी ना मिल पाने के कारण होती घरेलू हिंसा आम बात है। इसमें उसको दहेज़ के लिए प्रताड़ित करना,उसके साथ मारपीट करना आदि यह सब शामिल है।

वहीं देश में महिलाएं अपने ऊपर रोज हो रहे जुल्मों के खिलाफ आवाज़ नहीं उठाती हैं और सहती रहती हैं। यह बिलकुल गलत है। निर्भया बलात्कार केस ने सम्पूर्ण देश को हिलाकर रख दिया था और नारियों की सुरक्षा के विषय में सरकार और देश के हर आम नागरिक को सोचने पर मज़बूर कर दिया था। 21 वी शताब्दी में आकर भी हमारे देश में आज भी लड़कियां सुरक्षित नहीं हैं।

देश में आए दिन महिलाओं से जुडी हुईं दर्दनाक घटनाओं को सुनकर, मानवता शर्मसार हो रही है। जिस तरीके का आज देश का वातावरण है, आए दिन महिलाओं के अपहरण और बलात्कार के केस दर्ज हो रहे हैं, महिलाओं पर जुर्म थमने का नाम नहीं ले रहे हैं।

ऐसे में महिलाओं को स्वयं एवं अपने परिवारजनों की सुरक्षा करने के लिए उन्हें अपनी आत्म सुरक्षा की विधियां सीख लेनी चाहिए। आज कल लड़कियां बहुत कम छोटी उम्र से ही आत्मसुरक्षा के लिए आत्म निर्भर होने के लिए कराटे कक्षाओं में जा रही हैं। आज कल सरकार पहले की तुलना में काफी जागरूक हुई है। अब पुलिस वाले भी रात होने पर सड़कों एवं गलियों में निगरानी करते हैं, कि सब कुछ ठीक है या नहीं।

सरकार ने लड़कियों एवं महिलाओं की सुरक्षा के लिए हेल्पलाइन नंबर्स भी जारी किए हैं, जिससे महिलाएं किसी भी तरह की मुसीबत को अगर भांप लेती हैं या उन्हें कुछ गलत होने का अंदेशा हो तो वे तुरंत अपने परिजनों को सन्देश भेजकर उसकी जानकारी दे सकती हैं।

महिलाओं को अपनी सुरक्षा से सम्बंधित मामलों में सचेत और सतर्क रहना चाहिए,जब वह कहीं बाहर सफर करती हैं । उन्हें अपने साथ सुरक्षा के लिए मिर्ची स्प्रे(pepper spray) रखना चाहिए। कोई भी मुश्किल हो, इसे हर कोई लड़की या महिला अपनी सुरक्षा के विकल्प के तौर पर उपयोग कर सकती है। महिलाओं को कभी भी स्वयं को कमज़ोर नहीं समझना चाहिए। किसी भी अनजान आदमी से महिलाओं को मदद नहीं लेनी चाहिए। ऐसे हालातों से अपने आपको दूर रखना महिलाओं का फर्ज़ है।

Exit mobile version