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आखिर क्यों नहीं रुक रही हैं समाज में रेप की घटनाएं?

आखिर किस ओर जा रहा है हमारा समाज

 

आखिर किस ओर जा रहा है हमारा समाज ! जहां एक तरफ हमारी अतुलनीय भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता में महिलाओं को उनके सम्मान के लिए देवियों के समकक्ष स्थान दिया गया है। हम बेटियों को देवी का स्वरूप मानते हैं, और नवरात्रि में उनकी पूजा करते हैं। वहीं दूसरी तरफ देश में आए दिन महिलाओं और देश की बेटियों के साथ दुर्व्यवहार, उनके साथ घरेलू हिंसा, ईव टीजिंग एवं बलात्कार जैसी जघन्य घटनाओं की खबरों से टीवी, अखबार भरे पड़े रहते हैं। एक समाज एवं राष्ट्र के लिए ऐसी वीभत्स घटनाएं, महिलाओं के साथ होती हिंसा सच में शर्मनाक हैं।

जी हां, मैं बात कर रही हूं अभी हाल ही पूर्वी चंपारण मोतिहारी में हुई एक12 वर्षीय बच्ची के साथ रेप की घटना की, ठीक वहीं दूसरी ओर राज्य में महिलाओं एवं आम जन मानस की सुरक्षा के लिए तैनात वहां की पुलिस एवं प्रशासन को ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वाले अपराधियों को पकड़ना चाहिए और पीड़िता को न्याय दिलाना चाहिए, ना कि इसके इतर पुलिस प्रशासन द्वारा पीड़िता के शव का ही अंतिम संस्कार करना चाहिए।

रेप जैसे दुष्कर्म की वीभत्स घटना के बाद स्वयं वहां का पुलिस प्रशासन ही उस पीड़ित बच्ची के शव का अंतिम संस्कार कर देता है, जब कानून के रक्षक ही भक्षक बन जाएं तो सोचिए उस देश और उस राज्य का क्या होगा? क्या सवाल यह खड़ा नहीं होता कि उस राज्य में बेटियां सुरक्षित हैं या नहीं?

अगर बेटियां देवियों का स्वरूप हैं तो उनके साथ दुष्कर्म की घटनाएं क्यों?

मैं भी उसी चंपारण जिले से आती हूं, जहां यह वीभत्स घटना हुई और वहां का प्रशासन इस घटना के अपराधियों को पकड़ने की बजाय इस मामले को लीपापोती करके दबाने की कोशिश कर रहा है। मैं एक लड़की होने के नाते देश की उत्तरदायी सरकार से सवाल करती हूं, कि आए दिन देश की बेटियों के साथ ऐसी घटनाएं क्यों होती हैं?

कुछ दिन पहले की ही बात है, उत्तर प्रदेश के हाथरस में भी ऐसी ही एक वीभत्स घटना हुई थी। उस मामले में भी वहां के पुलिस एवं स्थानीय प्रशासन ने पीड़िता के साथ ही अन्याय किया ,वहां भी प्रशासन ने उस घटना के अपराधियों को पकड़ने की बजाय पीड़िता के परिवार को ही डरा धमका कर उसके शव का अंतिम संस्कार कर दिया था।

मोतिहारी वाली घटना का एक प्रशासन से सम्बन्धित एक ऑडियो वायरल होता है, जब यह मामला सबके समक्ष आता है। हम अपने घर में देवियों की मूर्तियां रखते हैं और जो हमारे समाज, घर-आंगन की लक्ष्मियां हैं, उनके साथ हम दुष्कर्म करते हैं, दुष्कर्म होते हुए देखते हैं, दुष्कर्म होते हुए सुनते हैं और उनको सहन भी करते हैं। इस पितृसत्तात्मक समाज में जब लड़कियां छोटे कपड़े पहन के चलती हैं तो उनको बहुत बुरा लगता है, जब लड़कियों के साथ रेप होता है उस समय हमारे देश की सरकारें, प्रशासन, समाज कुछ नहीं बोलता है, चुपचाप रहता है।

वर्तमान में देश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए क्या उचित प्रबंध हैं ?

मैं सुशासन बाबू से पूछती हूं कि यही आपका सुशासन है, जहां राज्य की बेटियां भी सुरक्षित नहीं हैं और कानून के रक्षक ही भक्षक बने हुए है। सुशासन बाबू जरा गौर करिएगा, ये चंपारण की बेटी की मांग है कि हमारी वहां की जितनी भी बेटियां हैं वे सब सुरक्षित रहें और इस घटना का जो वीडियो और ऑडियो वायरल हो रहा है, अगर वह सही है तो इस के अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले ताकि भविष्य में कोई ऐसी घटना दोबारा दोहराने की हिम्मत नहीं करे।

जिनके जहन में भी ऐसे कुछ विचार हैं, इन अपराधियों को ऐसी सजा मिली कि इनकी रूह भी कांप जाए और समाज में एक मिसाल पेश हो।

आखिरकार क्यों हम बेटियों के साथ ऐसा हो रहा है? और हम कब तक ये सब सहन करते रहेंगे, हमें रात में बाहर निकलने में डर लगता है, हमें अंधेरे में कहीं जाने में डर लगता है और हम कब अपने आप को सुरक्षित महसूस कर पाएंगे।

अगर हमारा दुपट्टा थोड़ा सा ऊपर है तो हमें इस बात का भय लगा रहता है, कोई देख तो नहीं रहा? अगर किसी ने छोटे कपड़े पहन रखे होते हैं तो समाज ताने मारता है कि लड़की है, ऐसे छोटे कपड़े पहनेगी तो रेप नहीं होगा तो क्या होगा, लेकिन उस 12 वर्षीय मासूम की क्या गलती थी ? उसके कपड़े तो छोटे नहीं होंगे ना फिर उसके साथ ऐसी हरकत क्यों हुई ? यह एक ऐसा प्रश्न है जो हमें हमारे देश की सरकार एवं तथाकथित समाज से करना चाहिए, और समाज को आगे आ कर इसका जवाब देना चाहिए।

 

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