राहुल गांधी, 4 बार संसद सदस्य, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष और उपाध्यक्ष हैं। वह पहली बार 2004 में लोकसभा के लिए चुने गए थे, जिस साल कांग्रेस सत्ता में आई थी। उन्होंने उस समय सरकार में किसी भी बड़े मंत्रालय के मंत्री का पद ना लेकर वरन युवा कांग्रेस और एनएसयूआई संगठन को पुनर्जीवित करने की ज़िम्मेदारी के लिए संघर्ष का रास्ता चुना और उन्होंने अपनी इस ज़िम्मेदारी को बड़ी कुशलता पूर्वक निभाया भी है।
उन्होंने युवा कांग्रेस और एनएसयूआई में चुनाव प्रक्रिया शुरू की, जिसमें उन्होंने योग्य एवं हर तबके से आने वाले उन लोगों के लिए कांग्रेस के द्वार खोले जिनका पहले कोई नेतृत्व नहीं था। उनके इस गतिशील एवं कुशल नेतृत्व में, युवा कांग्रेस ने 25 लाख प्राथमिक सदस्यों की ऐतिहासिक छलांग देखी।
2009 में, वह फिर से सांसद बने और इस बार वे प्रधानमंत्री बन सकते थे, लेकिन फिर से उन्होंने उत्तर प्रदेश और कई अन्य राज्यों में कांग्रेस संगठन को मज़बूत करने की ज़िम्मेदारी लेकर स्वयं के लिए दुबारा से संघर्ष का रास्ता चुना। जहां कांग्रेस कमजोर थी, वहां हमेशा उन्होंने सरकार और संगठन को मजबूती प्रदान करने के बाद भी एक आम नागरिक की तरह ही रहे।
जब पार्टी अपनी मजबूत स्थिति और सत्ता में थी, तब उन्होंने भट्टा पारसौल से बाड़मेर और उड़ीसा तक के किसानों और श्रमिकों के लिए अपनी ही सरकार से लड़ाई लड़ी और भारत सरकार द्वारा पारित नया समर्थक किसान भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2012 हासिल किया।
कांग्रेस के बुरे दौर में भी एक योद्धा की तरह खड़े रहे
फिर 2014 का दौर आया, वह कांग्रेस का सबसे बुरा दौर था। जब उन्होंने कांग्रेस को मज़बूत करने के लिए अपने नियंत्रण में ले लिया और पार्टी को अकेले ही मजबूत करने की कोशिश की। इस चरण के दौरान कोई भी युवा और पुराना साथी उनके साथ नहीं था और उन्होंने पार्टी के ही पुराने और योग्य कार्यकर्ताओं और इस देश के नागरिकों के समर्थन के आधार पर यह सब अकेले करने का प्रयास किया।
जब, 2018 में कांग्रेस पार्टी ने 3 राज्यों में जीत हासिल की तो राहुल गांधी ने स्थानीय नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं को श्रेय दिया, लेकिन जब पार्टी ने 2019 में खराब प्रदर्शन किया तो उन्होंने इसकी जिम्मेदारी भी ली और नैतिकता के आधार पर कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।
उन्होंने कभी अपनी पार्टी से कोई पद और सम्मान नहीं मांगा, बल्कि पार्टी को जितना वो दे सकते थे उतना दिया। मीडिया, विपक्ष और यहां तक की उन्हीं के पार्टी संगठन के भीतर उनका मजाक उड़ाया गया, उनका नाम उछाला गया जिसके लिए उन्होंने अपनीपूरी ज़िंदगी दे दी।
सत्ता में बैठे लोग और मीडिया आपको यह विश्वास दिलाते हैं कि वह ‘पप्पू’ हैं, लेकिन मैं आपको बता दूं कि वह ऐसे नहीं हैं, वह ईमानदारी और करुणा से परिपूर्ण आदमी हैं। वह और उनकी पार्टी कांग्रेस अपने बुरे दौर में चल रही है लेकिन इस देश और आने वाली पीढ़ियों के अच्छे और भलाई के लिए वह हमेशा साथ खड़े रहें है।