हाल में मीडिया में दो रिपोर्ट्स आई थी। एक में बतलाया गया कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा भूखा देश है। दूसरे में बतलाया गया कि भारत हथियार खरीदने के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा देश है।
जनता की भूख मिटाने से ज़्यादा हथियार खरीदने पर जोर
संयुक्त राष्ट्र की भूख संबंधी सालाना रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में सबसे अधिक 19.4 करोड़ लोग भारत में भुखमरी के शिकार हैं। दूसरी रिपोर्ट स्टॉकहोम के थिंक टैंक इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट ने जारी किया है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने बीते कुछ सालों में सबसे ज़्यादा हथियार खरीदे हैं। हथियार खरीदने में भारत की हिस्सेदारी 12% बताई गई है।
जो लोग भूखे रहने की श्रेणी में आते हैं या किसी तरह खा लेते हैं वह भी इस बात से खुश हैं कि भारत हथियार खरीदने वाला सबसे बड़ा देश है।आख़िर उसी से तो पाकिस्तान और चीन को मात देनी है न? आखिर यह पागलपन आता कहां से है? याद रखिए देश को चलाने वाले वोट की खातिर आपको थोड़ी बहुत सहूलियत देते रहेंगे लेकिन वो ‘शिक्षा’ नहीं देंगे जिससे आप उनसे पूछ सकें कि रोटी ( मूलभूत आवश्यकताएं) महत्वपूर्ण है या हथियार?
एक तरफ आपको जन्म से ही शिक्षा लेने की चुनौती तो दी जाएगी लेकिन वह वैसी शिक्षा होगी जिसमें आपको सिखाया जाएगा कि दूसरे का गला उमेंठ कर कैसे पैसा कमाया जाता है? अगर आप उसी तरीके से जैसे-तैसे नौकरी (हालांकि वह भी महत्वपूर्ण है) पा भी गए हैं, चूंकि आपको खुद यही सिखाया गया है कि दूसरे को पछाड़कर, जलील कर, आगे बढ़ना ही सफलता की निशानी है तो आप भी मरते दम तक अपने बच्चों को यही चीज़ सिखाते रहेंगे।
जनता को ऐसी नीतियों के खिलाफ सवाल करना होगा
अगर इंसान बनने की शिक्षा दी गई होती तब तो आप भी हथियार खरीदने का विरोध करेंगे और हथियारों को विकास का मानक नहीं मानेंगे।
फिर आप वर्तमान उत्तर प्रदेश सरकार के मुखिया अजय सिंह बिष्ट से यह सवाल करने लगेंगे कि पिछले 4 सालों में यू.पी.एस.एस.एस.सी की कितनी वैकेंसी क्लियर किए? अब तक लखनऊ और गोरखपुर मंदिर का घंटा बजा रहे थे, चुनाव सर पर है तो अब प्रारंभिक अहर्ता परीक्षा (पेट) की अधिसूचना जारी कर रहे हो और उसमें अंग्रेजी की अनिवार्यता ज़रूरी कर रहे हो!
सवाल यह नहीं है कि अंग्रेजी सीखना चाहिए कि नहीं। सवाल यह है कि जो लोग मानसिक रूप से तैयार थे कि इस परीक्षा में अंग्रेजी नहीं पढ़नी होती है वह इतने कम दिनों में कैसे तैयारी करेंगे? लेकिन चूंकि आपको जीहुज़ूरी करने की शिक्षा दी गई है इसलिए आप कभी सवाल नहीं करोगे और अब अंग्रेजी की कोचिंग करने जाओगे।
जनता के इसी यथास्थितिवादी होने का भरपूर फायदा इस देश में सरकारों को मिल रहा है। बहुत ज़रूरी है अपने मूल अधिकारों को समझना और जब वो न मिले तो सत्ता से सवाल करना।