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21 वी सदी के डिजिटल युग का जनतंत्र पर प्रभाव

21 वी सदी के डिजिटल युग का जनतंत्र पर प्रभाव

 

बदलते हुए समय ने अनेक बदलती हुईं व्यवस्थाएं देखी हैं। पुरातन समय में कबीलाई संस्कृति, सामंतशाही फिर राजशाही देखी है। समय की मांग के अनुसार व्यवस्थाएं बदलती रहती हैं। अब जनता के द्वारा चुनी हुई सरकार ही राजनैतिक व्यवस्था निर्धारित करती है। इसे ही जनतंत्र का नाम दिया गया है।

 जनतंत्र का मूल मंत्र “जनता का, जनता के द्वारा और जनता के लिए शासन” है। हालांकि, प्रजातंत्र पुरातन व्यवस्थाओं जैसे कि कबीलाई संस्कृति, सामंतशाही फिर राजशाही इत्यादि से बेहतर है, फिर भी आज के जमाने में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल पूर्ण तरीके से नहीं किया जा रहा है।
कहने के लिए जनता की सरकार है, फिर भी सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए जनता को अपना बहुत सारा समय व्यय करना पड़ता है। आज भी राशन कार्ड, पासपोर्ट, ओ.बी.सी. सर्टिफिकेट, जन्म प्रमाण पत्र, बिजली कनेक्शन, पानी कनेक्शन, ड्राइविंग लाइसेंस  इत्यादि अनेक सरकारी सेवाएं हैं, जिनके लिए जनता का बहुत सारा धन और समय दोनों बर्बाद होता है।

21 वी सदी का जमाना डिजिटल युग का जमाना है 

अब 21 वी सदी का जमाना डिजिटल हो चुका है। कुछ दिन पहले कोई सोच भी नहीं सकता था कि जोमैटो, ओला, उबर, अमेजॉन, फ्लिपकार्ट, इंडिया मार्ट इत्यादि जैसी डिजिटल सेवाएं शुरू होगीं। ये सारी सेवाएं पूर्ण रूप से डिजिटल हैं।
घर बैठे-बैठे कोई भी व्यक्ति ऑनलाइन शॉपिंग कर सकता है। मूवी टिकट, यहां तक कि मेडिकल सेवाएं भी ऑनलाइन प्रदान की जा रही हैं। यदि प्राईवेट सेक्टर द्वारा ये सारी सेवाएं ऑनलाइन प्रदान की जा रही हैं तो सरकार द्वारा डिजिटल सेवाएं क्यों नहीं प्रदान की जा रही हैं?

सरकारी योजनाओं को लाभार्थियों के लिए डिजिटल करने की मांग   

राशन कार्ड, पासपोर्ट, ओ.बी.सी. सर्टिफिकेट, जन्म प्रमाण-पत्र, बिजली कनेक्शन, पानी कनेक्शन, ड्राइविंग लाइसेंस इत्यादि के लिए जनता को बार-बार अपना समय और पैसा दोनों बर्बाद करना क्यों पड़ता है? अगर बिजली का मीटर पढने के लिए बिजली की कंपनियां उपभोक्ताओं के घर आने के लिए तैयार हैं तो सरकार ऐसी व्यवस्था क्यों नहीं कर रहीं है? ताकि जनता को बार-बार वेरिफिकेशन के नाम पर तंग ना किया जा सके।

अब वक्त आ गया है कि सरकार डिजिटल टेक्नोलोजी का इस्तेमाल करे और जिस तरीके से जोमैटो, ओला, उबर, अमेजॉन, फ्लिपकार्ट, इंडिया मार्ट इत्यादि जैसी डिजिटल कंपनियां उपभोक्ताओं से आर्डर लेकर उनके घर जाकर सामान प्रदान कर रही हैं। ठीक इसी तरह की प्रक्रिया को सरकार द्वारा अपनाना चाहिए, ताकि सरकारी वेरिफिकेशन का काम जनता के घर-घर जाकर किया जा सके।

आने वाले दिनों में डिजिटल सरकारें ही जनता के दिल और द्वार तक पहुंच पाएंगी। यानी भविष्य तो उसी सरकार का है, जिसका मूलमंत्र होगा “जनता के द्वार डिजिटल सरकार”।
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